शब्दार्थ:-
स्वेद= पसीना
शस्य=धान, अन्न,
उर्वरा= उपजाऊ
सुकर्म - अच्छा कार्य,
विस्तृत= व्यापक
स्वाश्रयी =स्वयं पर आश्रित सहयोगी,
सुरभि = सुंगध
सख्य = सखा या मित्र भाव,
आत्मदान = बलिदान
गेह = घर,
प्रमाद = आलस्य
महानिशा= गहन रात्रि , रात्रि का मध्य भाग।
कविता का हिंदी अनुवाद Click Here
प्रश्न 1 : नई उषा से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर : नई उषा के कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है, कि परतंत्रता अर्थात गुलामी की रात्रि का अंत हो चुका है और स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थात आजादी मिलने के बाद हमें विकास के नए अध्याय को तय करना है कवि ने नई उषा को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के प्रातः काल से इंगित किया है। अतः आजादी को ही कवि ने इस कविता में नई उषा माना है।
प्रश्न 2 : सभी मनुष्य में किन- किन गुणों का विकास होना चाहिए?
उत्तर : कवि के अनुसार सभी मनुष्यों में विवेक , ज्ञान, दया, सत्य, सहानुभूति, मैत्री भाव एवं आपसी प्रेम भाव आदि गुणों का विकास होना अनिवार्य माना है।
प्रश्न 3 : कविता में कवि के 'प्राण - प्राण गा उठे 'कहने का क्या आशय है?
उत्तर : प्रस्तुत कविता के माध्यम से "कवि के प्राण गा उठे "कहने का तात्पर्य यह है कि हमारा समाज अब स्वाश्रयी हो गया है। अर्थात जब हमारा समाज स्वयं पर आश्रित हो जायेगा तो देश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति खुशियों से खिल उठेगा और सभी लोग प्रसन्नता से जीवन यापन करेंगे अर्थात सम्पूर्ण देशवासी खुशहाली की ओर अग्रसर हो जाएंगे।
प्रश्न 4 : समाज को स्वावलंबी कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर : समाज के लोगों के द्वारा अच्छे कार्य करते हुए आपसी कलह एवं द्वेष को मिटाकर परस्पर सहयोग एवं प्रेम की भावना को जाग्रत कर समाज को स्वावलंबी बनाया जा सकता है।
प्रश्न 5 : नई उषा शीर्षक कविता में कवि ने किन - किन परिवर्तनों के और संकेत करता है?
उत्तर : प्रस्तुत कविता "नयी उषा "शीर्षक कविता के कवि ने आजादी के बाद भारतीय नागरिकों में अज्ञानता को दूर करने व शिक्षा के अधिकार अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करने का अधिकार एवं अपनी उन्नति के लिए प्रयास करने और आगे बढ़ने की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 06 : कविता में वर्णित वसुंधरा शस्य श्यामला सदा कैसे बनी रह सकती है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :- कवि ने स्वतंत्र भारत के युवापीढ़ी से कहा है यह कि तुम परिश्रम करो। तुम्हारे पसीने से यह धरती उपजाऊ बनेगी और हमेशा हरी भरी फसले खेतों में लहराती रहेगी। अर्थात हमारी धरती परिश्रम के द्वारा ही सदैव हरी भरी व उपजाऊ बनी रह सकती है।
प्रश्न 7 : प्रमाद की महानिशा बीतने से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : प्रमाद की महानिशा बीतने से कवि का तात्पर्य परतंत्र की दुःख भरी रात्रि के अंत से है अर्थात जब आलस्य रूपी गहरी रात्रि बीत जाएगी तो परिश्रम से किये गए कार्य का यशगान चारो दिशाओ में व्याप्त हो जायेगा।
प्रश्न 8 : प्रस्तुत कविता नवयुवकों के मन में किन - किन भावों का संचार कर रही है?
उत्तर : प्रस्तुत कविता से नवयुवकों के युवा मन में परिश्रम एवं संकीर्णताओं से ऊपर उसका अशिक्षा, अज्ञान और अन्याय के प्रति लोगो का सतर्क करने प्रेम, दया, सारक्षता जैसे अनेक भावों का संचार कर रही है।
प्रश्न 9 : यह कविता नवयुवकों को क्या संदेश दे रही है?
उत्तर : प्रस्तुत कविता नवयुवकों को आलस्य को त्याग कर अपने कर्मक्षेत्र में जी जान लगाकर जुट जाने का संदेश प्रदान कर रही है। अर्थात नई उषा कविता आजादी मिलने के बाद कवि ने नवयुवकों को प्रोत्साहित करने के लिए लिखा और युवा वर्गो को संदेश दिया है कि हर तरह के भेदभाव को भूलाकर प्रेम का भाव अपने और सभी में प्रवाहित करो मेहनत करो जिससे अपने समाज का और हर देश का भला कर सके और सदैव एक नयी सुबह की किरण के समान रौशन होकर प्रगति करो जिससे देश का भी विकास होगा कवि ने नवराष्ट्र के निर्माण का आह्वान युवकों से किया है।
पाठ से आगे
प्रश्न 01 : कविता की इन पंक्तियों के भाव को अपने शब्दों में लिखिए-
उठों, चालों, बढों, समीर शंख है बजा रहा,
भविष्य सामने खड़ा प्रशस्त पथ बना रहा।
प्रवाह स्नेह का प्रत्येक प्राण में पला करें,
प्रदीप ज्ञान का प्रत्येंक गेह में जला करें ।
उत्तर : सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक "भारती" के नयी उषा "नामक पाठ से लिया गया है इसके रचयिता श्री सत्यनारायण लाल जी है।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने हमारे युवा वर्गो को प्रेरित करने की बात कही है।
व्याख्या - कवि युवा पीढ़ी का सम्बोधन करते हुए कहते है कि नवयुवक उठो और आगे बढ़ो हवाएं तुम्हारी उन्नति के रास्ते पर शंख बजाकर विकास का मार्ग दिखा रही है अर्थात आलस्य का त्याग कर के तुम पुनः उठ कर तैयार हो जाओ और प्रगति पथ पर आगे बढ़ो। शीतल वायु तुम्हारा आह्वान शंख की मंगल ध्वनि से कर रही है। तुम्हारा उज्जवल भविष्य सामने खड़ा है। उसे सुखी बनाने के लिए सदा आगे की ओर अग्रसर हो। सभी मानव के प्राण में प्रेम भाव का संचार हो रहा है और देश भर में शिक्षा एवं ज्ञान का प्रकाश फैले अर्थात अज्ञानता समाप्त हो जाये अर्थात सभी व्यक्तियों के मन में ज्ञान का दीपक जले।
प्रश्न 02 : उषाकाल में हमारे आस पास के परिवेश में क्या परिवर्तन नजर आता है और हमें कैसा महसूस होता है? लिखिए ।
उत्तर : उषा काल में सूरज की सुनहरी किरणों से हर चीज सोने जैसे चमकती है कमल खिल जाते है, चिड़िया घोसला छोड़ कर चहचहाने लगती है , हर किसी का मन प्रसन्नता से खिल उठता है। दिन भर कार्य करने की नई ऊर्जा सभी को प्राप्त होती है।
प्रश्न 03 : स्वाश्रयी अथवा स्वनिर्भर समाज से आप क्या समझते हैं? शिक्षक से चर्चा कर इसकी विशिष्टताओं को लिखिए।
उत्तर :- स्वाश्रयी अथवा स्वनिर्भर समाज का अर्थ स्वयं पर निर्भर रहना या होना। अर्थात जब व्यक्ति स्वयं पर निर्भर हो जाता है तो वह अपना कार्य स्वयं करता है। उसकी अपनी स्वयं का पहचान अपने कर्म से होती है यही एक स्वनिर्भर और सभ्य समाज की पहचान है।
भाषा से आगे
प्रश्न 01: कविता में अरुण, प्रभात, स्वेद, धरा, सुकर्म, शस्य जैसे शब्द आए हैं, जिन्हें हम 'तत्सम' शब्द कहते हैं। तत्सम (तत् + सम = उसके समान) आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त ऐसे शब्द हैं जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले ले लिया गया है। अर्थात ये शब्द सीधे संस्कृत से आये हैं। कविता से ऐसे शब्दों का चुनाव कर उनका अर्थ अपनी भाषा में स्पष्ट करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :-
(i) उषा = सुबह-सुबह :- सुबह टहलना सेहत के लिए लाभकारी है।
(ii) नवीन = नया सौ दिन। :- नया नौ दिन, पुराना
(iii) समीर = हवा :- हवा बहुत शीतल है।
(iv) स्वर्ण = सोना है। :- सोना मूल्यवान धातु
(v) प्रमाद = आलस्य :- विद्यार्थियों को आलस्य को त्याग देना चाहिए।
प्रश्न 02 : नई किरण, नए संदेश, खिले कमल जैसे शब्द कविता की पंक्तियों में प्रयुक्त हुए हैं, जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बता रहे हैं अथवा उत्पन्न कर रहे हैं, जिन्हें हम विशेषण कहते हैं। कविता में प्रयुक्त ऐसे विशेषणों को पहचान कर उनकी जगह नए विशेषणों के सार्थक प्रयोग कीजिए। जैसे-सुनहली किरण, शुभ संदेश, मुस्कुराते कमल ।
उत्तर :- (i) प्रभात मुस्कुराया (ii) गगन विकास (iii) धरा उर्वरा (iv) प्रदीप ज्ञान।
प्रश्न 03 : उठो, उठो नए संदेश दे रही दिशा- दिशा।
पूर्व दिशा, सूरज, चहचहाना, पक्षी, रात, अँधेरा, खिला, किरण, बाग-बगीचे।
जागो-जागो हुआ सवेरा।.
उत्तर :-
(i) सूरज से फैले उजियारा
(ii) कमल खिल उठा प्यारा -प्यारा
(iii) पूर्व दिशा खुशियों का प्याला।
(iv) बाग-बगीचे में भवरा -न्यारा
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