दृष्टिबाधित विद्यालय का अविस्मरणीय अनुभव


आंखों से सब देखते हैं,

पर इन आंखों में सपनों का संसार है।

जहां रोशनी नहीं,

वहां भी उम्मीद की किरणें मुस्कुराती हैं।

ये आंखें किताब के अक्षरों को नहीं पढ़ पातीं,

पर दिल के भावों को बड़ी आसानी से समझ जाती हैं।

इन आंखों में है संघर्ष की शक्ति,

और आत्मविश्वास की चमक।

जो दुनिया को देखने से वंचित हैं,

वे दिल से दुनिया को महसूस करते हैं।

उनकी मुस्कान ही उनका आईना है,

जो हर अंधेरे को रौशन कर देती  

दृष्टिबाधित विद्यालय का अविस्मरणीय अनुभव

मैं, श्रीमती रजिया अंजुम शेख, व्याख्याता, शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कुरदा में पदस्थ हूं। हाल ही में मुझे शक्ति स्थित दृष्टिबाधित बच्चों के विद्यालय जाने का अवसर मिला। यह अनुभव मेरे जीवन के सबसे मूल्यवान और हृदयस्पर्शी पलों में से एक बन गया।

मैं बच्चों के लिए उपयोगी सामग्री लेकर गई थी, परंतु वहां पहुंचकर ऐसा लगा मानो मैं स्वयं अमूल्य भावनाओं और अनुभवों का खज़ाना लेकर लौट रही हूं। विद्यालय का वातावरण अत्यंत स्वच्छ, शांत और अनुशासित था। वहां की साफ-सफाई और सादगी ने मुझे गहराई तक प्रभावित किया। सबसे बड़ी बात यह रही कि वहां के शिक्षक और कर्मचारी अत्यंत आत्मीयता से मिले। उन्होंने विद्यालय की गतिविधियों और बच्चों की दिनचर्या से संबंधित बातें साझा कीं, जो प्रेरणा देने वाली थीं।

जब मैंने उन मासूम चेहरों को देखा, तो मन स्वतः ही भावुक हो उठा। उनकी आंखें दुनिया के रंगों को नहीं देख पातीं, फिर भी उनमें उम्मीद की रोशनी और सपनों का उजाला भरा हुआ है।

“आंखों से सब देखते हैं,

पर इन आंखों में सपनों का संसार है।

जहां अंधकार नहीं,

बल्कि उम्मीद की किरणें मुस्कुराती हैं।”

उन बच्चों के आत्मविश्वास और सीखने की ललक ने यह साबित कर दिया कि सीमाएं केवल शरीर तक सीमित होती हैं, आत्मा और इच्छाशक्ति की उड़ान असीमित होती है। वे हर कठिनाई के बावजूद जीवन को पूरे उत्साह के साथ जीना जानते हैं।

उनकी मुस्कान ने मुझे यह एहसास कराया कि असली आनंद बाहरी दृश्य में नहीं, बल्कि दिल की संवेदनाओं और आत्मीयता में है। यह अनुभव न केवल मेरे लिए प्रेरणादायक रहा, बल्कि मुझे जीवन के प्रति नई दृष्टि भी प्रदान कर गया।

मैं विद्यालय के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को सादर नमन करती हूं, जो इन विशेष बच्चों के जीवन को संवारने और उनके भीतर आत्मविश्वास की रोशनी जगाने में निरंतर लगे हुए हैं। वास्तव में, उनका कार्य समाज के लिए अनुकरणीय है और हमें यह सीख देता है कि सच्ची सेवा वही है जो दूसरों के जीवन को प्रकाशमय बना दे।

हम सामान्य बच्चों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं यह बच्चे भी तो हमारे समाज का ही हिस्सा है

आज समाज में हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम विशेष बच्चों का हाथ थामें, उनके सपनों को पंख दें और उनके आत्मविश्वास को नई ऊंचाई प्रदान करें। ये बच्चे किसी बोझ नहीं, बल्कि हमारी प्रेरणा हैं। यदि हम सब मिलकर इनके साथ खड़े होंगे, तो निश्चित ही ये बच्चे भी जीवन की हर उस ऊंचाई को छू सकेंगे, जिसकी वे कामना करते हैं।पर इन आंखों में सपनों का संसार है,

जहां अंधकार नहीं,बल्कि उम्मीद की रोशनी जगमगाती है।”

इन बच्चों ने मुझे सिखाया कि देखने से कहीं अधिक ज़रूरी है महसूस करना। उनके आत्मविश्वास ने यह साबित किया कि सीमाएं केवल शरीर की नहीं होतीं, असली ताक़त तो मन और आत्मा की होती हपर इन आंखों में सपनों का संसार है,

जहां अंधकार नहीं,बल्कि उम्मीद की रोशनी जगमगाती है।”

इन बच्चों ने मुझे सिखाया कि देखने से कहीं अधिक ज़रूरी है महसूस करना। उनके आत्मविश्वास ने यह साबित किया कि सीमाएं केवल शरीर की नहीं होतीं, असली ताक़त तो मन और आत्मा की होती ह

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