हिंदी कक्षा 5 पाठ 1 मैं अमर शहीदों का चारण – श्रीकृष्ण सरल/ MAIN AMAR SHAHIDON KA CHARAN

मैं अमर शहीदों का चारण 

 श्रीकृष्ण सरल



मैं अमर शहीदों का चारण
उनके गुण गाया करता हूँ
जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है,
मैं उसे चुकाया करता हूँ।
भावार्थ
कवि कहते है कि मैं उन लोगों के कीर्ति का गायन करनेवालों का कीर्ति गायक हूँ जिन्होंने देश के लिए प्राणों को बलिदान कर दिया मैं उनका यश गान करता हूँ
चूंकि भारत उनके बलिदान की कीमत पर स्वतंत्र हुआ है इसलिए यह उनका ऋणी है,और मैं उसी ऋण को उनके यश गान करके चुकाता हूँ।

यह सच है, याद शहीदों की
 हम लोगों ने दफनाई है
यह सच है, उनकी लाशों पर
चलकर आज़ादी आई है,
उन गाथाओं से सर्द खून को मैं गरमाया करता हूँ।
मैं अमर शहीदों का चरण उनके यश गाया करता हूँ।

भावार्थ
यह सच है कि आज हमने उनको भूला दिया है जिनके बलिदान के कारण हमको आजादी प्राप्त हुई है।
मैं उनके यश गायन के माध्यम से आज के लोगों में ठंडी पड़ गयी देशभक्ति और उत्साह को फिर से जगाता हूँ।

गिरता है उनका रक्त जहाँ,
वे ठौर तीर्थ कहलाते हैं,
वे रक्त—बीज, अपने जैसों की
 नई फसल दे जाते हैं।
यह धर्म—कर्म यह मर्म सभी को मैं समझाया करता हूँ।
मैं अमर शहीदों का चरण उनके यश गाया करता हूँ।
 भावार्थ –वे वीर जहाँ भी बलिदान हुए वह स्थान तीर्थ स्थल बन गया है। वे वीर रक्त बीज के समान है जिनके उत्साह ,वीरता और बलिदान से प्रेरित हो कर उन जैसे अनेक वीर पैदा हो जाते है। मैं उन वीरों का यशगान के माध्यम से सबको  इस रहस्य को समझता हूँ कि देशभक्ति ही उनका धर्म और कर्म था।

वे अगर न होते तो भारत
मुर्दों का देश कहा जाता,
जीवन ऐसा बोझा होता
जो हमसे नहीं सहा जाता,
इस पीढ़ी में, उस पीढ़ी के मैं भाव जगाया करता हूँ।
मैं अमर शहीदों का चारण उनके यश गाया करता हूँ।
भावार्थ
अगर वे वीर नहीं होते तो आज भारतवासी मुर्दे के सामान होते जो अपने अधिकारों के लिए आवाज़ नही उठा पाते और अत्याचार को सहते रहने के कारण   जीवन बोझ बनकर असहनीय हो जाता।इसलिए मैं  वीर बलिदानियों की वीरता साहस का वर्णन कर उस पीढ़ी की वीरता, साहस औऱ पराक्रम के भाव को इस पीढ़ी में भी जगाता हूँ।

पूजे न शहीद गए तो फिर
 यह बीज कहाँ से आएगा?
धरती को माँ कह कर,
 मिट्टी माथे से कौन लगाएगा?
मैं चौराहे—चौराहे पर ये प्रश्न उठाया करता हूँ।
जो कर्ज ने खाया है, मैं चुकाया करता हूँ।
भावार्थ
अगर आज हम उन वीरों की भूल गए तो उनसे प्रेरणा ले कर नए देशभक्त कहाँ से पैदा होंगे, जो देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने की तैयार रहेंगे।
इसी प्रश्न को मैं प्रत्येक चौराहों पर उठाया करता हूँ।
चूंकि भारत उनके बलिदान की कीमत पर स्वतंत्र हुआ इसलिए भारत उनका ऋणी है और उनके यष गान कर के मैं उस ऋण को चुकता हूँ।
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निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो––
1. यदि देशभक्तों ने अपनी कुर्बानी न दी होती तो देश पर क्या प्रभाव पड़ता?
उत्तर– यदि देशभक्तों नेअपनी कुर्बानी न दी होती तो आज भी देश  अंग्रेजों का गुलाम होता।

2. कवि किसका यशगान कर रहा है?
उत्तर – कवि उन वीर शहीदों का यशगान कर रहा है जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान कर दिया।

3. राष्ट्र के कर्ज को कवि किस प्रकार चुकाना चाहता है?
उत्तर–  राष्ट्र के कर्ज की कवि वीर शहीदों का यशगान कर के चुकाना चाहता है।

4. कवि के अनुसार यदि शहीदों को पूजा न गया तो उसका क्या परिणाम होगा ?
उत्तर–यदि शहीदों को पूजा न गया तो उनसे प्रेरणा लेने वाले देशभक्त पैदा नही होंगे।

5. कवि के अनुसार जहाँ  शहीदों का रक्त गिरता है ,उस स्थान को क्या कहते हैं?
उत्तर–कवि के अनुसार जहाँ शहीदों का रक्त गिरता है, उस स्थान को तीर्थ कहते हैं।
 –अर्चना शर्मा छत्तीसगढ़

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