ब्लड मून: बच्चों के लिए एक अद्भुत खगोलीय घटना(7-8 सितंबर 2025) श्रीमती रजिया अंजुम शेख (व्याख्याता) शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कुरदा चांपा
ब्लड मून : आकाश का लाल चाँद
आकाश में होने वाली खगोलीय घटनाएँ हमेशा से लोगों को आकर्षित करती रही हैं। सूरज, चाँद, तारे और ग्रह अपनी गति से चलते हुए समय-समय पर ऐसे नज़ारे दिखाते हैं जिन्हें देखकर मन अचंभित हो उठता है। हाल ही में ऐसी ही एक घटना घटी, जिसे पूरे एशिया में देखा गया। यह था ब्लड मून, यानी लाल चाँद।
ब्लड मून क्यों दिखाई देता है?
सामान्य दिनों में हम चाँद को सफेद और चमकदार रूप में देखते हैं। लेकिन ब्लड मून के समय चाँद हल्का लाल या तांबे जैसा रंग लिए दिखाई देता है। इसका वैज्ञानिक कारण बहुत रोचक है।
जब पृथ्वी, सूर्य और चाँद एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी बीच में होती है, तब सूर्य की रोशनी सीधे चाँद तक नहीं पहुँच पाती। पृथ्वी की छाया चाँद पर पड़ती है और इस घटना को चंद्रग्रहण कहते हैं।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि चाँद पूरी तरह अंधेरा नहीं होता। वह हल्की लालिमा से चमकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य की कुछ किरणें पृथ्वी के वातावरण से होकर चाँद तक पहुँच जाती हैं। वातावरण नीली रोशनी को रोक लेता है और लाल रोशनी को आगे बढ़ा देता है। यही कारण है कि ग्रहण के समय चाँद लाल दिखने लगता है। इसी को ब्लड मून कहा जाता है।
बच्चों के लिए आसान उदाहरण
इसे समझने के लिए एक छोटा प्रयोग सोचो।
मान लो सूर्य एक बड़ा बल्ब है।
पृथ्वी तुम्हारा दोस्त है जो बल्ब और दीवार के बीच खड़ा हो गया।
और दीवार पर बना गोला चाँद है।
जब दोस्त बीच में खड़ा हो गया तो रोशनी सीधी दीवार पर नहीं पड़ी और छाया बन गई। लेकिन कमरे की लाल रोशनी यदि दीवार तक पहुँचती है तो गोला लाल-सा दिखने लगता है। यही बिल्कुल ब्लड मून में होता है।
शास्त्रों में महत्व
हमारे धर्मशास्त्रों में ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस समय सूतक काल लगता है, जब धार्मिक कार्य और भोजन से परहेज़ किया जाता है। लोग मंत्रजप, प्रार्थना और ध्यान करते हैं। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना और घर को शुद्ध करना भी परंपरा है।
गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है। साथ ही बच्चों को ग्रहण के समय कहानियाँ सुनाई जाती हैं ताकि वे प्रकृति के रहस्यों को समझें और उनसे डरें नहीं।
विज्ञान और आस्था का संगम
ब्लड मून एक ऐसा दृश्य है जिसमें विज्ञान और आस्था दोनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी की छाया और प्रकाश का खेल है, वहीं धार्मिक दृष्टि से यह ध्यान, साधना और आत्मचिंतन का समय है।
बच्चों के लिए यह घटना यह संदेश देती है कि आकाश में होने वाली हर घटना का कोई कारण होता है। हमें उनसे डरना नहीं चाहिए, बल्कि विज्ञान के आधार पर उन्हें समझना चाहिए और प्रकृति के चमत्कारों का आनंद लेना चाहिए।


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