सफलता की कहनी
परिवर्तन जीवन का दूसरा नाम है, और हर व्यक्ति के जीवन में यह परिवर्तन बहुत सारे अनुभव छोड़ जाते हैं, ऐसे ही कुछ अनुभव मैंने अपने जीवन में पाया, मैं श्रीमती परिणीता कश्यप प्राथमिक शाला कुड़मेलपारा में प्रधान पाठक के रूप में प्रमोशन होकर दिनांक 10/10/2022 को आई मैंने देखा कि पूर्व दोनों शिक्षिकाओं का प्रमोशन हो गया है मुझे अकेले ही विद्यालय का संचालन करना है, एकल शिक्षक होकर विद्यालय को संभालना चुनौती पूर्ण कार्य था, किंतु इस चुनौती को मैंने स्वीकार किया यहां आने पर मैंने देखा कि यह संस्था बहुत ही जज्जर स्थिति में थी, जिसे देखकर मुझे दुख हुआ, बच्चे भी शाला आने के लिए रुचि नहीं लेते थे, बुलाने पर भी बच्चे मुझे देखकर भाग जाया करते थे, जो कि मेरे शाला विकास में बाधक था, और बहुत ही चुनौती पूर्ण था, इस चुनौती को स्वीकार कर शाला की छवि को बदलना था। मैंने चुनौती को स्वीकार किया क्योंकि दुनिया में कोई कार्य असंभव नहीं बस हौसले और मेहनत की जरूरत होती है।
समस्या
शाला भवन में बच्चों की सत प्रतिशत उपस्तिथि, शाला भवन में घर जैसा माहौल तैयार करना, बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार, एसएमसी सदस्यों को जागरूक करना, शाला भवन को आकर्षक बनाना एवं शिक्षक और बच्चों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करना।
समाधान
कहते हैं की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, और इस बात को सच में मैंने अपने शालेय कर्तव्य में अनुभव किया है कई बार आजमाइशे हमें सफलता की ओर अग्रसर करती हैं, हमें उसे स्वीकारना चाहिए । नवाजतन के तहत शाला भवन का निर्माण कार्य किया गया, जीवन में रंगों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, रंग हमारी भावनाओं पर सीधे असर डालते हैं, यह रंगों का ही प्रभाव है जो हमें बौद्धिक चेतना से भर देते हैं, और हमारी जिंदगी को रंगीन बना देते हैं, रंगों के बिना हमारा मन उबाऊ लगने लगता है, एवं जीवन में निरस्ता आ जाती है, ऐसे निरस्ता के माहौल को दूर करने के लिए मैंने सभी कक्षा को बच्चों के अनुरूप आकर्षित करने के लिए एवं उन में जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए और पढ़ाई के प्रति रुचि लाने के लिए एवम प्रतिदिन बच्चे शाला नियमित आए , इसलिए मैंने बच्चों के साथ मिलकर शाला भवन को सुंदर एवं आकर्षक बनाने का कार्य किया मैंने देखा कि बच्चे उन चित्रों को देखकर खुश होते हैं एक दूसरे से बातचीत करते हैं देखकर बोलकर भी सिखाते हैं, और बच्चों में उत्साह नजर आता है शाला में अब बालकों के रुचि दिखाई देने लगी है वह अपने बच्चों को प्रतिदिन शाला भेजने लगे हैं, तथा SMC का सहयोग, जो मेरे शाला विकास में अहम भूमिका निभाते है वह भी अब मिलने लगा है। जो मुझे गर्व महसूस कराता है। गतिविधि आधारित शिक्षण का उपयोग कर बच्चों को सरल से सरल तरीके से सीखने के लिए खेल-खेल में शिक्षा, गीतों, कविताओं एवं चित्रों के माध्यम से गतिविधि आधारित शिक्षण दी जाती है, मैंने देखा कि बच्चे रुचि लेते हुए बेझिझक होकर सीख रहे हैं, और बच्चे और शिक्षक के बीच में अच्छे संबंध भी स्थापित हो रहे हैं, बच्चों के अंदर से डर की भावना भी दूर हो रही है।
मेरी सफ़लता
इस कार्य से मुझे सबसे बड़ी सफलता यह मिली कि बच्चों को अब मुझे बुलाने की जरूरत नहीं, बच्चों की उपस्थिति लगभग सत प्रतिशत हो गई है, पढ़ाई के प्रति रुचि दिखाई देती है, उन्हें शाला में घर जैसा माहौल लगता है, अब घबराते या शाला आने से डरते नहीं है, शाला का माहौल खुशनुमा और शाला समय 10 से 4 के बीच में बच्चों की किलकारी से गूंजने लगा है, जो शाला भवन को और भी आकर्षक बनाता है, शाला अवकाश होने पर बच्चे नारे लगाते हुए कहते हैं।
स्कूल रोजाना है, हमारा स्कूल हीरो बन गया
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