हिंदी कक्षा 7 वीं पाठ 22 सुब्रहण्य भारती

 पाठ 22 सुब्रहण्य भारती



पाठ से

अभ्यास

प्रश्न 1. सुब्बैया का नाम भारती कब और क्यों पड़ा ? उत्तर- सुब्वैया को बचपन से ही कविता करने का शौक था। ग्यारह वर्ष की आयु में ही एट्टयपुरम् के राजा ने कविता पाठ के लिए राज दरबार में उसे आमंत्रित किया। राजा के दरबार में एकत्रित हुए विख्यात कवि उसके कविता पाठ को सुनकर दंग रह गये। उन्होंने उसे 'भारती' की उपाधि से विभूषित किया। तभी से सुब्बया - 'सुब्रह्मण्य भारती' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

प्रश्न 2. बनारस में रहते हुए सुब्बैया के व्यक्तित्व में क्या परिवर्तन आया ?

उत्तर-बनारस में रहते हुए सुब्वैया के व्यक्तित्व में बहुत परिवर्तन आया। उन्होंने बड़ी-बड़ी पैनी मूँछे रख लीं। वे सिर पर पगड़ी पहनने लगे। उनकी विचारधारा में भी महान परिवर्तन आया। उनके हृदय में उग्र राष्ट्रीयता के बीज के कारण, उन्हें ब्रिटिश राज के बंधन में बँधे भारतीयों का दुःख व उनकी पीड़ा महसूस होने लगी।

प्रश्न 3. भारती स्वयं का साप्ताहिक अखबार क्यों निकालने लगे ?

उत्तर- भारती के दृढ़, उग्रवादी विचारों को कोई भी छापने को तैयार नहीं था क्योंकि वे सरकार के क्रोध से डरते थे इसलिए उन्होंने स्वयं का साप्ताहिक अखबार 'इंडिया' निकालने का विचार किया।

प्रश्न 4. भारती अपने लेखन में अक्सर किस बात को व्यक्त करने पर जोर दिया करते थे ?

उत्तर- भारती अपने लेखन में अक्सर यह बात व्यक्त करते थे कि समस्त जीवित प्राणी उस सर्वोच्च शक्ति की अनुपम रचना है और उसकी नजर में हम सब बराबर हैं।

प्रश्न 5. महात्मा गाँधी ने भारती जी के बारे में क्या कहा था ?

उत्तर- गाँधी जी ने भारती के बारे में कांग्रेसी नेताओं और देश भक्तों से कहा था कि, “भारती देश का एक ऐसा रत्न है। जिसकी सुरक्षा और संरक्षण करना चाहिए।"

प्रश्न 6. भारती ने स्वतंत्र भारत में कैसे लोगों की कल्पना की थी ?

उत्तर- भारती ने स्वतंत्र भारत में ऐसे लोगों की कल्पना की थी जो उच्च विचारों को आत्मसात कर उन्हें बढ़ावा दें।

प्रश्न 7. हाथी के हमले के समय भारती को क्यों कोई बचा नहीं पाया ?

उत्तर- हाथी के हमले के समय भारती को कोई इसलिए । नहीं बचा पाया क्योंकि उस दिन हाथी मस्ती में था और लोग डरे थे कि वह उन्हें घायल न कर दे।

प्रश्न 3. बॉक्स में दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द भी दिए गए हैं उनकी सही जोड़ी बनाइए-

स्वतंत्र आजाद

समुद्र सागर

निलय ग्रह

मनुष्य मानव

भारती सरस्वती 

वाराणसी बनारस

 जगत भव

वसुधा  धरती

निर्बल   क्षीण

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