इतिहास कक्षा छठवीं अध्याय 7 मौर्य वंश के सिरमौर सम्राट अशोक /अशोकका धम्म (धर्म) और उनकी शासन व्यवस्था/Mourya Vansh/samrat Ashok/Mourya Dynasty And Emperor Ashok

  अध्याय 7 मौर्य वंश और सम्राट अशोक



हमने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को कई बार लहराते देखा है।  केसरिया सफेद और हरे रंग से सजे तिरंगे के बीच में बना चक्र बेहद खूबसूरत लगता है।  यह चक्र सारनाथ स्तंभ था, जिसे मौर्य वंश के प्रसिद्ध राजा अशोक ने बनवाया था।  से लिया गया था।  आमतौर पर इतिहास में ऐसे राजाओं को याद किया जाता  हैं ,जिन्होंने बड़े बड़े युद्ध जीते हैं, लेकिन राजा अशोक की बात अलग है क्योंकि उन्होंने युद्ध, के बजाय धर्म के मार्ग पर चलकर लोगों का दिल जीत लियाऔर  प्रेम और करुणा को अपने शासन का आधार बनाया।

आज हम मौर्य वंश और उसके सम्राटों की चर्चा करेंगे, जिनमें चंद्रगुप्त,बिंदुसार और अशोक प्रमुख थे। सम्राट अशोक को मौर्य वंश का सिरमौर माना जाता है



चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य वंश का संस्थापक माना जाता है और यह अशोक के दादा थे जो बहुत बहादुर और साहसी थे।  चाणक्य नामक एक बुद्धिमान पंडित की मदद से, चंद्रगुप्त ने मगध के राजा धनानंद को हराया।  उसने उत्तर और पश्चिम के कई हिस्सों को जीतने के अलावा सिकंदर के सेनापतियों को हराया और यूनानी राजाओं को आगे बढ़ने से रोक दिया।  बाद में सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त से मित्रता कर ली और मेगस्थनीज नाम का राजदूत उनके पास भेजा  था।

चंद्रगुप्त के गुरु चाणक्य एक अच्छे लेखक थे।  उनकी पुस्तक "अर्थशास्त्र "से हमें उस समय की शासन -व्यवस्था के बारे में काफी जानकारी मिलती है। इसी समय मेगस्थनीज ने भारत मे जो देखा उसका वर्णन उन्होंने अपनी पुस्तक "इंडिका" में किया है।उन्होंने लिखा है कि  भारतीय सभ्य थे। वे अपने घरों में ताला नहीं लगाते थे।  ज्यादातर गांवों में रहते थे और खेती करते थे और सैनिकों को अच्छा वेतन मिलता था आदि।

चन्द्रगुप्त के बाद उसका पुत्र बिन्दुसार राजा बना।  उसने दक्षिण के कई हिस्सों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार किया।  बिन्दुसार के बाद उसका पुत्र अशोक गद्दी पर बैठा, इस समय मौर्य साम्राज्य बहुत बड़ा और शक्तिशाली हो चुका था।  अशोक जी अपने पिता और दादा की तरह बहादुर और साहसी थे।  उसने कलिंग नामक स्वतंत्र जिले से युद्ध किया और उसे हराकर अपने राज्य में मिला लिया।

कलिंग युद्ध



प्रायः यह देखा गया है कि युद्ध में सफलता मिलने पर राजा प्रसन्न होता था।  पर कलिंग-युद्ध जीतकर भी अशोक का हृदय दु:ख से भर गया क्योंकि युद्ध में लाखों सैनिक मारे गए, हजारों घायल हुए, अनेक स्त्रियां और बच्चे बेसहारा हुए।  यह सब देखकर युद्ध में मिली सफलता भी उन्हें बेकार लगने लगी।  तभी उसने संकल्प लिया कि वह कभी नहीं लड़ेगा।  उनसे यह भी निश्चय किया गया कि वे शत्रु को शस्त्रों से पराजित करने के स्थान पर धर्म के मार्ग पर चलकर प्रजा का हृदय जीत लेंगे ताकि लोगों की भलाई हो  सकें।  इन भावनाओं को प्रजा तक पहुँचने के लिए, उसने उन्हें चट्टानों पर खुदवाया।

अशोक का धम्म 

अशोक के धम्म में न तो कोई देवी-देवता थे, न ही उपवास, या यज्ञ  करने की बात कही गयी थी।  धम्म पालन के लिए पूजा आदि की कोई बात भी नहीं थी।   वास्तव में कलिंग युद्ध के भीषण विनाश ने अशोक की सोच को बहुत बदल दिया था।  अपनी प्रजा के प्रति अशोक का व्यवहार वैसा ही था जैसा एक पिता का अपने बच्चों के प्रति होता है।  अशोक को बहुत होता जब वह लोगों को झूठ बोलते, दुर्व्यवहार करते, मूक प्राणियों के खिलाफ हिंसा करते हुए और धर्म के नाम पर आपस में लड़ते हुए देखते।  उसने इन बातों पर विचार किया और पाया कि राजा होने के नाते लोगों को सही रास्ता दिखाना उसकी जिम्मेदारी है।  इस काम के लिए उन्होंने धर्ममहामात्रा नाम के  अधिकारी को नियुक्त किया, जो  गांव-गांव,नगर-नगर के दौरे कर प्रजा को  सही व्यवहार की बातें बताते थे।दूर-दराज के क्षेत्रों में यही बातें पत्थरों के स्तंभों व चट्टानों पर खुदवाए। 

इन शिलालेखों की भाषा पाली थी जो उस समय जनसामान्य की भाषा थी।

 अशोक का शासन व्यवस्था

भारत के मानचित्र में आपने देखा होगा कि अशोक का राज्य बहुत विशाल था।  उसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी।  इतने बड़े राज्य  पर शासन करना आसान नहीं था।  शासन में उनकी मदद करने के लिए, योग्य लोगों का एक समूह था जिसे मंत्रिपरिषद कहा जाता था।

  विशाल साम्राज्य की देखभाल के लिए इसे चार प्रांतों में विभाजित किया गया था।  उत्तर में तक्षशिला, दक्षिण में सुवर्णगिरि, पूर्व में तोसाली और पश्चिम में उज्जयिनी।  इन शहरों और उनके आसपास के क्षेत्रों की देखभाल राजकुमारों द्वारा की जाती थी।  कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें सहयोग किया करते थे।  ये कर्मचारी गांवों और शहरों में व्यवस्था बनाए रखते थे।  वे किसानों, कारीगरों और व्यापारियों से लगान वसूल करते थे और राजा के आदेशों का पालन नहीं करने वालों को दंडित भी करते थे।  इनके अलावा कुछ बड़े अधिकारी भी थे जिन्हें महामात्र कहा जाता था।  वह पूरे राज्य का दौरा करते थे और शासन का काम देखते थे।  इतना ही नहीं, अशोक स्वयं प्रजा के सुख-दुख को जानने और अधिकारियों के काम पर नजर रखने के लिए राज्य के दूर-दराज के गांवों का दौरा किया करते थे।  उन्होंने लोगों की भलाई के लिए कई सड़कें बनाईं।  इनके दोनों ओर छायादार एवं फलदार वृक्ष लगवाए।  अस्पताल और धर्मशालाएँ बनाई गईं और कुएँ खोदे गए। 

हालांकि अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी थे  तथापि, उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और उन्हें दान  भी दिया।  वे प्रजा से यह  कहते थे कि वे सभी धर्मों के वचनों को सुनें और उनका सम्मान करें।  अशोक ने  कलाकारों को आगे बढ़ने में मदद की।  भारत सरकार के नोटों और कागजातों पर आज जो चार सिंह वाली  मूर्ति दिखाई देती  है वह अशोक के समय की है।  सारनाथ और अन्य स्थान  से प्राप्त स्तंभ और मूर्तिंयां हमें आज भी सम्राट अशोक की याद दिलाते हैं।

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अभ्यास के प्रश्न

(अ) सही जोड़ी बनाइये–

1.सेल्तुक्स- यूनानी सेनापति

2. बिंदुसार- अशोक के पिता

3. धनानंद- मगध के शासक

4. अशोक के शिलालेख- प्राकृत भाषा।

(ब) प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. चन्द्रगुप्त मौर्य ने किस प्रकार विशाल राज्य की स्थापना की ?

उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य बहुत वीर और साहसी थे। चाणक्य नाम के एक बुद्धिमान पंडित की मदद से चंद्रगुप्त ने मगध के राजा धनानन्द को हरा दिया।उत्तर और पश्चिम के कई हिस्सों  को जीतने के अलावा उसने सिकंदर के सेनापति सेल्युकस को भी हराकर यूनानी राजाओं को आगे बढ़ने से रोक दिया ।बाद में सेल्युकस ने चंद्रगुप्त से मित्रता कर ली और मैगस्थनीज नामक राजदूत उसके पास भेजा।इसप्रकार चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने विशाल राज्य की स्थापना की।

प्रश्न 2. युद्ध न करने का संकल्प अशोक ने क्यों किया ?

उत्तर - सम्राट अशोक ने कलिंग पर हमला किया । युद्ध में कलिंग की हार हुई तथा अशोक विजयी हुआ । परन्तु दोनों ही सेनाओं को भारी नुकसान हुआ । युद्ध में लाखों सैनिक मारे गये तथा घायल हुए । पीड़ित स्त्री तथा बच्चों को देखकर अशोक को बहुत पीड़ा हुई । तभी अशोक ने संकल्प किया कि अब कभी युद्ध नहीं करेगा । 

प्रश्न 3. अशोक ने राज्य की व्यवस्था को भली - भाँति चलाने के लिये क्या कार्य किए ? 

उत्तर - अशोक का राज्य बहुत विशाल था । उसकी राजधानी थी - पाटलिपुत्र । इस विशाल राज्य की देखभाल के लिये उसे प्रांतों में बाँटा गया था । उत्तर में तक्षशिला , दक्षिण में सुवर्णगिरी , पूर्व में तोसली और पश्चिम में उज्जयिनी । इन नगरों और उसके आस - पास के इलाकों की देखभाल राजकुमार करते थे । अनेक अधिकारी और कर्मचारी उन्हें सहयोग देते थे । ये कर्मचारी गाँवों और शहरों में व्यवस्था को संभालते थे । किसानों , कारीगरों व व्यापारियों से लगान वसूल करते और राजा की आज्ञा का पालन न करने वालों को दण्ड देते थे । उनके अलावा कुछ बड़े अधिकारी भी थे , जिन्हें महामात्र कहा जाता था । वे राज्यभर का दौरा करते और शासन का काम देखते थे । इतना ही नहीं प्रजा के सुख - दुख को जानने तथा अधिकारियों के काम पर नजर रखने के लिए अशोक स्वयं राज्य में दूर - दूर के गाँवों का दौरा करते थे । 

प्रश्न 4.अशोक के ' धम्म ' के बारे में आप क्या समझते हैं ? अपनी भाषा में लिखिए ।

उत्तर - अशोक के ' धम्म ' में न तो कोई देवी - देवताओं और न ही उसमें कोई व्रत - उपवास या यज्ञ करने की बात कही गई थी । ' धम्म ' का पालन करने के लिए पूजा आदि की बात भी नहीं कही गई थी । अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था । वह ऊँचे आदर्शों में विश्वास रखता था , जिससे लोग सदाचारी बनें व शांति से रहें । इन्हें उसने ‘ धम्म ' कहा । ( संस्कृत के धर्म शब्द का प्राकृत रूप धम्म है ) । ' धम्म ' को राजाज्ञाओं के माध्यम से सभी प्रांतों में शिलालेखों के रूप में खुदवाया । अशोक चाहता था कि सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक रहें । छोटे बड़ों की आज्ञा मानें । बच्चे माता - पिता का कहना सुनें । मालिक अपने दासों से अच्छा व्यवहार करें । वह मनुष्य और पशु दोनों की हत्या का विरोधी था । उसने धार्मिक अनुष्ठानों में पशु   बलि पर रोक लगा दी । वह चाहता था कि लोग मांस न खाएं इसलिए उसके खुद के रसोई घर में प्रतिदिन पकाए जाने वाले हिरन और मोर पर भी रोक लगा दी । 

प्रश्न 5. भारत के मानचित्र में अशोक के राज्यों को चिह्नांकित कीजिए । 

उत्तर - भारत के मानचित्र में अशोक के राज्यों का चिह्नांकन  

प्रश्न 6. अशोक अपने राज्य के आदेश जनता तक कैसे पहुँचाता था ? पता लगाइए । 

उत्तर - अशोक ने अपने राज्य के आदेश जनता तक पहुँचाने के लिए धर्ममहामात्र नामक अधिकारी रखा था जिसने गाँव - गाँव नगर दौरे पर प्रजा को सही व्यवहार की बाते बताई । दूर - दराज में यही बातें उसने पत्थर के स्तंभों और चट्टानों पर खुदवाए ।

 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए 

( 1 ) मौर्य साम्राज्य का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था । 

( 2 ) चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरू का नाम चाणक्य था ।

( 3 ) अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था । 

( 4 ) कलिंग युद्ध ने अशोक का हृदय परिवर्तन कर दिया । 

( 5 ) मौर्य साम्राज्य का सबसे महान शासक अशोक था ।

( 6 ) मैगस्थनीज चंद्रगुप्त के राज्य में यूनानी राजदूत था । 

प्रश्न 2. हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए 

( 1 ) चाणक्य चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री था । ( हाँ ) 

( 2 ) अशोक जैन धर्म का अनुयायी था । ( नहीं )

( 3 ) बिन्दुसार अशोक का पिता था । ( हाँ )

( 4 ) चन्द्रगुप्त ने सिकन्दर को पराजित किया । ( नहीं )

( 5 ) अशोक कट्टर धार्मिक व्यक्ति था । ( हाँ ) 

प्रश्न 3. अशोक ने लोगों की भलाई के लिए क्या - क्या कार्य किए ?

उत्तर - सम्राट अशोक अपनी प्रजा को अपने बच्चों की तरह समझता था । वह चाहता था कि उसके राज्य में सभी धर्मों के लोग

शांतिपूर्वक रहें । उसने प्रजा की भलाई के लिए निम्नलिखित कार्य किए -

( 1 ) नगरों को एक - दूसरे से जोड़ने के लिए अच्छी सड़कें बनवायीं ताकि लोग सरलता से यात्रा कर सकें । 

( 2 ) तेज धूप से बचाव के लिए सड़कों के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाए । 

( 3 ) पीने के पानी के लिए कुएँ खुदवाए । 

( 4 ) यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाएँ बनवायीं ।

( 5 ) रोगियों के लिए चिकित्सालय ( अस्पताल ) खुलवाए । 

( 6 ) रोगी पशुओं के लिए चिकित्सा केन्द्रों का प्रबंध करवाया । 

प्रश्न 4. हमें अपनी राष्ट्रीय प्रतीक के लिए चिन्ह कहाँ से मिला ? उत्तर - हमें अपने राष्ट्रीय प्रतीक के लिए चिन्ह सारनाथ से मिला । यह स्तम्भ अशोक ने बनवाया था ।



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