प्रथमः पाठः
प्रयाणगीतम्
शब्दार्थाः
चन्दनतुल्या = चन्दन के समान।
प्रतिमा =मूर्ति।
वत्सो -वत्सः= बच्चा -बच्चा।
मन्दिरवत् = मन्दिर के समान।
सिंहा= सिंह। इह =यहां।
खेलनकाः =खिलौने।
जनयित्री =माता।
इह प्रभाते = इस सुबह में।
स्वान् = शब्द।
कर्मतो =कर्म से।
भाग्यनिर्मितः =भाग्य से बना।
अत्र =यहाँ।
गायति = गाती है।
अत्र ज्ञानप्रवाहो= यहाँ ज्ञान की धारा।
गङ्गासलिलनिर्मलो= पवित्र गंगा का जल।
अत्रत्यैः सैनिकैः = यहाँ सैनिकों द्वारा।
सदागीयते= हमेशा गाई जाती है।
अत्रक्षेत्रे = यहाँ क्षेत्र में।
हलफालाधः = हल के फल के नीचे।
खेलति =खेलती है।
सुकुमारी सीता =कोमलांगी सीता।
जीवनादर्श = जीवन आदर्श में।
मङ्गलमयमणिरभिरामः = मंगल (सुख) मणि की तरह सुन्दर।
1. प्रयाणगीतम्
चन्दनतुल्या भारतभूमिस्तपस्थली ग्रामो ग्रामः ।
बाला-बाला देवी प्रतिमा वत्सोवत्सः श्रीरामः ॥
मन्दिरवत् पावनं शरीर सर्वो मानव उपकारी।
सिंहा इह खेलनका जाता गौरिह पूज्या जनयित्री ।।
इह प्रभाते शङ्कध्वानः सायं सङ्गीतस्वान् ।
बाला-बाला देवी प्रतिमा वत्सोवत्सः श्रीरामः ।।
शब्दार्थाः- तुल्या = समान, ग्रामो ग्रामः = हर एक गाँव, बाला बाला - हर एक कन्या, प्रतिमा मूर्ति (स्वरूप), पावनं = पवित्र, खेलनका खिलौना, जनयित्री माता, इह यहाँ।
अर्थ –भारत की मिट्टी चंदन के समान है, हरेक गाँव तपोभूमि है, हर बाला (कन्या) देवी स्वरूपा है, और हर बालक श्रीराम रूप है। हर शरीर (प्राणी) मंदिर के समान पवित्र और प्रत्येक मनुष्य परोपकारी है, जहाँ के बच्चे सिंह से खिलौने की भाँति खेलते हैं (बालक भरत) और जहाँ गाय को माता स्वरूप माना जाता है। जहाँ का सवेरा शंखनाद और संध्या लोरी के साथ होती है। यहाँ हर बालिका को देवी स्वरूपा है और हल बालक श्रीराम रूप है।
अत्र कर्मतो भाग्य निर्मितः पौरूष निष्ठा कल्याणी।
अत्र त्याग तपस्या मिश्रा गाथा गायति कविवाणी।
अत्र ज्ञान प्रवाहो गङ्गगासलित निर्मलो ह्यविरामः ।
बाला बाला देवी प्रतिमा, वत्सो वत्सः श्रीरामः ।।
शब्दार्थाः- कर्मतो = कर्म से, पौरूष श्रम, कल्याणी = कल्याणकारी, अत्र = यहाँ, कविवाणी कवियों की वाणी, सलितः = जल, निर्मलो = पवित्र।
अर्थ-यहाँ कर्म से भाग्य का निर्माण होता है, श्रम सदैव कल्याणकारी होता है, यहाँ कवियों की वाणी त्याग और तपस्या की गाथाएँ गाती हैं। जहाँ का ज्ञान गंगा जल के समान पवित्र और अविराम है। यहाँ हर बालिका देवी स्वरूपा और हर बालक में श्रीराम का रूप है।
अत्रत्यैः सैनिकैः समरभुवि, सदा गीयते श्रीगीता ।
अत्र क्षेत्रे हलफालाधः खेलति सुकुमारी सीता ।
अत्र जीवनादर्श जटितो मङगलमय मणिरभिरामः ।
बाला-बाला देवी प्रतिमा वत्सोवत्सः श्रीरामः ।।
शब्दार्थाः- समरभुवि = रणभूमि में, गीयते = गान करते हैं, सदा = हमेशा, हलकाल = हल के, अद्यः = नीचे, जीवनादर्श = जीवन के आदर्श में, वत्सो वत्सः = हरबालक ।
अर्थ-जहाँ के सैनिक रणभूमि में गीता का गान करते हैं, जहाँ खेत में हल के नीचे सीता खेला करती है, जीवन का आदर्श जहाँ परमेश्वर का धाम (मुक्ति) है, अर्थात् जीवन का आदर्श मंगल (सुख) रूपी मणि से सुशोभित है। यहाँ की हर बालिका देवीस्वरूपा व हर बालक श्रीराम रूप है।
प्रश्न 1. निम्नलिखित का संस्कृत में उत्तर दीजिए-
(क) अस्माकं भारतभूमिः कीदृशी अस्ति ?
उत्तर - अस्माकं भारतभूमिः चन्दन तुलया अस्ति।
(ख) अत्र भारते गौः किं मन्यते ?
उत्तर- अत्र भारते गौः जनयित्री मन्यते ।
(ग) अत्रत्यै सैनिकः समरभुवि किं गीयते ?
उत्तर - अत्रत्यैः सैनिकः समरभुवि श्रीगीता गीयते ।
(घ) अत्र जीवनादर्श किं जटितम् ?
उत्तर - अत्र जीवनादर्श मङ्गगलमयमणिं जटितम् ।
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सिंहा इह खेलनका सन्ति ।
(ख) अत्र कर्मतः भाग्यनिर्मितिः भवति ।
(ग) अत्र क्षेत्रे सुकुमारी सीता खेलति।
(घ) अत्र जीवनादर्शे मङ्गलामणिः जटितः ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
(क) भारत भूमि का बच्चा-बच्चा श्रीराम है।
अनुत्राद-भारतभूमे वत्सोवत्सः श्रीरामः ।
(ख) यहाँ प्रभात में शंखध्वनि होती है।
अनुवाद-अत्र प्रभाते शंखध्वनिः भवति ।
(ग) यहाँ कविवाणी त्याग तपस्यामय गाथाएँ गाती हैं।
अनुवाद-अत्र कविवाणी त्यागतपोमय गाथां गायति ।
(घ) इस क्षेत्र में सुकुमारी सीता खेला करती है।
अनुवाद-अस्या क्षेत्रे सुकुमारी सीता खेलति।
प्रश्न 4. (क) निम्न पदों की सन्धि कीजिए -
(1) मानव + उपकारी = मानवोपकारी
(2) कर्मतः + भाग्यनिर्मितिः = कर्मतोभाग्यनिर्मितः
(ख) संधि विच्छेद कीजिए-
(1) ह्यविरामः = हि + अविरामः
(2) मणिरभिरामः = मणिः + अभिरामः
प्रश्न 5. निम्नलिखित का उत्तर दीजिए -
(क) 'जनयित्री' शब्द का पुल्लिङ्ग बताइए ।
उत्तर-जनक:
(ख) 'गाथा' शब्द की द्वितीया विभक्ति तथा वचन बनाइए।
उत्तर-गाथां
(ग) 'सैनिकैः' पद में शब्द तथा वचन बताइए।
उत्तर- शब्द = सैनिक, वचन = तृतीया बहुवचन ।
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