पञ्चदशः पाठः
पर्यावरणम् ( पर्यावरण )
मनुष्यो यत्र निवसति , यत् खादति , यद् वस्त्रं धारयति , यज्जलं पिबति यस्य पवनस्य सेवनं करोति , एतत्सर्वम् पर्यावरणं इति शब्देनाभिधीयते । अधुना पर्यावरणस्य समस्या न केवलं स्वदेशस्य एव समस्त विश्वस्य समस्या वर्तते । यज्जलं यश्च वायुः अद्य उपलभ्यते , तत्सर्वं मलिनं दूषितं च दृश्यते । उद्योग शालानां मलिन जलं नालिकानां माध्यमेन गंगासदृशीं पावनी नदीम् अपि मलिनयति । धूमनलिकाभ्यः निस्सरन् दूषितो धूमराशिः अद्य पवित्रमपि आकाशं दूषयति । समस्तं जलवायु मण्डलं पर्यावरणं विकृतं करोति ।
शब्दार्थाः – यत् = जो , यत्र= जहाँ , अभिधीयते =जाता है , वर्तते = है , अद्य = आज , पावनी = पवित्र , मलिनयति= दूषित करता है , निस्सरन् = निकलने वाले , विकृतम् करोति= दूषित करता है ।
अनुवाद - मनुष्य जहाँ रहता है , जो खाता है , जिस प्रकार वस्त्र धारण करता है , जहाँ के पानी को पीता है , जहाँ की हवा का सेवन करता है- इन सभी से ' पर्यावरण ' शब्द बनता है । वर्तमान पर्यावरण समस्या न केवल हमारे देश की वरण सम्पूर्ण विश्व की समस्या है । जो पानी और हवा आज उपलब्ध है , वह मलिन और दूषित है । उद्योगों ( कारखानों ) से निकलने वाला गंदा पानी नालियों के माध्यम से गंगा जैसी पवित्र नदी को भी दूषित कर दिया है । चिमनियों से निकलने वाले दूषित धुएँ आज स्वच्छ आकाश को दूषित कर रहे हैं ।
आधुनिका : वैज्ञानिका : आणविकाः प्रयोगाः अपि पर्यावरणस्य प्रदूषकं सवर्धयन्ति । गत दिवसेषु ईराक अमेरिका देशयोः भीषणे युद्धे प्रयुक्तैः आयुधैः समुद्रस्यापि जलं दूषितम् । तैलकूपेष्वपि अग्निः प्रज्वलितः । फलतः प्रत्येकं प्राणी शुद्धं प्राणवायुं प्राप्तुं न शक्नोति । दिवसे दिवसे च स्वास्थ्यं क्षीणं भवति ।
अस्माकं पूर्वजाः पर्यावरणस्य शुद्धतायै उपवनानाम् उद्यानानां च आरोपणाय धार्मिक विधानं यज्ञानाम् अनुष्ठानं च कुर्वन्ति स्म । साम्प्रतं वनानां छेदनेन वृक्षाणाम् अभावो भवति । तेषाम् अभावे अपेक्षिता वृष्टिः न भवति , येन अनाकृष्टेः प्रकोपो वर्धते । अनावृष्टि : कृषिकार्यं बाधते । वृक्षाणाम् अभावे शुद्धो वायुरपि न लभ्यते । शुद्धं वायु विना प्राणिनः अस्वस्थाः रुग्णाश्च जायन्ते । इत्थं पर्यावरणस्य महत्वं सर्वविदितम् अस्ति । अस्यं रक्षायै वयं सर्वथा सचेष्टाः भवेम् ।
शब्दार्थाः – संवर्धयन्ति= बढ़ रहे हैं , आयुधैः= अस्त्रों से, फलतः = परिणामस्वरूप , प्राणवायुं= ऑक्सीजन , अस्माकं= हमारे , विधानं= अनुष्ठान , साम्प्रतं= आजकल , छेदनेन= काटने से , बाधते= बाधा उत्पन्न होता है , रूग्णाः= रोगी , इत्थं =इस प्रकार , सर्वथा= सदैव ।
अनुवाद - वर्तमान वैज्ञानिकों के आणविक प्रयोग से भी पर्यावरण के प्रदूषक बढ़ रहे हैं । बीते दिनों ईराक और अमेरिका के भीषण युद्ध में अस्त्र - शस्त्र के प्रयोग से समुद्र का जल भी दूषित हो गया है । तेल के कुओं में आग लग गई थी । परिणाम स्वरूप कोई भी जीव शुद्ध प्राणवायु ( ऑक्सीजन ) नहीं ग्रहण कर सका और दिन - प्रतिदिन उनका स्वास्थ्य कमजोर होता गया । हमारे पूर्वज पर्यावरण की शुद्धता के लिए उपवन व बगीचे लगाकर धार्मिक कार्य और यज्ञ - अनुष्ठान करते थे । आजकल वनों के कटने से वृक्षों की कमी हो रही है । उनकी कमी से आपेक्षित वर्षा नहीं हो रही है , जिससे अनावृष्टि का भय बढ़ गया है । अनावृष्टि कृषि कार्य में बाधा उत्पन्न होता है । वृक्षों की कमी से शुद्ध हवा भी नहीं मिलती । शुद्ध हवा के बिना प्राणी अस्वस्थ और रोगी हो जाते हैं । इस प्रकार पर्यावरण का महत्व सर्वविदित है । इसकी रक्षा के लिए हमें सदैव सचेत रहना चाहिए ।
प्रश्न 1. निम्न प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए
( क ) समस्तजलवायुमण्डलं पर्यावरणं किं करोति ?
उत्तर- समस्तजलवायुमण्डलं पर्यावरणं विकृतं करोति ।
( ख ) दिवसे - दिवसे किं क्षीणं भवति ?
उत्तर- दिवसे - दिवसे स्वास्थ्यं क्षीणं भवति ।
( ग ) वृक्षाणाम् अभावे किं न लभ्यते ?
उत्तर- वृक्षाणाम् अभावे शुद्धो वायुरपि न लभ्यते ।
( घ ) कस्य महत्वं सर्वविदितम् अस्ति
उत्तर - पर्यावरणस्य महत्वं सर्वविदितं अस्ति ।
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर- ( क ) एतत् सर्वम् पर्यावरणं इति शब्देनाभिधीयते ।
( ख ) तेलकूपेष्वपि अग्निः प्रज्ज्वलितः ।
( ग ) अस्य रक्षायै वयं सर्वथा सचेष्टाः भवेम् ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर– ( क ) पर्यावरण स्वच्छ होना चाहिए ।
अनुवाद- पर्यावरणं शुद्धे भवत्व्यं ।
( ख ) वृक्षों से लाभ होता है ।
अनुवाद - वृक्षेभ्य : लाभाः भवन्ति ।
( ग ) हमें वृक्षों की रक्षा करनी चाहिए ।
अनुवाद - वयम् वृक्षाणाम् रक्षां करणीयम् ।
( घ ) गाँव का पर्यावरण अच्छा था ।
अनुवाद - ग्रामस्य पर्यावरणः शुद्धो आसीत् ।
प्रश्न 4. ( क ) निम्नलिखित पदों का संधि विच्छेद कीजिए
( i ) पर्यावरणम्=परि + आवरणम्
( ii ) समुद्रस्यापि=समुद्रस्य + अपि
( iii ) तेलकूपेष्वपि =तेल- कूपेष्व + अपि ।
( ख ) निम्नलिखित पदों की संधि कीजिए
(i ) ईराक - अमेरिका=ईराकामेरिका
( ii ) च + आरोपणाय=चारोपणाय ।
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