हिंदी कक्षा 6वीं पाठ 13 आलसीराम

13. आलसीराम 

 श्री नारायण लाल परमार 



1. अंगद अंगद ही था 

संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक निगम छत्तीसगढ़ ‘ भारती ' के ' आलसीराम ' नामक पाठ से लिया गया है । जिसके लेखक श्री नारायण लाल परमार जी है । 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति में लेखक ने अंगद के व्यवहार का वर्णन उसके नाम के अनुरूप किया है ।

व्याख्या - जिस तरह रावण के दरबार में बालीपुत्र अंगद ने अपने पैर जमा दिये थे जो टस से मस न हो सका ठीक उसी तरह इस कहानी का नायक अंगद बहुत ही आलसी था । वह जहाँ बैठ जाता फिर बैठे ही रहता था । न खाने का होश और न पीने का ठिकाना । उस पर किसी की बातों का प्रभाव भी नहीं होता था ।

2. अंगद था कि राग द्वेष से परे जिए चला जा रहा था ।

संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक निगम छत्तीसगढ़ ‘ भारती ' के ' आलसीराम ' नामक पाठ से लिया गया है । जिसके लेखक श्री नारायण लाल परमार जी है । 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति में अंगद के निश्छल हृदय का वर्णन किया गया है ।

व्याख्या - अंगद केवल आलसी ही नहीं था उसे न तो किसी से लगाव था और न ही द्वेष । उसे अपने - पराये सब बराबर लगते थे । उस पर मान - अपमान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था । उसे अपने परिवार की कोई चिंता नहीं थी । मिलता तो खा लेता था न मिले तो भी जीवन जी लेता था । 

3. वह भूतकाल को भूल गया और जुट गया था स्वर्ग बनाने में , अपने गाँव को , अपनी धरती को । 

संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक निगम छत्तीसगढ़ ‘ भारती ' के ' आलसीराम ' नामक पाठ से लिया गया है । जिसके लेखक श्री नारायण लाल परमार जी है । 

प्रसंग- अंगद के जीवन में हुए परिवर्तन के बारे में वर्णन ।

व्याख्या - गाँव वालों द्वारा अंगद को सजा दिए जाने के बाद उसके जीवन में गजब का परिवर्तन आया । जो अंगद अब तक परम आलसी था , वह सजा के बाद इतना मेहनती हो गया कि वह अपने बीते दिनों को भूलकर , अपने गाँव के सुधार के लिए काम करने लगा । अर्थात उसके जीवन में अद्भुत परिवर्तन आ गया ।

4. अंगद के पीछे काफी नजरें लगी होतीं । 

संदर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक निगम छत्तीसगढ़ ‘ भारती ' के ' आलसीराम ' नामक पाठ से लिया गया है । जिसके लेखक श्री नारायण लाल परमार जी है । 

प्रसंग - अंगद को चोर साबित करने के बाद उसके दैनिक गतिविधि पर सभी लोगों के परिवर्तित व्यवहार का वर्णन ।

व्याख्या - अंगद का जीवन परम आलस्यमय था । वह गाँव  कब आता था , कब जाता था इसे किसी को पता नहीं चलता , यहाँ तक कि उसके परिवार वालों को भी नहीं , कोचरु पटेल की बातों पर कि अंगद चोर है , किसी ने विश्वास नहीं किया । अतः गाँव के लोग अंगद की प्रत्येक क्रियाकलाप पर नजर रखने लगे ताकि अंगद के बारे में पता चल सके । 

अभ्यास प्रश्नोत्तर 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

1. अंगद का नाम आलसीराम क्यों पड़ा ?

उत्तर - कहानी में आलसीराम अंगद का नाम रखा गया । उसका यह नाम इसलिये रखा गया कि वह जहाँ बैठ जाता फिर उठने का नाम ही नहीं लेता । 

2. अंगद की पत्नी अपने बच्चों का पालन - पोषण कैसे करती थी ? 

उत्तर - अंगद की पत्नी अपने बच्चों का पालन - पोषण दूसरे के घर काम कर के ( कूट - पीसकर ) करती थी । 

3. अंगद को बदलने के लिए उसकी पत्नी ने कौन- कौन सी तरकीब अपनाई ?

उत्तर- अंगद को बदलने के लिए उसकी पत्नी ने , उसके आने पर दरवाजे न खोलने की और घर आ जाए तो खाना न देने की तरकीबें अपनाई ।

4. कोचरु पटेल के खेत में कौन - सी घटना घटी ?

उत्तर - कोचरु पटेल के खेत में पहले ककड़ी और उसके पश्चात् तरबूज चोरी की घटना घटी ।

5. ठेठवार को बातों का लोगों ने विश्वास क्यों न किया ?

उत्तर- ठेठवार की बातों का लोगों ने विश्वास नहीं कि क्योंकि अंगद की पत्नी ने गाँव वालों को बताया कि अंगद तीन दिनों से घर नहीं आया है तो वह कुंदरु चोरी कैसे कर सकता है।

6. किस घटना ने अंगद को चोर सिद्ध कर दिया ?

उत्तर- अरे कलिन्दर , तुम सुन्दर हो , पक चुके हो , खा लूं क्या दो चार ?एक क्या खाओ न हजार । उसके बाद दो तरबूज तोड़कर भागने की आवाज । इस घटना ने अंगद को सिद्ध कर दिया ।

7. पंचों ने अंगद को क्या सजा दी ? 

उत्तर - पंचों ने अंगद को एक रस्से से बाँधा और आ से कुएँ में उतारा उसके बाद उसे दो चार डुबकियाँ खिलायी गई।

8. अंगद की सजा को गुप्त रखने के क्या कारण होंगे ? 

उत्तर- अंगद की सजा गुप्त रखने का कारण यह होगा कि यदि अंगद को पता चल जाता तो अंगद कोई दूसरी चाल चल सकता था । 

9. सजा मिलने पर अंगद के जीवन में क्या परिवर्तन हुआ ?

उत्तर- सजा मिलने पर अंगद काम में जुट गया , जिससे उसकी पत्नी , बच्चे और सारा गाँव खुश हो गया । 

भाषा तत्व एवं व्याकरण 

प्रश्न 1. निम्नांकित मुहावरों का अर्थ लिखिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए । 

उत्तर- ( 1 ) पेट पालना- गुजर बसर करना । 

वाक्य - अंगद परिश्रम करके अपने बच्चों का पेट पालता है । 

( 2 ) राह देखना - प्रतिक्षा करना । 

वाक्य - पक्षी सूर्योदय की राह देखते हैं ।

( 3 ) राम रमौवल - सुबह की रामराम - अभिवादन । 

वाक्य- अंगद की न किसी से राम रमौवल थी , न दुश्मनी ।

4. कभी - कभी

वाक्य - कभी - कभी काम के बदले पैसा मिलता था । 

( 5 ) दंग रह जाना- आश्चर्य होना । 

वाक्य- पर्यटक ताजमहल की सुंदरता देखकर दंग रह गये ।

( 6 ) हो - न - हो – शायद ।

वाक्य - आलसी राम ने हो - न - हो सपना देखा होगा । 

( 7 ) सिर नीचा करना- लज्जित होना । 

वाक्य- शर्म से अंगद का सिर नीचा हो गया । 

प्रश्न 2. निम्नांकित लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग करें । 

उत्तर - 1. यथा नाम तथा गुण - जैसा नाम वैसा काम । 

वाक्य- अंगद यथा नाम तथा गुण वाला था ।

2. न जेठ में सूखे न भादों में हरे - प्रभावहीन

वाक्य- हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो न जेठ में सूखते हैं , न भादों में हरे होते हैं ।

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिये

शब्द       विरुद्धार्थी

 राग    -  विराग

अंधियारी - उजियारी

मोल  -        बेचना

स्वर्ग  -      नरक

वर्तमान   -भूत

प्रश्न 4. नीचे लिखे सामासिक पदों का विग्रह कीजिये 

ध्यान मग्न , स्नान गृह , धर्मशाला , भूत काल , विश्राम गृह , संसद भवन , मर्यादा हीन , भाग्य हीन , मंद भाग्य ।

उत्तर 


5. ' श्रम की महत्ता ' विषय पर दस वाक्य लिखिए । इस पाठ से आपको क्या संदेश मिलता है ? 

उत्तर- ' श्रम की महत्ता'-

1. श्रम का अर्थ है मेहनत 

2. लगन और मेहनत से अपना कर्म करना ही श्रम है ।

3. श्रम से ही जीवन चलता है ।

4. श्रम करने वाले हमेशा स्वस्थ और निरोगी रहते हैं ।

5. सभ्यता और संस्कृति का विकास श्रम के बल पर हुआ है ।

6. श्रम करने से हमारा व्यायाम हो जाता है ।

7. विद्यार्थी श्रम करके ही विद्या और योग्यता प्राप्त करते हैं । 

8. श्रम से ही किसान हम सबका पेट भरता है । 

9. श्रम से ही वैज्ञानिक बड़े - बड़े आविष्कार करते हैं ।

10. किसी भी सफलता की कुँजी श्रम है । 

प्रश्न 6. ' आलसीराम ' लोक - कथा का सारांश पन्द्रह वाक्यों में लिखिए ।

उत्तर- अंगद नामक युवक था , वह आलसी था । वह जहाँ भी बैठता था , उठता नहीं था । उसकी पत्नी गाँव का कूटना -पीसना करके बच्चों का पेट पालती थी । एक दिन ठेठवार ने कहा कि अंगद चोर है , उसने मेरे बाड़ी से कुंदरू चुराये हैं । एक दिन कोचरू पटेल ने खेत की रखवाली करते हुए आवाज सुनी – हे ककड़ी के अनमोल पेड़ ! मैं दो - चार खा लूँ क्या ? आवाज को सुनकर पटेल दंग रह गया । उसने गाँव वालों से चर्चा की कि चोर ककड़ी खाकर चला गया । लोगों ने उसकी बात पर विश्वास नहीं करते हुए कहा कि तुमने सपना देखा होगा । अंगद एक बार महगूँ की बाड़ी से तरबूज चुराकर भागने लगा , किन्तु वह पकड़ा गया । उसे रंगे हाथों पकड़ कर चोर सिद्ध किया । पंचों से उसे दंड दिया किन्तु उसे गुप्त रखा गया । उसे रस्सी से बाँधकर धीरे से कुएँ में उतार कर डुबकियाँ खिलायी और कुएँ में डुबकियों का दण्ड भुगतकर वह कर्मठ हो गया ।

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