निबंध लेखन
1. 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस)
गणतन्त्र दिवस का अर्थ है- "जनता द्वारा जनता का शासन।" 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ। तब देश के विद्वानों और नेताओं ने भारत का संविधान तैयार हुआ। संविधान में देश का शासन चलाने के नियम हैं। यह नया संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ और भारत एक गणतन्त्र बना। इस महत्वपूर्ण घटना की याद में हर वर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है।
देश के सभी सरकारी भवनों पर प्रातः तिरंगा झण्डा फहराया जाता है। प्रभात फेरियाँ निकाली जाती हैं। सरकारी भवनों पर रात्रि को रोशनी की जाती है। रेडियो से राष्ट्र-गीत और प्रधानमन्त्री के सन्देश सुनाये जाते हैं।
इस दिन शालाओं में 7.30 बजे तिरंगा झण्डा फहराया जाता है। राष्ट्र-गीत, राष्ट्र-गान गाये जाते हैं। बच्चों के भाषण, गीत, कविता, खेल-कूद आदि के कार्यक्रम होते हैं। बच्चों में पुरस्कार और मिष्ठान वितरण किया जाता है।
यह दिन हमारे लिए खुशी और गौरव का है। देश भर में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए इसे राष्ट्रीय पर्व कहते हैं। इस पर्व को मनाने से सबको देश-सेवा और आजादी को अखण्ड बनाये रखने की प्रेरणा मिलती है।
2. होली
होली हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक त्यौहार है। यह त्यौहार हर वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके पीछे एक धार्मिक कहानी है। राक्षस राज हिरण्यकश्यप अपने को ईश्वर मानता था। उसका राज्य में आदेश था कि घर-घर में उसकी पूजा हो, पख्तु राजा का पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था। राजा ने उसे बहुत समझाया पर प्रहलाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी। राजा बहुत नाराज हुआ। राजा की बहिन होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। उसने बहिन को आज्ञा दी कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठे। होलिका ने भाई की आज्ञा का पालन किया पर ईश्वर भक्त प्रहलाद बच गया और होलिका जल गई।
पूर्णिमा की रात को लकड़ी, कण्डों का ढेर सजाकर उसमें आग लगाई जाती है। होलिका की मूर्ति भी कहीं-कहीं लोग जलाते हैं। लोग ढोल-मंजीरे बजाकर फाग के गीत (होली गीत) गाते हैं।
दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को होली भस्म, रंग, गुलाल लगाकर आपस में मिलते हैं। बच्चे पिचकारी चलाते हैं। मिठाई बनायी जाती है। सब तरफ प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है।
इस प्रकार अनेक रंग में मिलकर सब एकता के रंग में बँध जाते हैं। होली पर्व मेल-जोल की प्रेरणा देता है।
3. दीपावली
दीपावली का त्यौहार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक बड़ा धार्मिक-सामाजिक पर्व है। कहते हैं इस दिन भगवान श्री रामचन्द्र जी 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में लोगों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था।
दीपावली का अर्थ है-दीपों की कतार। दीपावली के कुछ दिनों पहले लोग घर-द्वार की लिपाई-पुताई करते हैं। नये कपड़े सिलवाते हैं। चारों तरफ सफाई दिखाई देती है। मिठाइयाँ, पटाखे, दीये आदि की दुकानें सजने लगती हैं। कार्तिक मास के तेरस से दूज तक 5 दिन तक यह त्यौहार चलता है।
पहला दिन धनतेरस का होता है। रात को तेरह दीये जलाये जाते हैं। यमराज की पूजा की जाती है।
दूसरे दिन नरक चौदस को दिन निकलने से पहले उठकर लोग स्नान करते हैं। फिर पूजा करते हैं।
तीसरा दिन बड़ा उत्साह का होता है। कार्तिक की अमावस्या की रात। सब तरफ सफाई और सजावट तथा हजारों दीपों की रोशनी की जाती है। लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। बताशे, फल, मिठाई का प्रसाद चढ़ता है। सब नये कपड़े पहनते हैं। पटाखे फोड़ते हैं। इस दिन व्यापारी नये बहीखातों की पूजा करते हैं।
चौथे दिन प्रतिपक्ष को गोवर्धन की पूजा होती है। पाँचवें दिन भाई पर्व दूज। यह भाई-बहिन के पवित्र प्रेम का दिन है। भाई की बहिन आरती उतारती है। अच्छा भोजन कराती है। भाई बहिन को उपहार देते हैं। इन बने पाँच दिनों में लोग एक-दूसरे से प्रेम से मिलते हैं। दीपावली आपसी मेल-जोल बढ़ाने का वैभवशाली त्यौहार है। इस त्यौहार के कारण चारों तरफ की सफाई हो जाती है। पुताई से बीमारी के कीड़े मर जाते हैं। मन और बाहर का अँधियारा दूर हो जाता है।
4. किसी महापुरुष की जीवनी
अथवा
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी
गाँधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक - स्थान में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ। पोरबन्दर में ही मैट्रिक पास कर ये उच्च शिक्षा हेतु विलायत गये।
विलायत से वापस आकर आपने मुम्बई में बैरिस्ट्री आरम्भ की, लेकिन शीघ्र ही वकालत छोड़कर देश की सेवा में जुट गये। उस समय भारत अंग्रेजों के अत्याचार से त्रस्त था। गाँधीजी ने अफ्रीका में भारतीयों की सहायता कर उन्हें उनके मानव अधिकार दिलाये। गाँधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे तथा स्वावलम्बी थे। इन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग तथा खादी आन्दोलन चलाये। नमक कानून और जंगल कानून तोड़ा तथा सत्याग्रह किया। तत्पश्चात् देश की स्वतन्त्रता के लिए अहिंसा के बल पर स्वतन्त्रता संग्राम में जुटे रहे। देश के नेताओं, शहीदों और भक्तों को एकत्र कर 'भारत छोड़ो आन्दोलन' चलाया। इन्हें कई बार अंग्रेजों ने जेल में दूँसा पर उनके विचार दृढ़ ही रहे।
गाँधीजी ने हरिजनों का उद्धार किया। शराबबन्दी और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सतत् प्रयत्न किये। 15 अगस्त, 1947 में भारत आजाद हुआ और 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना सभा में गाँधीजी को गोली से मार डाला। 'हे राम' कहकर बापू ने अपने प्राण से सच्चे देश-भक्ता महान् सन्त, समाज सुधारक थे जिन्हें हम राष्ट्रपिता या पूज्य बापू भी कहते हैं।
गाँधीजी खादी के वस्त्र पहनते थे। खुद चरखा चलाकर सूत कालते थे। इनके साथ पत्नी कस्तूरबा भी कदम से कदम मिलाकर चलती रहीं। तैलयन जन तो तेणे कहिये' और 'रघुपति राघव राजाराम' इनके प्रिय भजन थे। बापू सदा अमर रहेंगे।
5. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का अर्थ है- लड़कियों को बचाना और उन्हें शिक्षित करना।
इस योजना की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 2015 के जनवरी महीने में हुई। इस योजना का मकसद भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिये कल्याणकारी कार्यों की कुशलता को बढ़ाने के साथ-साथ लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिये भी है। यह योजना कन्या भ्रूण हत्या को जड़ से मिटाने के लिये लोगों से आह्वान भी करती है। हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी, 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सफलतापूर्वक इस योजना का आरम्भ किया गया।
लड़कियों के प्रति लोगों की विचारधारा में सकारात्मक बदलाव लाजा ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। भारतीय समाज में लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता बहुत क्रूर हो चुकी है। ऐसे लोगों का मानना है कि लड़कियाँ पहले परिवार के के । लिये बोझ होती हैं और फिर पति के लिये तथा ये सिर्फ सेवा करने के लिए होती हैं। इनका अपना कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता।
दुनिया की आधी जनसंख्या लगभग महिलाओं की है इसलिए वे धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिये आधी जिम्मेदार होती हैं। किन्तु लड़कियों को कम महत्व देने से धरती पर मानव समाज खतरे में पड़ जायेगा क्योंकि अगर लड़की (महिला) नहीं तो जन्म नहीं। लगातार प्रति लड़कों पर गिरता लड़कियों का अनुपात इस मुद्दे की चिन्ता को साफतौर पर दिखाता है। अतः बच्चियों की सुरक्षा, लड़कियों को बचाना, कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिये एवं उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये इस योजना की शुरुआत की गयी है।
6. रेल यात्रा
पिछले दिनों मैं रायपुर से पहली बार रेल द्वारा दिल्ली गया। इस यात्रा में मुझे अनेक सुखद अनुभव हुए।
रायपुर से छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस दिन के तीन बजे खाना हुई। मेरे साथ मेरी माँ, पिताजी तथा बड़ा भाई भी था। हम लोग मामा की लड़की की शादी में दिल्ली जा रहे थे। गर्मी के दिन थे। गाड़ी में बहुत भीड़ चल रही थी। हम लोगों का पहले से ही आरक्षण हो गया था, इसलिए तकलीफ नहीं हुई। सबसे पहले गाड़ी दुर्ग स्टेशन पर रुकी। वहाँ से भी बहुत भीड़ चढ़ी। वहाँ से गाड़ी राजनांदगाँव, डोंगरगढ़, गोंदिया आदि स्टेशन पर रुकती हुई रात में करीब दस बजे नागपुर पहुँची। नागपुर में हम लोगों ने रात का खाना खाया। इसके बाद सब सोने का इन्तजाम करने लगे। मैं नीचे खिड़की के पास बैठकर बाहर दूर-दूर तक फैले हुये अन्धेरे को देखता रहा, कुछ देर के बाद मुझे नींद आ गई। जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी। सुबह होते ही हम भोपाल पहुँच गये जहाँ चाय-नाश्ता किया, उसके बाद सब बैठकर हँसी-मजाक करने लगे। एक के बाद एक स्टेशन गुजरता गया और हम रात में करीब सात बजे दिल्ली पहुँच गय। दिल्ली में करीब एक सप्ताह तक ठके, पूरा दिल्ली घूम लिया। शादी खत्म होने के बाद उसी छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से फिर रायपुर आ गये। यह मेरी पहली रेल यात्रा थी।
7. विज्ञान के चमत्कार
आधुनिक युग में विज्ञान के इतने चमत्कार हो गये हैं कि उनको उंगलियों पर नहीं गिना जा सकता। विद्वान ने आज उसको सम्भव बना दिया है।
विज्ञान का सबसे बड़ा चमत्कार 'बिजली' है। यह आवाকাই दासी की तरह हमारे सारे कार्य करती है। बटन दबाते ही कमा से भर जाता है, स्विच घुमाते ही पंखा हवा देने लगता है। कॉल कर बजकर किसी के आगमन की सूचना देती है। बिजली भोजन बनाती है वस्त्रों की धुलाई करती है, घर की सफाई करती है। बिजली है कल-कारखाने चलते हैं। रेलगाड़ियाँ चलती है।
विज्ञान ने हमको यात्रा और यातायात के अनेक साधन वायुयान जलयान, रेलगाड़ियाँ, मोटरकार दी हैं। समाचार भेजने तथा सन्देश देने के साधन तार-टेलीफोन दिये हैं। विज्ञान ने हमको सिकना, टेलीविजन और रेडियो प्रदान किये हैं, जो मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा के साधन भी है। विज्ञान ने अब बीमारियों पर भी काबू पा लिया है। 'एक्सरे' से अब शरीर के भीतरी भागों का चित्र लिया जा सकता है।
सच तो यह है कि विज्ञान के चमत्कारों का जाल-सा फैल गया है। विज्ञान ने जहाँ मानव-जीवन को सुखी बनाने के साधन दिये हैं, वहीं उसे समाप्त करने के भी साधन बना दिये हैं। अणु बम एक पल में ही सारे संसार को नष्ट कर सकता है। इस प्रकार विज्ञान हमारे लिए वरदान तथा अभिशाप दोनों ही है। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह उसकी शक्ति का उपयोग किस प्रकार करे।
8. स्वच्छ भारत मिशन
प्रस्तावना-हम स्वच्छता के बारे में लोगों से कहते व सुनते हैं। साफ-सफाई हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह जीवन की प्रथम प्राथमिकता है।
सफाई का महत्व-सफाई का मतलब सफाई या स्वच्छता अर्थात् अस्छता या गंदगी हमारे आस-पास के वातावरण एवं जीवन को प्रभावित करती है। हमें व्यक्तिगत व आस-पास भी सफाई रखनी चाहिए। रोगियों की बढ़ती जनसंख्या तथा अस्पतालों पर ध्यान देने की आवश्यकता इस बात के महत्व को और भी अधिक स्पष्ट करती है। प्रदूषण से बचने के लिए कचरे का प्रबंध करना चाहिए।
स्वच्छ भारत मिशन-भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर, 2014 को गाँधी जयन्ती के दिन प्रारम्भ किया क्योंकि गाँधी जी का सपना स्वच्छ भारत का था। सफाई या स्वच्छता भारत के सभी नागरिकों की एक सामाजिक जिम्मेदारी बनती है। स्वच्छता से भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यदि हम इस पुनीत कार्य में हर हफ्ते 2 घण्टे समय लगाएँ तो स्वच्छ भारत की कल्पना साकार होना असम्भव नहीं है।
मिशन की सफलता हेतु प्रयास-छोटे बच्चे परिवार से सर्वप्रथम स्वच्छता का पाठ सीखते हैं फिर विद्यालयों में जाकर सफाई व स्वास्थ्य के महत्व के बारे में सीखते हैं। वे गन्दगी, कूड़े और कचरे से होने वाले नुकसान को भी समझते हैं। बच्चे स्वास्थ्य और सफाई के महत्व को समझेंगे तो उनमें अच्छे संस्कारों व विचारों का जन्म भी होगा। परिवार की भूमिका यहाँ अहम् है कि हम व्यक्तिगत सफाई के माध्यम से बच्चों को इसका महत्व समझाएँ।
प्राथमिकता गाँव को देनी होगी, गाँवों में कचरों के प्रबंध के लिए लोगों को जागरूक करना तथा ज्यादा से ज्यादा शौचालयों का निर्माण करना होगा। इस कार्य में नगर निगम व पंचायत की विशेष भूमिका है। भारत की स्वच्छता की यह कोशिश मानव श्रृंखला बनकर और विस्तार पा सकती है। संचार माध्यमों के द्वारा प्रसारण व चर्चाओं के द्वारा लोगों को जानकारी मिलेगी और वे अंततः प्रेरित होंगे।
उपसंहार-वर्तमान में लोग इस ओर स्वतः प्रेरित हैं, लोगों द्वारा स्वच्छता की ओर इस तरह हाथ बढ़ाना निश्चय ही कुछ वर्षों के बाद भारत को पश्चिमी देशों; जैसे-एकदम बढ़िया और सुन्दर देशों की गिनती में अग्रणी बनाएगा। एक कदम स्वच्छता की ओर यह पवित्र विचार हमें इस दिशा में आगे बढ़ने की ओर प्रेरित करेगा।
9. मोबाइल क्रांति
प्रस्तावना-वर्तमान युग में मोबाइल फोन जीवन की आवश्यकता बज गया है। आबाल-वृद्ध सभी के पास मोबाइल फोन दिखाई देता है। यह समय की माँग है, तभी सभी व्यक्तियों को इसने अपने घेरे में ले लिया है। यह आजकल सस्ता और सबके लिए उपयोगी बन गया है। आधुनिक जीवन में बिना मोबाइल के सभ्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आज की सभ्यता का प्रथम चरण इस बेतार के यन्त्र से ही प्रारम्भ होता है। इसने संसार की दूरी को बहुत ही कम कर दिया है। बातचीत की सुविधा घर से उठकर जेब में पहुँच गई है। घर-बाहर सभी समय यह इच्छित व्यक्ति से बात कराने में समर्थ है। बाहे कोई स्वजन देश में हो या विदेश में, हर समय उससे मोबाइल के द्वारा सम्पर्क साधा जा सकता है। ये फोन करने प्रकार के मॉडल्स में उपलब्ध हैं। इसमें अनेक क्रियाएँ सम्पन्न हो जाती हैं। यह सूचना को टेप कर लेता है, सन्देश एस.एम.एस. के द्वारा भेज सकता है, फोन करने वाले का नम्बर बता सकता है। वह इस समय कहाँ से बोल रहा है, यह जानकारी भी दे सकता है। फोटो खींच सकता है आदि। इतनी सारी क्रियाओं के सम्पादन के बदले हमें छोटी-सी कीमत देनी पड़ती है। मोबाइल कम्पनियों की प्रतिस्पर्द्धा के चलते ये फोन बहुत सस्ते हो गए हैं और इनसे बात करना भी सस्ता हो गया है।
व्यापार में तो मोबाइल फोन ने क्रान्ति ही ला दी है। शेयर बाजार की तो यह मानो जिन्दगी ही है। पल-पल में देश-विदेश की खबरें इसके माध्यम से शेयर बाजार के कर्मचारी लेते रहते हैं। इसके अलावा डॉक्टर, इंजीनियर, नैवीगेटर, पायलट, वैज्ञानिक आदि इसके माध्यम से समाज और अपने स्टाफ से सम्पर्क बनाए रखते हैं। आज तो किसान, विद्यार्थी, अध्यापक, साधारण श्रमिक सभी इसके उपयोग से लाभान्वित हो रहे हैं।
मोबाइल नेटवर्क बड़े-बड़े शहरों में तो संचालित है ही, देहात में भी इसका विस्तार किया जा रहा है। इससे ग्राम भी शहरों से जुड़ जाएँगे। यह साधन बीमारी के समय, बाहर यात्रा करते समय तथा किसी आकस्मिक दुर्घटना के समय हमारे बहुत काम आता है।
दुष्परिणाम-जिस प्रकार प्रत्येक वस्तु के दो पहलू होते हैं अच्छा और बुरा, इसी प्रकार मोबाइल फोन के भी दो पहलू हैं लाभ और हानि । हर उपयोगी वस्तु कोई न कोई हानि समाज पर छोड़ती है। यहाँ पर हम उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देकर ही उसका प्रयोग जारी रखते हैं। उस समय हम उसकी न्यूनतम हानियों को अनदेखा कर देते हैं। उदाहरण के लिए; जीवन रक्षक दवाएँ भी शरीर पर अपना कुप्रभाव छोड़ती हैं फिर भी हम उन्हें लेते हैं, क्योंकि वे हमारे लिए आवश्यक हैं। इसी प्रकार मोबाइल फोन की कतिपय हानियों को हम अनदेखा कर देते हैं।
हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को मोबाइल फोन के संचालन के असुविधा का सामना करना पड़ता है। इससे दिमाग में तनाव विकसित होता है। कभी-कभी तो मोबाइल फोन का धारक आराम भी नहीं कर पाता। वाहन चलाते समय इल करने से दुर्घटनाएँ बहुत होती है। कभी-कभी गलत और अश्लील संदेश (मैसेज) प्रसारित होते हैं। कभी कभी अश्लील चित्र भी इस पर भेज दिए जाते हैं। मोबाइल धारक धमकी आदि दिये जाने की भी शिकायत करते रहते हैं। कभी-कभ यह हमारे काम में बाधा उत्पन्न करने वाला बन जाता है।
उपसंहार-जो भी है, मोबाइल फोन आज के युग का सर्वाधिक प्रचलित आविष्कार है जिसने कि मानव समाज पर अपना अधिकार जमा लिया है।
10. जीवन में व्यायाम का महत्त्व
कहते हैं स्वस्थ शरीर में सुन्दर विचार का समावेश होता है। शरीर एक चलता-फिरती मशीन है। कब कौन-सा अंग काम करना बंद कर दूसरा कोई गारन्टी नहीं दे सकता है और न ही ले सकता है। इसीलिए कहते हैं चलती का नाम गाड़ी कब श्वास रुक जाए और हम प्रभु का प्यारे हो जाएँ। व्यायाम का अर्थ है शरीर के अंगों को फ्री करना अंगों में किसी प्रकार की कोई परेशानियाँ न हों और खून की रफ्तार बनी रहे। इसी लिए व्यायाम हम करते हैं। व्यायाम करने वाला व्यक्ति कभी भी जीवन में बीमार नहीं पड़ता। शरीर का प्रत्येक अंग क्रियाशील होकर सुचारु रूप से काम करता है। आत्म विश्वास में वृद्धि करता है। मन और शरीर निरोग रहता है। व्यायाम करने के अनेक तरीके हैं-खेलना कूदना पैदल चलना जिमनॉस्टिक, तैरना, क्रिकेट, फुटबॉल और अन्य खेल खेलना भी व्यायाम के तरीके हैं। आसन और प्राणायाम भी व्यायाम के ही अंग हैं। योगासन सभी समूह के लोग कर सकते हैं। व्यायाम या योगासन करने से शरीर फुर्तीला और निरोगी बनता है व्यायाम और योगासन से शरीर के सारे अंग क्रियाशील होते हैं। व्यायाम और योगासन एक ऐसा अमूल्य साधन है मनुष्य को जीवन भर स्वस्थ रखने का दूसरा कोई साधन नही है जो मनुष्य को स्वस्थ रख सके। ये बिना पैसा खर्च करे प्राप्त प्राकृतिक संजीवनी बूटी है जो आपको सदा स्वस्थ और तरोताजा रखती है और कोई दूसरा साधन नहीं है मनुष्य को निरोग रखने का। हम प्रतिदिन व्यायाम करें और स्वस्थ रहें।
11. कोरोना वायरस
प्रस्तावना - विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस बहुत सुक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस लोगों की बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है। लेकिन कोरोना का संक्रमण दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है।
कोरोना वायरस का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण से जुकास से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसम्बर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लू, एच.ओ. के अनुसार बुखार, खाँसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण है। धीरे-धीरे यह विश्व के अधिकांश देशों में फैलने लगा। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। इससे बचने के लिए सोशल डस्टेसिंग का पालन करने की सलाह दी जा रही है ताकि इस वायरस से बचा जा सके। यही कारण कि पूरे देश में लॉकडाउन किया गया।
कोरोना वायरस से बचाव के लिए भारत में टीकाकरण अभियान प्रारम्भ हो चुका है। सभी को टीका लगाया जा चुका है।


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