पाठ 15 एक और गुरु दक्षिणा
शब्दार्थ –
निपुण = कुशल ,
तबाह = नष्ट ,
राहगीर = रास्ता चलनेवाला ,
धूलधूसरित = धूल में सने हुए ,
चौकड़ी भरना = उछलते हुए तेज दौड़ना ,
गोताखोर =पानी में डुबकी लगाने वाला ,
पालकी = मनुष्यों द्वारा उठाई जाने वाली सवारी ।
प्रश्न और अभ्यास
प्रश्न 1. आश्रमों में किस तरह की शिक्षा दी जाती थी ?
उत्तर- -आश्रम में अस्त्र - शस्त्र , शास्त्र - ज्ञान और सदाचार की शिक्षा दी जाती थी ।
प्रश्न 2. ऋषि का आश्रम कैसा था ?
उत्तर - ऋषि का आश्रम गंगा किनारे मीलों लंबा चौड़ा था ।
प्रश्न 3. गुरु ने शिष्यों की परीक्षा क्यों ली ?
उत्तर - गुरु ने शिष्यों की सभ्याचार बुद्धि की परीक्षण करने के लिए परीक्षा ली ।
प्रश्न 4. ऋषि ने अपने शिष्यों की परीक्षा कैसे ली ?
उत्तर - ऋषि ने अपने शिष्यों को अलग - अलग दिशाओं में भेजकर मेहनत से धन कमाकर अपने लिए कोई अद्भुत सा भेंट लाने की बात कही और यह भी कहा कि भेंट जिसका सबसे सुन्दर होगा वही गद्दी का अधिकारी होगा । इस प्रकार उनकी परीक्षा ली ।
प्रश्न 5. पहिला शिष्य कहाँ गया ? उसने ऋषि को भेंट में क्या लाकर दिया ?
उत्तर- पहला शिष्य राजा के यहाँ नौकरी करने लगा । उसने ऋषि को घोड़े , हाथी भेंट में दिये ।
प्रश्न 6. दूसरे शिष्य द्वारा दी गई मोतियों की पोटली का ऋषि ने क्या किया ?
उत्तर- दूसरे शिष्य द्वारा दी गई मोतियों की पोटली को ऋषि ने एक ओर रख दिया ।
प्रश्न 7. ऋषि के तीनों शिष्यों की क्या विशेषता थी ?
उत्तर - ऋषि के तीनों शिष्य अस्त्र - शस्त्र में निपुण , शास्त्र ज्ञान में पारंगत , बोल - चाल में मीठे , स्वभाव में विनम्र , धरती की तरह सहनशील , सागर की तरह गंभीर , सिंह के समान बलशाली थे ।
प्रश्न 8. सुबंधु ने गाँव में जाकर क्या देखा ?
उत्तर -सुबंधु ने गाँव में जाकर देखा गाँव उजाड़ था । गाँवों में अकाल पड़ा था । कई वर्षों तक पर्याप्त वर्षा नहीं हुई ।
प्रश्न 9. सुबंधु ने गाँववासियों की दशा कैसे सुधारी ?
उत्तर -सुबंधु ने गाँव - गाँव जाकर अकाल से लोगों को लड़ना सिखाकर और गाँव वालों के साथ स्वयं काम करके उनकी दशा सुधारी ।
प्रश्न 10. गाँव के लोग सुबंधु को देवता क्यों कहते थे ?
उत्तर -सुबंधु ने गाँव वालों को मुसीबतों से लड़ना सिखाया । मेहनत करना सिखाया , श्रम और साहस से आगे बढ़ना सिखाया इसलिये गाँव वाले उसे देवता कहने लगे ।
प्रश्न 11. सही उत्तर चुनकर लिखो इस पाठ का मुख्य संदेश है
( क ) गुरु को अच्छे से अच्छा उपहार भेंट करना ।
( ख ) जनसेवा के लिए जीवन समर्पित करना ।
( ग ) गुरु को प्रसन्न कर आश्रम का अधिकारी बनना ।
उत्तर- ( ख ) जनसेवा के लिए जीवन समर्पित - करना ।
प्रश्न 12. गुरुजी ने गुरुमन्त्र पाने का अधिकारी किसे माना ? और क्यों ?
उत्तर -गुरुजी ने गुरुमंत्र पाने का अधिकारी अपने तीसरे शिष्य को माना क्योंकि उसने गाँव के अकाल से लोगों को लड़ना सिखाया , उनके लिए स्वयं मेहनत किया । उनके कामों में स्वयं पसीना बहाया और उनकी सहायता की उनके आँसू लेकर उन्हें मुस्कुराहट दी ।
भाषा तत्व और व्याकरण
प्रश्न 1. पाठ को पढ़कर खाली स्थान में कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर लिखो
( क ) उन्हें वे प्राणों के समान प्रिय थे । ( प्रिय / प्रेम )
( ख ) राजन् ! आप भाग्यवान हैं । ( भाग्यमान / भाग्यवान )
( ग ) आप हमें बुद्धिमान बता रहे हैं । ( बुद्धिमान / बुद्धिवान ) ( घ ) ऋषि की बात सुनकर तीनों ने सिर झुका लिया ।
( झुका लिया / पकड़ लिया )
( ङ ) वह तो एक साधारण किसान जैसा था । ( असाधारण / साधारण )
प्रश्न 2. नीचे दिये गये खाली स्थान में रेखांकित शब्दों के विलोम शब्द भरो
( क ) संबंधु की भेंट मूल्यवान थी , पहले शिष्य की भेंट अमूल्यवान थी।
( ख ) दिनेश और विनय योग्य थे , सुरेश अयोग था।
( ग ) यह समस्या छोटी नहीं थी , बहुत बड़ी थी।
( घ ) तीनों शिष्य परिश्रमी थे वे आलसी नहीं थे।
( ङ ) वह पुराना जमाना था अब नया जमाना है ।
प्रश्न 3. पाठ में से कोई पाँच क्रिया शब्द छाँटकर लिखो ।
उत्तर - 1. वे राजा के साथ चल पड़े ।
2. एक दिन उन्होंने तीनों को अपने पास बुलाया ।
3. मैंने जी जान से तुम्हें पढ़ाया लिखाया ।
4. मैं तुम तीनों की परीक्षा लेना चाहता हूँ ।
5. सभी लोग सहायता के लिए राजा के पास गए ।
प्रश्न 4. नीचे लिखे वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य छाँटो
( क ) सैकड़ों आदमी मिलकर भी कोई काम न कर सके।
उत्तर- विशेषण- सैकड़ों , विशेष्य - आदमी ।
( ख ) ऋषि के शिष्य की बात सुनकर सारे लोग सोच में पड़ गए ।
उत्तर- विशेषण- सारे , विशेष्य लोग ।
( ग ) सारे कुएँ सूखे पड़े थे ।
उत्तर- विशेषण- सारे , विशेष्य - कुएँ ।
( घ ) प्यासी धरती की प्यास बुझाओ ।
उत्तर- विशेषण - प्यासी , विशेष्य - धरती ।
प्रश्न 5. नीचे दिए गए शब्दों में से विशेषण और विशेष्य लेकर सही जोड़े बनाओ - लहलहाती , साधारण , आँखें , किसान , फसल काम , सुबंधु , धर्म अधूरा , महान , नम , धूल - धूसरित
उत्तर -
सही जोड़े लहलहाती फसल , साधारण किसान , अधूरा काम महान् धर्म , नम आँखें , धूल - धूसरित सुबंधु ।
प्रश्न 6. अब नीचे लिखे शब्दों को तोड़कर लिखो
राज - सिंहासन , लंबा - चौड़ा , गुरु - दक्षिणा , जी जान , बुरा - भला ।
उत्तर - राज - सिंहासन राजा का सिंहासन
लंबा - चौड़ा लंबा और चौड़ा
गुरु दक्षिणा = गुरु की दक्षिणा
जी - जान ÷ जी और जान
बुरा - भला= बुरा और भला ।
प्रश्न 7. अर्जुन के गुरु का नाम द्रोणाचार्य था । इसी प्रकार निम्नलिखित महापुरुषों के गुरुओं के नाम तलाश करो
राम , चन्द्रगुप्त , कृष्ण , शिवाजी , कणं , विवेकानंद , लवकुश उत्तर-
राम – वशिष्ठ मुनि
चन्द्रगुप्त – विष्णुगुप्त चाणक्य
कृष्ण – सांदीपन
शिवाजी –रामदास
कर्ण– परशुराम
विवेकानंद– रामकृष्ण परमहंस
लवकुश –वाल्मिकी
प्रश्न 8. एक और गुरु - दक्षिणा कहानी को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखो ।
उत्तर- पाठ सारांश
गंगा के तट पर एक ऋषि रहते थे उनके विविध गुणों से युक्त तीन शिष्य थे । ऋषि काफी बूढ़े हो चले थे । वे इनमें से किसी को आश्रम का मुखिया बनाना चाहते थे । अतएव एक दिन उन्होंने तीनों को अपने पास बुलाकर कहा कि तुम तीनों ही मुझे अत्यन्त प्रिय हो । मैं तुम्हारी परीक्षा लेना चाहता हूँ । तुम तीनों अलग अलग दिशाओं में जाओ और अपने श्रम से कमाकर मेरे लिए कोई अद्भुत - सा भेंट लाओ । ध्यान रहे सबसे सुन्दर और मूल्यवान भेंट लाने वाला आश्रम की गद्दी का अधिकारी होगा । गुरु की आज्ञा से तीनों शिष्य अलग - अलग दिशाओं में गये । पहला शिष्य राजा के यहाँ नौकरी करने लगा । दूसरा शिष्य गोताखोर बन गया और तीसरा अकालग्रस्त एक गाँव में जाकर पीड़ित लोगों की सेवा करने लगा । कुछ दिनों बाद पहला शिष्य हाथी - घोड़े , दूसरा बहुमूल्य मोती जमाकर गुरु को भेंट देने आये । परन्तु तीसरा शिष्य बहुत वर्ष बीतने पर भी नहीं लौटा । दोनों शिष्यों के साथ ऋषि तीसरे शिष्य को ढूँढ़ने निकल पड़े । किसी गाँव में धूल से सने , पसीने से लथपथ , गाँव वालों के साथ एक साधारण किसान जैसे काम में लगे हुए तीसरे शिष्य को ऋषि ने देखा । ऋषि ने उसे गले लगाते हुए कहा कि क्या तुम मुझे दक्षिणा देने की बात भूल गये ? शिष्य ने कहा कैसे भूल जाता ? परन्तु यहाँ मेरा काम अधूरा है अभी इन लोगों के आँसुओं को पोछना है । आखिर आपने यही शिक्षा दी है कि मनुष्य की सेबा से बढ़कर कोई महान् धर्म नहीं है । उसकी बातें सुनकर गुरु की आँखें नम हो गयीं । गुरु ने कहा , तुमने इन लोगों की भलाई करके मेरी दक्षिणा चुका दी । जो दूसरों के आँसू लेकर मुस्कुराहट दे वह सचमुच में देवता है ।
0 Comments