इको फ्रेंडली धूप एवं अगरबत्ती आओ करके सीखें
शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कुरदा चांपा
हमारी संस्था के बच्चों ने अपनी सूझ-बूझ, रचनात्मकता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील सोच का एक बेहद ख़ूबसूरत उदाहरण पेश किया। रोज़मर्रा की ज़िंदगी में फेंक दी जाने वाली सूखी हुई पत्तियां मुरझाए हुए फूल, और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्री को इकट्ठा कर बच्चों ने उन्हें बेकार नहीं, बल्कि एक नई ज़िंदगी देने का काम किया।
विज्ञान शिक्षिका श्रीमती रजिया अंजुम शेख की मार्ग दर्शन में बच्चों ने इन सूखे फूलों को सावधानी से सुखाया, छांटा और फिर उनमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण तैयार किया। ताकि उससे उच्च गुणवत्ता वाली धूप और अगरबत्ती बनाई जा सके।
बच्चों की इस मेहनत का परिणाम बेहद ख़ुशबूदार, हल्की सुगंध वाली, पूरी तरह से इको–फ्रेंडली धूप एवं अगरबत्तियाँ रहीं, जिनमें किसी प्रकार का रासायनिक पदार्थ नहीं मिलाया गया। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है, बल्कि बच्चों को यह भी सिखाती है कि प्रकृति के हर छोटे से छोटे अंश का सम्मान करते हुए, थोड़ी-सी रचनात्मकता से बड़े-बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
इस कार्यक्रम ने बच्चों में “वेस्ट टू बेस्ट” की सोच को मजबूत किया, साथ ही उनके आत्मविश्वास, कला-समझ और समूह में काम करने की क्षमता को भी बढ़ावा दिया। समाज के प्रति संवेदनशीलता, संसाधनों का संरक्षण, और पर्यावरण की हिफ़ाज़त जैसे मूल्यों को आत्मसात करने का यह बेहद उम्दा माध्यम बना।
संस्था को इस बात पर गर्व है कि उसकी नई पीढ़ी अपने हाथों से ऐसी चीज़ें बना रही है, जो न केवल उपयोगी हैं बल्कि प्रकृति–मित्र और पूरी तरह से *मुहौल–दोस्ताना* भी हैं। बच्चों की यह सराहनीय पहल समाज में सकारात्मक संदेश देती है कि यदि हम चाहें, तो फेंकी हुई चीज़ों को भी ख़ूबसूरती में बदला जा सकता है।


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