इतिहास कक्षा सातवीं अध्याय 5 सल्तनत कालीन जीवन/SALTANAT KALIN JIWAN/

 सामाजिक विज्ञान(इतिहास)

कक्षा सातवीं अध्याय 5

सल्तनत कालीन जीवन



अभ्यास के प्रश्न -

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

 ( 1 ) सल्तनत काल में लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती था।

( 2 ) अमीर खुसरो शेख निजामुद्दीन के शिष्य थे ।

 ( 3 ) अमीर खुसरो अपने आप को तोता ए हिन्द कहते थे ।

 ( 4 ) सल्तनत के बनने से पुराने राजा सुल्तान के अधीन  अमीर बनकर रहने लगे । 

( 5 ) गिनती में शून्य का उपयोग भारत  के विद्वानों की देनहै।

  प्रश्न 2. प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

(1) दिल्ली सल्तनतकाल में कहाँ - कहाँ से लोग भारत में आकर बसने लगे ? 

उत्तर - दिल्ली सल्तनत बनने के बाद ईरान , इराक तुर्कीस्तान , समरकंद और बुखारा जैसे इलाकों से बहुत सारे लोग आकर बसे। 

( 2 ) सल्तनतकाल में सबसे शक्तिशाली कौन होता था ?

उत्तर - सल्तनतकाल में सुल्तान ही सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण होता था ।

( 3 ) सल्तनतकालीन किन्ही दो संतों के नाम लिखें ?

उत्तर - सल्तनत कालीन दो संतों के नाम हैं कबीर और नानक ।

( 4 ) सल्तनतकाल में बड़े अधिकारी और सेनापति को क्या कहा जाता था ? 

उत्तर - सल्तनतकाल में बड़े अधिकारी और सेनापति को अमीर कहा जाता था । 

( 5 ) दिल्ली सल्तनत की स्थापना से गाँव के लोगों के जीवन में क्या बदलाव आया ?

 उत्तर - सल्तनतकाल में भी ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही था । लेकिन सल्तनत की लगान व्यवस्था का असर लोगों पर पड़ा । पहले गाँव किसी - न - किसी सामंत के वेतन के लिए दिया जाता था और वह मनमाने तरीके से तरह - तरह के छोटे - बड़े कर वसूल करता था । लेकिन अब सुल्तानों ने इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया । लगान सुल्तान के अधिकारी वसूल करते थे ।कई छोटे करों की जगह एक बड़ा लगान तय किया गया । यह खेत की उपज का लगभग आधा था । यह लगान गाँव का मुखिया इकट्ठा करके सुल्तान के अधिकारियों को देता था । अकसर सुल्तान किसान से लगान नगद देने को मजबूर करते थे । इस कारण किसानों को अपना अनाज शहरों में ले जाकर बेचना पड़ता था । इससे किसानों का शहरों में आना - जाना बढ़ गया ।

 ( 6 ) तुर्कों के आगमन से भवन - निर्माण कला के क्षेत्र में क्या परिवर्तन हुआ ?

 उत्तर - तुर्कों एवं अफगानों ने भारत की वास्तुकला को निम्न प्रकार से प्रभावित किया - ईरान ( फारस ) तथा एशिया से तुर्क तथा अफगान अपने साथ वास्तुकला की नयी शैलियाँ और तकनीक भारत लाए । इन शैलियों तथा तकनीकों एवं प्राचीन भारतीय भवन निर्माण कला के मेल से नये प्रकार के वास्तुकला शैली का जन्म हुआ । इस शैली की दो महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ हैं- 

( 1 ) नुकीली महराब और गुम्बद।

 ( 2 ) ऊँची सँकरी मीनारों का निर्माण । सल्तनत काल में बनी प्राय : सभी इमारतों , किले , मस्जिद , मकबरा में इसी शैली का प्रयोग किया गया । इन इमारतों का रूप तथा आकार फारस तथा मध्य एशिया की इमारतों से मिलता - जुलता था , परन्तु उनकी सजावट भारतीय थी , क्योंकि उन्हें भारतीय कारीगर बनाते थे । 

( 7 ) तुर्कों ने भारत से क्या - क्या सीखा ? 

उत्तर- तुर्कों ने भी भारत से कई बातें सीखीं । अलबरुनी भारत आया ही इसलिए था । अरब के विद्वानों ने भारत के विद्धानों से गणित , खगोल शास्त्र , आयुर्वेद और योग सीखकर अपने देशों में उनका प्रसार किया । गिनती में शून्य का उपयोग करना भारत के विद्वानों से अरब के गणितज्ञों ने सीखा और उसे यूरोप में फैलाया । उन्होंने पंचतंत्र की कहानियों एवं आयुर्वेद के ग्रंथों को अरबी एवं फारसी भाषा में अनुवाद किया और इनसे लाभ उठाया । जब दो संस्कृतियाँ मिलती हैं तो एक नयी संस्कृति पनपती है । भारतीय संस्कृति ने भी तुर्की संस्कृति को प्रभावित किया । तुर्कों के सामाजिक रहन - सहन पर भारतीय जीवन शैली का व्यापक प्रभाव पड़ा । 

( 8 ) तुर्कों ने हमारे सामाजिक जनजीवन को कैसे प्रभावित किया ? 

उत्तर - तुर्कों ने हमारी सामाजिक जीवन को कई स्तरों पर प्रभावित किया । सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया ( दिल्ली ) के उपदेशों का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा । ईश्वर से प्रेम और दीन - दुखियों की सेवा का विचार निम्न वर्ग को बहुत प्रभावित किया । अमीर खुसरों की पहेलियों ने भी लोगों को नई दृष्टि दी । भारत के कई लोगों ने परिस्थितिवश इस्लाम धर्म को स्वीकार किया । लोग सामाजिक विषमता को भूल सरल सीधे तरीके से जीने की चाह करने लगे । समाज में जातिवाद , वर्ग वाद और छुआछूत  जैसी बीमारी कम होने लगी । सभी अपनी इच्छा से ईश्वरोपासना करने को स्वतंत्र हुए । भारतीय समाज में ब्राम्हण के वर्चस्व को इससे धक्का लगा ।

( 9 ) संतों से मेल - मिलाप ने किस नई विचारधारा को जन्म दिया ? 

उत्तर - सल्तनत काल में इस्लाम व हिन्दू धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों के बीच विचारों का आदान प्रदान और मेल - मिलाप हुआ । इस्लाम के ऐकेश्वरवाद ने हिन्दू संतों पर गहरा प्रभाव छोड़ा । उसी तरह योग और गीता का गहरा प्रभाव इस्लामी संतों पर भी पड़ा । कई संत इस नतीजे पर पहुँचे कि सभी धर्म एक ही ईश्वर की भक्ति की बातें करते हैं । वे विभिन्न धर्मों के बीच के अंतर को मिटाना चाहते थे । ऐसे ही संत थे — कबीर और नानक । कबीर व नानक जैसे संत ऊँच - नीच , जात पात का विरोध करते थे और मानवता के मूल्यों को बढ़ावा देना चाहते थे । 



अन्य  महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. निम्नलिखित का संक्षिप्त परिचय दीजिए 

गुरुनानक , कबीरदास , सूफी सम्प्रदाय के प्रमुख सिद्धांत ।

 उत्तर - गुरुनानक - गुरुनानक एक धर्म उपदेशक थे । इनका जन्म पंजाब के तलवण्डी नामक गाँव में हुआ था । उन्होंने सिक्ख धर्म की स्थापना की । वे एक लेखाकार के पुत्र थे । नानक के बहनोई ने उसे स्थानीय प्रशासक दौलत खाँ के कार्यालय में नौकरी लगा दी थी , परन्तु उनका मन इस कार्य में नहीं लगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी । नानक ने कुछ समय फकीरों एवं सूफी संतों के साथ बिताया । उन्होंने पूर्वी देशों की यात्रा की और अंत में अपने गाँव लौटकर शिष्यों के एक समुदाय को उपदेश दिया । उनके उपदेशों को एक पुस्तक में संकलित किया गया । जिसे ' गुरुग्रंथ साहिब ' कहते हैं । 

उपदेश - उन्होंने कहा कि सब मनुष्य बराबर हैं अत : जाति के कारण भेदभाव नहीं होना चाहिए । उन्होंने मन की शुद्धि तथा । चरित्र की पवित्रता पर बल दिया । खानपान की कट्टरता उन्होंने व्यर्थ बताई । एक ईश्वर , एक गुरु और एक नाम की उपासना का न संदेश दिया । 

 कबीरदास - आपका जन्म काशी ( मगहर ) में हुआ था ।  आप जाति के जुलाहे थे । समाज में व्याप्त अंधविश्वास , कुरीतियों न्त को दूर करने के लिए आजीवन खिचड़ी भाषा में कविता कहते रहे । आपकी धार्मिक मान्यताएँ ( प्रमुख सिद्धान्त ) निम्नवत हैं -

धार्मिक मान्यताएँ - वे कहते थे कि धर्मों का अंतर कोई हने महत्व नहीं रखता । महत्त्व इस बात का है कि प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर के प्रति प्रेमभाव रखे ।

 ईश्वर के अनेक नाम हैं कोई उसे राम , तो कोई रहीम कोई हरि तो कोई उसे अल्लाह कहता है । लोग व्यर्थ ही उनके नामों के ऊपर झगड़ा करते हैं । उन्होंने कर्मकाण्ड , आडम्बर तथा धार्मिक कट्टरता के लिए हिन्दू और मुसलमान दोनों को फटकारा तथा उनके बीच भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया । सूफी सम्प्रदाय के प्रमुख सिद्धान्त सूफी सम्प्रदाय के सिद्धान्त- 

( 1 ) भगवान के प्रति सच्चा प्रेम। 

 ( 2 ) परोपकार तथा समाज की सेवा करना । 

( 3 ) भक्ति संगीत के द्वारा ईश्वर तक पहुँचा जा सकता है ।

 ( 4 ) धार्मिक कर्म काण्डों ( पूजा पाठ ) की अपेक्षा भक्ति भावना से ईश्वर की उपासना पर जोर दिया । 

( 5 ) लोगों को पीर या शेख पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए ।

 प्रश्न 2. सल्तनतकाल में स्त्रियों की दशा का वर्णन कीजिए ।

उत्तर - सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी । इस काल में उनका सम्मान कम हो गया था । स्त्रियाँ पुरुषों । मुकाबले हीन ( तुच्छ ) समझी जाती थीं । राजघरानों तथा उच्च वर्ग में बहुविवाह प्रथा प्रचलित थी । बाल - विवाह तथा पर्दा प्रथा का प्रचलन भी बढ़ गया । इन कुप्रभाओं के कारण नारी की स्थिति खराब हो गई । 

प्रश्न 3. सल्तनतकाल में किसानों की दशा का वर्णन कीजिए ? उत्तर - सल्तनतकाल में साधारण लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था । इन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । खाद्यान्नों की प्रचुरता थी , परन्तु उन्हें भाव बहुत कम मिलता था । उन्होंने अपनी उपज का 1/3 से 1/2 भाग तक कर के रूप में देना पड़ता था । अत : इस काल में किसानों की दशा ठीक नहीं थी ।

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