शिक्षा में नवाचार /INNOVATION IN TEACHING/SHIKSHA ME NAVACHAR

 शिक्षा को रोचक एवं प्रभावी बनाने के लिए कुछ रोचक टिप्स


नवाचार दो शब्दों से मिलकर बना है। (नव +आचार) नव अर्थात् नया आचार अर्थात् विधान (व्यवहार)। इस प्रकार नवाचार का शाब्दिक अर्थ शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक क्षेत्र में नई विधा और तकनीक अपनाकर शिक्षा को रुचिकर एवं प्रभावशील बनाने से है। नवाचार की उपयोगिता कक्षा के वातावरण को सुगम एवं शिक्षा योग्य बनाने से है। इससे न केवल कक्षा शिक्षण प्रभावी बनता है अपितु शिक्षक एवं छात्रों के मध्य मधुर संबंध स्थापित होता है अर्थात् यह शिक्षक और छात्रों के मध्य एक सेतु का कार्य करता है जिसकी सहायता से छात्र शिक्षक के द्वारा दी जा रही शैक्षिक बातों को न केवल ग्रहण  करता है बल्कि इसका प्रभाव भी उसके मानस पटल पर स्थायी पड़ता है।
                              प्रायः देखा जाता है कि पारंपरिक व्याख्यान विधि  केवल  कक्षा कक्ष को  के वातावरण को भयमुक्त और बोझिल  बनाता है  जिसके परिणामस्वरूप छात्रों की उपस्थिति भी शाला में कम होती है। इन समस्याओं से मुक्ति का एकमात्र प्रभावी विकल्प शैक्षणिक नवाचार  को अपनाना ही है। नवाचार कोई नया करना मात्र नहीं है अपितु किसी कार्य को नए तरीक़े से करना भी नवाचार ही है।
 मेरे  द्वारा किये गए नवाचारों का विवरण निम्न है जो प्रभावी सिद्ध हुए।

1.प्रिंट रिच वातावरण :-  कक्षा कक्ष को फ्लेक्सि एवं वाल पेंटिंग के द्वारा वातावरण को बच्चों के मनोकुल बनाया जा सकता है। जो बच्चों को आकर्षित करता है।


2.साप्ताहिक एवं मासिक प्रोत्साहन :- शाला में स्वच्छ कपड़े  पहनकर आने वाले छात्रों,  शालेय गतिविधि  में हिस्सा लेने वाले छात्रों और अनुशासित  रहने वालों छात्रों को सप्ताह या माह के अंत में पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करना चाहिये ।



3. खेल गतिविधियों का आयोजन :- हम जानते है कि खेल के माध्यम से हम कठिन विषयवस्तु को भी छात्रों के सम्मुख सरल और सहज ढंग से प्रस्तुत कर छात्रों की रुचि शालेय गतिविधियों में बढ़ा सकते है।


4. टीचिंग लर्निंग मटेरियल (T.L.M.):-  सार्वभौमिक सत्य है कि जो हम देखते है अनुभव करते है उसका प्रभाव स्थायी रहता है। छात्रों को अध्यापन कराते समय टी.एल.एम. का उपयोग करना चाहिए  हम टी एल एम के माध्यम से उस विषय वस्तुको प्रभावी तरीके से सीखा सकते है। टी एल एम के उपयोग से पढ़ाई रुचिकर एवं आकर्षक हो जाता है जो छात्रों के मनोकुल होता है।



5. बेस्ट मॉम और बेस्ट डैड सम्मान:-ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से हम  बच्चों के पालको से सीधे जुड़ सकते है। कक्षा या शाला में जो छात्र पढ़ाई, खेल, स्वच्छता या अन्य किसी भी प्रकार की गतिविधियों में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है तो उसके माता पिता को सम्मानित कर प्रोत्साहित करने से माता पिता प्रतियोगिता की भावना से प्रेरित होकर अपने बच्चों के प्रति जवाबदार होते है और उनको अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करते है ।




6. फीड बैक : - फीड बैक प्रपत्र के द्वारा भी बच्चों को पढ़ाई के प्रति आकर्षित किया जा सकता है। यह प्रपत्र कक्षा कार्य और गृह कार्य के अतिरिक्त अध्ययन के लिए जारी किया जाता है। जो छात्र घर में पढ़ाई करेंगे उसे इस प्रपत्र में भरकर अपने अभिभावकों से हस्ताक्षर कर दूसरे दिवस शाला लेकर आएंगे।

7. ओपन डे:- प्रत्येक मासिक परीक्षा, तिमाही एवं छमाही परीक्षा के बाद परीक्षाफल को छात्रों के अभिभावकों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक आयोजन किया जाता है जिसे ओपन डे कह सकते है। इस प्रकार के आयोजन से पालको को अपने बच्चों के प्रगति सम्बन्धी वास्तविक  जानकारी   हो सकेगी।

8.आकस्मिक सहायता कोष:-  प्रत्येक शाला में कक्षानुसार या शालेय स्तर पर इस कोष को रखा जा सकता है जिसमें छात्र अपनी इच्छानुसार अनुदान राशि जमा कर सकते है ताकि उस राशि का उपयोग आवश्यकता अनुसार जरूरतमंद छात्रों की सहायता के लिए किया जा सकता है।



इसके अतिरिक्त और भी बहुत सारे तरीकों एवं गतिविधियों से शिक्षा को रोचक एवं प्रभावी बनाया जा सकता है।
अर्चना शर्मा, छत्तीसगढ़ ,भारत

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