"शिक्षा की अनमोल ज्योति और मेरा योगदान"
शिक्षा केवल अक्षरों का ज्ञान नहीं है, यह तो जीवन को दिशा देने वाली वह ज्योति है जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करती है और इस अमूल्य ज्योति का सृजनकर्ता होता है शिक्षक। शिक्षक वह दीपक है जो स्वयं जलकर अनगिनत जीवनों को प्रकाशमान करता है। मेरे लिए शिक्षा का अर्थ सिर्फ पढ़ाना या अंकों तक सीमित करना नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य है बच्चों के मन में जिज्ञासा जगाना, आत्मविश्वास भरना और उन्हें नैतिक मूल्यों, सामाजिक जिम्मेदारियों तथा जीवन कौशल से जोड़ना। इसी सोच के साथ मैंने अपने शिक्षण कार्य को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जीवनोपयोगी और व्यवहारिक बनाने का प्रयास किया। विद्यालय में मेरा योगदान बहुआयामी रहा है। मैंने बच्चों को केवल गणित, वाणिज्य या भाषा नहीं सिखाई, बल्कि उन्हें जीवन जीने की कला से भी परिचित कराया। मैंने हर कक्षा में नैतिक शिक्षा को जोड़ा, जिससे विद्यार्थी सत्य, अहिंसा, करुणा, सहयोग और ईमानदारी जैसे मूल्यों को समझें। पर्यावरण शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को प्रकृति से जोड़ने का प्रयास किया। उन्हें प्लास्टिक प्रदूषण, जल प्रदूषण और सोशल मीडिया प्रदूषण जैसी समस्याओं से अवगत कराया और समाधान के लिए जागरूक किया। मैंने विद्यालय में आर्ट और क्राफ्ट की गतिविधियों को बढ़ावा दिया। पुराने वेस्ट मटेरियल से उपयोगी वस्तुएँ बनवाकर बच्चों को पुन: उपयोग और रचनात्मकता की शिक्षा दी। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा, बल्कि उनमें पर्यावरण संरक्षण की गहरी समझ भी विकसित हुई।
शिक्षा का एक और महत्वपूर्ण पहलू है – समावेशी शिक्षा। मेरी यह कोशिश रही है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए। इसी सोच के तहत मैंने दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए ऑडियो सामग्री तैयार की, ताकि वे भी शिक्षा की मुख्यधारा में बराबरी से जुड़ सकें। जब मैंने देखा कि मेरी आवाज़ से पढ़ाई सुनकर ऐसे बच्चे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं, तो मुझे लगा कि यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। आज का समय केवल किताबों और कक्षाओं तक सीमित नहीं है। बच्चों को नई दुनिया के खतरों और अवसरों से परिचित कराना भी आवश्यक है। इसी कारण मैंने उन्हें सोशल मीडिया प्रदूषण के दुष्प्रभाव समझाए और डिजिटल माध्यमों का सकारात्मक उपयोग करना सिखाया।
मेरी कोशिश हमेशा यही रही है कि हर बच्चा यह महसूस करे कि – "मैं भी कर सकता हूँ, मेरे अंदर भी अनगिनत संभावनाएँ छुपी हैं।" शिक्षा की यही प्रेरणा साधारण बच्चों को असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँचा देती है। जब बच्चे मेरी सीख को अपनाकर सफल होते हैं, तो वह क्षण मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं होता। सच तो यह है कि जब-जब समाज में अंधकार छाया है, तब-तब शिक्षा ने उसे रोशन किया है। और शिक्षा को जीवंत, प्रासंगिक व प्रेरणादायक बनाने की ज़िम्मेदारी हम शिक्षकों पर है। एक शिक्षक का प्रोत्साहन ही वह शक्ति है, जो बच्चों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की हिम्मत देता है। मैं मानती हूँ कि शिक्षा केवल भविष्य को सँवारने का साधन नहीं, बल्कि वर्तमान को सार्थक बनाने की प्रक्रिया है। शिक्षक के रूप में मेरा योगदान यही है कि मैं हर बच्चे को यह विश्वास दिला सकूँ कि शिक्षा उसकी सबसे बड़ी पूँजी है और वही उसके जीवन को नई दिशा देगी।



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