हिंदी कक्षा 6वीं पाठ 5 बरखा आथे

 पाठ –5 बरखा आथे

लाला जगदलपुरी



1. खेती ल हुसियार बनाय बर भुइयाँ म बरसा आथे ।

जिनगी ल ओसार बनाय बर भुइयाँ म बरखा आथे ।

 सोन बनाय बर माटी ल सपना ल सिरतोन बनाय बर ,

 आँसू ल बनिहार बनाय बर  भुइयाँ म बरखा आथे । 

अर्थ- कवि ने इस पद्यांश में वर्षा के महत्व का वर्णन किया है । खेती ( कृषि ) के पैदावार को बढ़ाने के लिए वर्षा आती है । जीवन को शक्तिशाली ( खुशहाल ) बनाने के लिए भूमि ( धरती ) में वर्षा ( पानी ) आती है । वर्षा से भूमि सोना बन जाता है । अर्थात् उपजाऊ बनती है । किसान के सपना ( अच्छी फसल ) को सच करने के लिए तथा आँसुओं ( दुःख ) को दूर करने के लिए वर्षा आती है । भारत की कृषि अच्छी वर्षा पर ही आधारित है । बिना वर्षा के जीवन दूभर हो जाएगा । 

2 . बाजत रहिथे झिमर झिमर रोज चिकारा अस बरखा के ।

 बाजत रहिथे धड़ - धड़ - धड़ रोज नंगारा अस बरखा के ।

 खुसियाली के चिट्ठी लेके बादर दुरिहा दुरिहा जाथे ,

करिया - करिया बादर ल समझव हलकारा उस बरखा के।

अर्थ- कवि वर्षा ऋतु का सजीव चित्रण करते हुए कहते हैं कि वर्षा ऋतु में प्रतिदिन पानी की बूँदों की झिमिर - झिमिर आवाज ऐसी लगती है जैसे कि कोई चिकारा ( सारंगी जैसे एक प्रकार का बाजा ) बजा रहा हो । बादलों की गड़गड़ाहट ऐसा लगता है जैसे कोई प्रतिदिन नंगाड़ा ( डंडे से बजाने का बाजा ) बजा रहा हो । ऐसे लगता है जैसे आसमान में घूमते काले - काले बादल वर्षा का संदेश लेकर ( संदेश वाहक बनकर ) दूर - दूर जा रहे हों ।

3.जोत जोगनी के तारा अस, जुग जुग बरथे अँधियारी म ।

आसा , मन के , बिजली बन के चमचम करथे अँधियारी म ।

मेचका मन के आरो मिलथे कपस - कपस जाथे लड़का हर , 

हवा बही कस कभू उदुप ले कहूँ खुसरथे अँधियारी म । 

अर्थ- कवि वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए कहते हैं कि अंधेरी रात में जुगनू चमकता है तो ऐसा लगता है कि बिजली का ( बल्ब ) प्रकाश दिखाई देता है । मानो कि मन में विश्वास का उजाला फैल गया है । वर्षा ऋतु में मेढकों की टर्र - टर्र आवाज वातावरण को भयानक बना देती है । उसकी आवाज से छोटे बच्चे डर से काँप जाते हैं । अंधेरी रात में कभी - कभी तेज आँधी ( हवा ) भी आ जाती है । वर्षा ऋतु की अंधेरी रात बड़ी भयानक होती है । 

4.कहूँ तोरह , तुमा , रमकेलिया झूलत होवे बखरी ।

कहूँ करेला - कुँदरु अउ रखिया फूलत होवे बखरी म 

कहूँ जरी ह लामे होही , बहबट्टी ह ओरमे होही 

खुस होके लड़का - पिचका मन बूलत होही बखरी म ।

अर्थ - कवि ने इस पद्यांश में वर्षा ऋतु में किसानों की बाड़ी ( फार्म ) में होने वाली शाक - सब्जियों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि बरसात में बाड़ी में कहीं तुरई , तुमा , ( लौकी ) भिण्डी झूलते रहते हैं अर्थात् ये सब्जी डालियों पर फूलते फलते हैं । कहीं करेला , कुंदरू तो कहीं रखिया फूलते हुए दिखाई देते हैं । कहीं - कहीं जरी ( जड़ी - ऐसा पौधा जिसका सब कुछ खाने के काम आता है ) लम्बा बड़ा होगा तो कहीं बरबट्टी ( सेम जैसी सब्जी ) लटक रही होगी । गाँव के छोटे - छोटे बच्चे घूम - घूम कर ये शाक - सब्जी देखकर खुश होंगे।

5 . अतका पानी दे तैं , जतका जिनगी के बिस्वास माँगथे ।

अतका पानी दे तैं , जतका अन लछमी ह साँस माँगथे ।

मोर देस के गाँव - गाँव ल अतका पानी दे तैं बरखा ,

जतका पानी पनिहारिन ल तरिका तीर पियास माँगथे ।

अर्थ – इस पद्यांश में कवि ने वरुण देवता ( जल देवता ) से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हमें उतना ही पानी ( वर्षा ) दीजिए जितना जीवन का विश्वास माँगता है । उतना ही पानी दीजिए जितने में पैदावार ( अनाज ) अच्छी हो सके । ( अन्न लक्ष्मी का अ है अन्नपूर्णा देवी ) अधिक बारिश से किसानों के खेतों की फसल बाढ़ में बहकर बर्बाद हो जाती है । हमारे देश के गाँवों को उतना ही पानी चाहिए जिससे हमारे नदी , तालाब , प्यासे पनिहारिनों की प्यास बुझ सके अर्थात् जितनी आवश्यकता है उतनी वर्षा - दीजिए ।

 शब्दार्थ 

अतका- इतना 

जतका -जितना 

भुइयाँ = भूमि ,धरती 

ओसार - शक्तिशाली

सिरतोन- सच , सत्य 

बनिहार- मजदूर

चिकारा- सारंगी जैसा एक प्रकार

हलकारा = संदेशवाहक का बाजा 

आरो- आवाज , जानकारी

कपस जाथे -काँप जाते

 जरी- एक प्रकार का पौधा जिसका सब कुछ सब्जी के काम में आता है ।

ओरमे होही- लटका होना 

बूलत- घूमना 

फरिका - बाँस आदि से बना दरवाजा 

बिसाबो - खरीदेंगे 

अन- अन्न

खुसरत हे  - घुसता है 

बखरी -  बाड़ी 

 अभ्यास प्रश्नोत्तर

 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए–

1. बरखा आय के का कारण हवय ? 

( वर्षों के आने के क्या कारण है ? ) 

उत्तर- खेती ल हुसियार बनाय बर बरखा आथे । ( खेती के पैदावार को बढ़ाने के लिए वर्षा आती है । ) 

2. बरखा के आय ले जिनगी कइसन हो जाथे ? ( वर्षों के आने से जिन्दगी कैसी हो जाती है ? )

 उत्तर- बरखा के आये ले जिनगी ओसार हो जाथे । ( वर्षा के आने से जिन्दगी शक्तिशाली ( सम्पन्न ) हो जाती है । ) 

3. बरखा ह किसान के सपना ल कइसे सिरतोन बनाये ? ( वर्षा किसान के सपनों को कैसे सच करती है ? ) 

उत्तर- हर किसान के सपना होथे कि ओखर फसल ह हर साल बने होवय । जब बने बरखा होथे तभे किसान के सपना ह सच होथे ।

 ( प्रत्येक किसान का सपना होता है कि उसका फसल ( पैदावार ) प्रतिवर्ष अच्छा हो । जब अच्छी वर्षा होती है तभी किसान का सपना सच होता है । )

4. बरखा ह कोन कोन रूप म बाजत हवय ? 

( वर्षा किन - किन रूप में बजता है ? ) 

उत्तर- बरखा ह चिकारा कस झिमिर झिमिर अऊ नंगारा घड़ - घड़ बाजत हवय ।

 ( वर्षा चिकारा ( सारंगी ) द्वारा पानी की बूंदों की झिमिर झिमिर आवाज और नंगाड़ा बादलों की गड़गड़ाहट जैसी आवाज देती है । ) 

5. कवि ह बादल ल हरकारा कस काबर कहे हवय ? 

( कवि ने बादल को संदेशवाह क्यों कहा है ? ) 

उत्तर- कवि ह बादल ल हरकारा कहे हवय काबर के बादल ह हरकारा मन कस किसान मन ल पानी गिरे के जानकारी पहिली ले दे देथे ।

 ( कवि ने बादल को संदेशवाहक की तरह इसलिए कहा है , क्योंकि बादल भी संदेशवाहक की तरह किसानों को पानी गिरने की जानाकारी देता है । )

6. अंधियारी म बरत जोगनी ल कवि ह कोन ला जिनिस कहे हवय ?

 ( अंधेरे में जलते हुए जुगुनू को कवि में क्या कहा है ? )

उत्तर- अँधियारी म बरत जोगनी ल कवि ह मन के आशा बिजली कहे हवय

 ( अंधेरे में जलते हुये जुगुनू को कवि ने बिजली रूपी मन की आशा कहा है । ) 

7. लड़का मन का कारण से कपसत हवय ?

 ( बच्चे किस कारण से काँप रहे हैं ? ) 

उत्तर- मेचका मन के आरो ले लइका मन कपसत हवय ।

 ( मेंढ़कों की आवाज़ सुनकर बच्चे काँप रहे हैं । )

 8. कवि बरखा ले कतका पानी माँगत हे ?

 ( कवि वर्षा से कितना पानी माँग रहे हैं ? ) 

उत्तर- कवि ह बरखा ले ओतके पानी माँगत हे जतहा अन लछमी ह साँस माँगथे ।

 ( कवि वर्षा से उतना ही पानी माँग रहे हैं , जितना अन्न रूपी लक्ष्मी को साँस लेने के लिए अर्थात् उगने के लिए चाहिए । )

9. खाल्हे लिखाय कविता मन के अर्थ लिखव ।

 ( नीचे लिखी कविताओं का अर्थ लिखिए- )

उत्तर – ( क ) जिनगी ल ओसार बनाय पर भुईया म बरखा आथे । 

अर्थ - जीवन को शक्तिशाली ( खुशहाल ) बनाने के लिए भूमि में वर्षा आती है ।

( ख ) जतका पानी पनिहारिन ल तरिया तीर पियास माँगथे ।

अर्थ- हमारे प्यासे पनिहारिनों को उतना हि पानी चाहिए जिससे हमारे नदी तालाब इन पनिहारिनों को सहर्ष दे सकें ।

( ग ) आसा मन के बिजली बन के चम चम करके अंधियारी म ।

 अर्थ- अंधेरी रात में मानो मन में विश्वास का उजाला फैल गया है ।

 पाठ से आगे

1. बरखा आये के पहिली अऊ बाद में कोन कोन से अंतर देखे बर मिलथे ? कक्षा में बात करके लिखव ।

उत्तर- बरखा आये के पहिली गर्मी के रितु होथे । अऊ बरखा के बाद जाड़ा के रितु होथे । गर्मी म झोला परथे , आगी अगरा कस धाम बरथे । तेवि जाड़ म आगी घोरमी ह गजब सुहाथे गरम चाहा ह निक लागथे । गर्मी म मरकी के पानी अऊ दही मही सुहाथे ।

2. किसान मन बरखा आये के पहिली किसानी करे बर कोन किसम से तइयारी करथें । ओकर ले किसानी बारी माँ का लाभ होथे ? 

उत्तर -किसान बरखा के आय ले पहिली खेत खार के कांटा खुटी ल काटथे कांद दुबी ल मार के खेत के बढ़िया सफाई करथे अइसन करे ले किसान मन खेती म किड़ा मकोड़ा अऊ काटा खुटी से बांच जाथे ।

3. बरखा रितु आये से हमर घर चारों कोती बदलाव होथे जेमा झंझरहा अऊ सुहघर दुनो लागथे । अपन अनुभव ल लिखव ।

उत्तर- बरखा रितु आये ले हमर घर के चारो कोती किचिर काचर चिखला माते ले झंझटहा लगथे अऊ बरखा आये ले चारो कोति हरिअर - हरिअर दिखाई देथे ऐखर सेती सुहघर लगथे । 

4. कवि ह देस के गाँव बर काबर पानी मांगत हे अऊ ओकर से गाँव म का - का परभाव होही । 

उत्तर- कवि ह देस के गाँव बर खेती ल उपजाऊ बनाये के खातिर पानी मांगत हे ऐखर ले किसान मन ल गाँव ल हरिअर हरिअर आबहवा अऊ किसान मन के विकास हो ही ।

भाषा तत्व एवं व्याकरण

 प्रश्न 1. उल्टा सब्द लिखव ।

उत्तर- बिस्वास - अबिस्वास

खुस - नाखुस

ओसार -  भर्री, उजाड़

बनिहार  - मालिक

सिरतोन - लबारी

बिसाबो - बेचबो

प्रश्न 2. पुनरुक्ति सब्द लिखव ।

उत्तर- जुग जुग 

करिया - करिया 

कपस - कपस

प्रश्न 3. पर्यायवाची सब्द लिखव–

उत्तर-

 सोन - स्वर्ण , सोना

बरखा - बारीश , वर्षा 

बिजली - विद्युत् , दामिनी

फूल -  पुष्प , सुमन 

लक्ष्मी - धनदेवी 

भुइयाँ - धरती , वसुधा 

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