डॉक्टर्स डे पर कविता (पहेली रूप में)
मैं तुमसे पूछूं एक पहेली,
उत्तर तुम दे देना जल्दी,
जो जल्दी बुझ यह पाएगा,
वह ही बुद्धिमान कहलाएगा।
जब तुम होते बीमार,
डेंगू,मलेरिया या हो बुखार,
मैं करता शीघ्रता से उपचार,
जब किसी को सताता रोग,
मेरे पास सब भागे आते लोग,
मेरी उपस्थिति ही इलाज की शुरुआत,
इसलिए ही तो मेरे लिए एक जुलाई होता कुछ खास ,
जब कोरोना आई थी बन महामारी,
बेबस थी ये दुनिया सारी ,
तब बन कर मैने सच्चा योद्धा,
मैने तन,मन,प्राण सब था झोंका ,
अब बताओ मेरा नाम?
बच्चों मत हो जाना तुम नाकाम।
–अर्चना शर्मा
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