मातृ दिवस पर माँ को समर्पित लेख-

समाज मे ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जिन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की जिम्मेदारी निभाई।
संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। मां के शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है, जो अन्य किसी शब्द में नहीं होती। मां नाम है संवेदना, भावना और अहसास का। मां के आगे सभी रिश्ते बौने पड़ जाते हैं। मातृत्व की छाया मेँ मां न केवल अपने बच्चों को सहेजती है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उसका सहारा बन जाती है। समाज मेँ मां के ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जिन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की जिम्मेदारी निभाई।
मातृ दिवस के शुभ अवसर पर, एक बच्चा होने के अपने अनुभव के माध्यम से जो बिना माँ के लाया गया है, मैं आप लोगों से निवेदन करना चाहती हूं, कृपया वह सम्मान वापस लौटाएं जिसकी वह हकदार है। उसे जिस तरह से आपके लिए किया है, उससे प्यार और परवाह करें। वह इस बड़ी दुनिया में एकमात्र व्यक्ति है जो आपको और किसी भी चीज की परवाह किए बिना पकड़ लेगा। अपनी आँखें बंद करो और अपने सिर पर उसके हाथ की कल्पना करो, आप एक जादुई शक्ति महसूस करेंगे जो आपको अंदर बाहर छू रही है। इस अविश्वसनीय शक्ति का सम्मान करें जो वह आप पर भरोसा करती है। मातृ दिवस उसे दिखाने का सही समय है कि आप वहां हैं और हमेशा रहेंगे।
– अर्चना शर्मा छत्तीसगढ़
5 Comments
Nice.. Pranam
ReplyDeleteGod bless you
ReplyDeleteGreat 💐💐
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लेख लिखा दी आपने माँ की ममता पर।।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
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