पाठ 3 विद्रोही शक्ति सिंह
पाठ से
प्रश्न 1. शक्ति सिंह कौन था उसने क्या प्रतिज्ञा की थी ?
उत्तर – शक्ति सिंह महाराणा प्रताप का छोटा भाई था । उसने महाराणा प्रताप के प्राण लेने की प्रतिज्ञा की थी ।
प्रश्न 2. राजपूत बाला की आँखों से चिंगारियाँ क्यों निकलने लगीं ?
उत्तर - शक्ति सिंह द्वारा मुगल सेना बुलाने और ये कहने पर कि महाराणा प्रताप की हार निश्चित है कहने पर राजपूत बाला ने कहा " भाई पर क्रोध करके देशद्रोही बनोगे " कहते - कहते उस राजपूत बाला की आँखों से चिंगारियाँ निकलने लगीं ।
प्रश्न 3. महाराणा प्रताप से शक्ति सिंह की अनबन क्यों हुई ? उत्तर- महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह में शिकार पर अधिकार को लेकर अनबन हुई । जिसको एक साथ ही दोनों के बाणों ने घायल किया था ।
प्रश्न 4. शक्ति सिंह का अंतिम निर्णय क्या था ?
उत्तर - अपनी मातृभूमि की मर्यादा की रक्षा में अपने प्राणों को न्यौछावर करते राजपूतों को देखकर शक्ति सिंह को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अंतिम निर्णय लिया कि के अपने भाई का साथ देंगे और दोनों मुगल सरदार को मार कर महाराणा के सामने नतमस्तक होकर कहा कि आपकी आज्ञा हो तो इन चरणों पर अपना शीश चढ़ाकर प्रायश्चित कर लूँ ।
प्रश्न 5. मानसिंह की कुमंत्रणा क्या थी ?
उत्तर- मानसिंह अकबर की सेना का प्रधान सेनापति था और मुगलसेना का नेतृत्व कर रहे थे । महाराणा प्रताप को मुगल बादशाह की मैत्रीपूर्ण दास्ता पसंद न थी इसी बात पर महाराणा प्रताप और मानसिंह में अनबन हो गई थी फलस्वरूप मानसिंह के भड़काने से अकबर ने स्वयं मानसिंह और सलीम की अध्यक्षता में मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए सेना भेजी ।
प्रश्न 6. मन्ना जी ने मेवाड़ का राजचिन्ह अपने मस्तक क्यों धारण किया ?
उत्तर- मन्ना जी ने मेवाड़ का राजचिन्ह अपने मस्तक में इसलिए धारण किया ताकि मुगलों की सेना भ्रमित हो जाए और महाराणा प्रताप युद्ध क्षेत्र से सकुशल निकल जाए ।
प्रश्न 7. शक्ति सिंह की आँखें ग्लानि से क्यों छलछला गई ?
उत्तर- युद्ध क्षेत्र में अपने राजपूत भाइयों के कटे शव , कहीं कटी हुई भुजाएँ , कटा धड़ , खून से लथपथ मस्तक भूमि पर पड़े देखकर शक्ति सिंह की आँखें ग्लानि से छलछला गईं और वे सोचने लगे कि ये सब भी राजपूत थे । मेरी ही जाति के खून थे ।
प्रश्न 8. युद्ध अथवा उस मारकाट के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर- युद्ध अथवा उस मारकाट के परिणाम यह हुए कि जन्मभूमि के चरणों पर राजपूत वीरों ने अपने प्राणों को उत्सर्ग कर दिया । बाइस हजार राजपूत वीरों में से केवल आठ हजार बच गए थे ।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. पाठ में महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह दो चरित्र हैं । दोनों को पढ़ते हुए कौन से चरित्र आपको आकर्षित करते हैं ? विचार कर लिखिए ।
उत्तर- पाठ में महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह दो चरित्र हैं । इनमें से हमें शक्ति सिंह का चरित्र आकर्षित करता है । शक्ति सिंह वीर , पराक्रमी , और स्वाभिमानी थे । शक्ति सिंह संवेदनशील भी थे अपने राजपूत भाइयों के क्षत - विक्षत लाश को देखकर उनकी आँखें ग्लानि से छलछला गईं । कोमल हृदयी थे अपने भाई से प्रेम करते थे । मातृभूमि के प्रति प्रेम की भावना का एहसास होते ही महाराणा के चरणों में नतमस्तक हो गए ।
प्रश्न 2. यदि शक्ति सिंह ने महाराणा प्रताप का पीछा न किया होता तो उसका क्या परिणाम हुआ होता ? सोचकर लिखिए ।
उत्तर – यदि शक्ति सिंह ने प्रताप का पीछा न किया होता तो चेतक को अपनी जान गवानी पड़ती । शक्ति सिंह रक्षाक्षेत्र में युद्ध करते मारा भी जा सकता था । जीवित रहने की स्थिति में उसके हृदय में प्रताप से प्रतिशोध लेने की भावना बनी रहती ।
प्रश्न 3. शक्ति सिंह की पत्नी मोहिनी के भाव को समझाते हुए उसकी चारित्रिक विशेषताओं को परस्पर बातचीत कर लिखिए ।
उत्तर - मोहिनी शक्ति सिंह की पत्नी थी उसने अपने पति शक्ति सिंह को महाराणा प्रताप के विरुद्ध युद्ध न करने तथा अपनी मातृभूमि से द्रोह न करने की बात समझाई थी । वह बहुत सुशील एवं विदुषी थी । देश - प्रेम की भावना उसमें कूट - कूट कर भरी थी ।
प्रश्न 4. दो भाइयों के संबंधों को हम कहानी में देखते हैं । हमारे आस - पास के परिवेश में भाई - भाई के संबंधों को देखकर क्या महसूस करते हैं ? आपस में बात कर लिखिए ।
उत्तर- हमारे आस - पास के परिवेश में भाई - भाई के संबंध को देखकर हम महसूस करते हैं कि जब भी परिवार में कोई बड़ा क अवसर आता है चाहे वह दुख हो या सुख भाई - भाई के संबंध में आज भी अपनत्व की भावना देखने को मिलती है । परन्तु आज हूँ औद्योगीकीकरण और नगरीकरण के फलस्वरूप संयुक्त परिवार टूट तलाश में लोग पलायन कर रहे हैं जिसके कारण आने वाली नई पीढ़ी को संयुक्त परिवार का सामाजिक नैतिक मूल्य देन नहीं पता और उनमें विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है । इस प्रकार भाई - भाई के संबंध में दोनों पक्ष देखने को मिलते हैं ।
भाषा से
प्रश्न 1. पाठ में आए हुए निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़िए
( क ) शक्ति सिंह ने एक लंबी साँस फेंकी और अपनी स्त्री की ओर देखा ।
( ख ) शक्ति सिंह के हृदय में भाई की ममता उमड़ पड़ी , फिर एक आवाज आई- रुको ।
ऊपर के उदाहरण ( क ) में वाक्य ' और ' ( ख ) में फिर ' के द्वारा जुड़ते हैं जिन्हें हम समुच्चय बोधक अव्यय कहते हैं ।
दो शब्दों , वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने का कार्य करने वाले अव्यय समुच्चय बोधक अव्यय कहे जाते हैं । आप समुच्चय बोधक अव्यय के पाँच उदाहरण बनाएँ ।
उत्तर - 1. मैं पढ़ता परन्तु पुस्तक नहीं थी ।
2. यदि तुम परिश्रम करते तो अवश्य ही उत्तीर्ण हो जाते ।
3. तनु और नुपूर विद्यालय जाती हैं ।
4. सोहन कल आया और आज लौट गया ।
5. यदि तुम चाहो तो ये काम जरूर कर सकते हो ।
प्रश्न 2. पाठ में इन शब्दों के प्रयोग को आप देख सकते हैं— भूरे बादल , उन्मादपूर्ण हँसी , अटल धैर्य , नया उत्साह , विकट समय , सस्ता जीवन , प्रलय राग ये प्रयोग विशेषण विशेष्य के उदाहरण हैं । पाठ से आप इसी प्रकार के अन्य उदाहरण को खोजकर लिखिए और विशेष्य तथा विशेषण को चिन्हित कीजिए ।
उत्तर – विशेषण विशेष्य
लंबी साँस
चतुर सिपाही
सूखे डण्ठल
काले बादल
दुर्गम मार्ग
डबडबाई आँखें
विकट समय
विषैले बाण
भूरे बादलों
प्रश्न 3. पाठ में बहुत से स्थानों पर योजक चिन्ह ( - ) का प्रयोग किया गया है । पाठ से इन्हें खोजकर लिखिए और योजक चिन्ह ( - ) का प्रयोग कहाँ होता है इसे किताब में से ढूँढकर पढ़िए और समझिए ।
उत्तर – एक - दूसरे , दिन - भर , कहते - कहते , नस - नस , पत्ता - पत्ता , पशु - पक्षी , अपने - अपने , तितर - बितर , कट - कटकर , फूली - फली , देखते - देखते , उथल - पुथल , धाय - धाय , जीते - जागते , लस्त - पस्त आदि । विशेष्य साँस सिपाही डंठल विकट विषैले जब दोनों पद प्रधान हों तो वहाँ योजक चिन्ह का प्रयोग होता है । दोनों पदों के बीच में ' और ' का लोप होता है ।
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