कहानी – “दोस्त पानी और पेड़”
एक गाँव में दो अच्छे दोस्त रहते थे – पानी और पेड़। दोनों हर जगह साथ-साथ दिखाई देते थे। पेड़ हमेशा हरियाली फैलाते और ठंडी छाया देते थे, जबकि पानी सबको प्यास बुझाता और जीवन देता था।
एक दिन गाँव के लोग पानी और पेड़ का सही ध्यान रखना भूल गए। नलों से पानी बर्बाद करने लगे और पेड़ों को काटने लगे। धीरे-धीरे कुएँ सूख गए और खेतों में फसल नहीं उगी। गर्मी इतनी बढ़ी कि लोग परेशान हो गए।
गाँव के बुज़ुर्ग ने सबको बुलाकर कहा –
“अगर तुमने पानी और पेड़ को बचाया होता तो यह मुसीबत नहीं आती। याद रखो – पेड़ हैं तो वर्षा होगी, वर्षा होगी तो पानी मिलेगा।”
गाँव वालों को अपनी गलती समझ आई। सबने मिलकर तालाब बनाया, वर्षा जल संचयन किया और नए-नए पेड़ लगाए। धीरे-धीरे गाँव फिर से हरा-भरा और खुशहाल हो गया।
सीख
पानी और पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं।
यदि इन्हें बचाएँगे तो जीवन सुखी और समृद्ध होगा।
श्रीमती -सुनीता कुर्रे
शासकीय प्राथमिक शाला भनवारटंक
संकुल -आमागोहन,
विकासखंड- कोटा
जिला -बिलासपुर
कहानी – “गुम हुआ पर्स”
रामू नाम का एक लड़का स्कूल से घर लौट रहा था। रास्ते में उसे ज़मीन पर एक पर्स मिला। पर्स खोलकर देखा तो उसमें पैसे और किसी आदमी का पहचान पत्र था।
रामू सोचने लगा –
“अगर ये पैसे मैं रख लूँ तो मिठाई और खिलौने खरीद सकता हूँ… लेकिन यह गलत होगा।”
रामू तुरंत पर्स लेकर थाने गया और पुलिस को दे दिया। पुलिस ने पहचान पत्र देखकर मालिक को बुलाया। वह आदमी बहुत खुश हुआ और बोला –
“बेटा, आज के ज़माने में इतने ईमानदार बच्चे बहुत कम मिलते हैं।”
उसने रामू को धन्यवाद दिया और आशीर्वाद देकर कहा –
“ईमानदारी ही सबसे बड़ी दौलत है।”
सीख
सच्चाई और ईमानदारी से हमेशा सम्मान मिलता है।
दूसरों की चीज़ें लौटाना ही असली इंसानियत हैं।
स्वरचित लेखन
श्रीमती -सुनीता कुर्रे
शासकीय प्राथमिक शाला भनवारटंक
संकुल -आमागोहन विकासखंड-कोटा
जिला-बिलासपुर ( छत्तीसगढ़)


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