सफलता की कहानी
सभी सोचते हैं कि मेरे अकेले के न करने से क्या फर्क पड़ता है, यह कथन हमको यह सिखाती है कि आपके न करने से क्या नहीं होगा, सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है।मैं सविता सुखदेवे 23/07/2019 को मेरा स्थानांतरण शासकीय माध्यमिक विद्यालय गादीरास में हुआ।
शाला में आने के बाद मैंने देखा, कि शाला की भौतिक वस्तुएं अच्छी स्थिति में थी। किंतु शाला का रखरखाव एवं बच्चों की दर्शन संख्या अनुरूप उपस्थिति में कमी ,बच्चों को शिक्षा के प्रति जोड़ना एवं समुदाय का सहयोग लेना जो मेरे शाला विकास में सबसे बड़ी उपलब्धि होती ,और यही मेरी चुनौती थी।
इस चुनौती को मैंने स्वीकार किया और शाला भवन को बच्चों के स्तर अनुरूप बच्चों के साथ मिलकर मैंने प्रिंट रिच वातावरण तैयार किया । समुदाय के सहयोग से मैं बच्चों की उपस्थिति को शाला में दर्ज संख्या के अनुरूप बढ़ाया जो कि मेरे शाला विकास के लिए सबसे बड़ी सफलता है आज मेरी शाला में बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत है ,और बच्चे दीवार पर बनी चित्रों को देखकर खुश होते हैं।आपस में बातचीत करते हैं ।दुनिया में कोई कार्य असंभव नहीं बस कुछ करने की इच्छा और मेहनत की जरूरत होती है।
समस्या
शाला भवन को आकर्षक बनाना, शिक्षक पालक और बच्चों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करना ,बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार करना, SMC सदस्यों एवं समुदाय शाला से जोड़ना व जागरूक करना, शाला में बच्चों की शत् प्रतिशत उपस्थिति करना ।
समाधान
सफल व्यक्ति वही बनता है जो सफलता की चुनौतियों को स्वीकार करता है ।कई बार आजमाइशे हमें सफलता की ओर अग्रसर करती है । शाला मरम्मत और रंगाई _पुताई के तहत शाला की रंगाई -पुताई और मरम्मत कार्य हुआ ।जीवन में रंगों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है और यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालते हैं। रंगों का उपयोग करके हम अपने जीवन को और भी सुंदर और अर्थपूर्ण बना सकते हैं।अतः मैं अपनी शाला को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए रंगों का उपयोग किया। शाला को बच्चों के अनुरूप आकर्षित करने के लिए एवं उनमें जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए और पढ़ाई के प्रति रुचि लाने के लिए तथा शाला में बच्चों की उपस्थिति नियमित बनी रहे उसके लिए मैंने बच्चों के साथ मिलकर शाला भवन को सुंदर एवं आकर्षक बनाने का कार्य किया मैंने देखा बच्चे खुशी-खुशी मेरे साथ इस कार्य को करने में बहुत खुश नजर आ रहे हैं, बच्चे अब उन चित्रों को देखकर आपस में बातचीत करने लगे हैं। देखकर ,बोलकर, सीखने लगे हैं। अब बच्चों में उत्साह नजर आने लगा है ।उसके साथ-साथ SMC का सहयोग भी अब मिलने लगा है ,जो मेरे शाला विकास में अहम भूमिका निभाते हैं जिससे मुझे गर्व महसूस होने लगा है।गतिविधि आधारित शिक्षण ,खेल-खेल में शिक्षा, गीत ,कविता एवं चित्रों के माध्यम से बच्चों को सरल से सरल विधि से सीखने में सहायता मिल रही है। बच्चे और शिक्षक के बीच अच्छे संबंध स्थापित हो रहे हैं ।बच्चों के अंदर से झिझक की भावना दूर हो रही है।
मेरी सफलता
मैंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है ,लेकिन मेरी सबसे बड़ी सफलता मेरे शिक्षा के क्षेत्र में पाया है,इन वर्षों ने मुझे सिर्फ पढ़ने का हुनर नहीं सिखाया बल्कि जीवन को समझने की दृष्टि दी, हर बच्चा मेरे लिए एक नई प्रेरणा बना ,हर अभिभावक ने मुझे भरोसा दिलाया, मैंने किताबें के अलावा बच्चों की आंखों में झांक कर सीखा, सपनों को पढ़ा ,संघर्षों को समझा और मुस्कानों को सहेजा।
अंततः इन सब कार्यों से मुझे बड़ी सफलता यह मिली कि अब बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि सहज ही देखने को मिलती है, शाला का माहौल बहुत खुशनुमा और आकर्षक बन गया है ,अब मैं गर्व से कह सकती हूं ।
मैं शिक्षक,मेरी पहचान
मेरी शाला, मेरा अभिमान
सुश्री सविता सुखदेवे (शिक्षक)
शा०मा०विद्यालय गादीरास



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