हम होंगे कामयाब
परीक्षा यानी किसी व्यक्ति द्वारा किए कार्य का मूल्यांकन या किसी घटना की सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच अथवा परीक्षण। परीक्षा का नाम सुनते ही बच्चे हो या बड़े सभी थोड़ा बहुत घबरा ही जाते हैं। विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का अर्थ उनके स्तर अनुरूप क्षमता के मूल्यांकन से है। परीक्षा का समय बच्चों के साथ ही शिक्षकों और पालकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होती है। क्योंकि बच्चों की सफलता के साथ शिक्षकों और पालकों का सम्मान भी जुड़ा होता है। कोई भी परीक्षा अंतिम नहीं होती, किसी भी परीक्षा को जन्म-मरण का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए। जीवन परीक्षाओं से भरा पड़ा है, प्रत्येक परीक्षा एक पड़ाव मात्र होता है।
अगली परीक्षा के बाद कोई भी पिछली परीक्षा के बारें में नहीं पूछता या यूं कहें कोई इंटरेस्ट नहीं रखता; जैसे आप 12 में हैं, तो 8 वीं,10 वी की परीक्षा परिणाम की कोई चर्चा नहीं करेगा। सभी वर्तमान में ध्यान देते हैं, रूचि रखते हैं; जैसे विराट कोहली ने पिछले मैचों में चाहे कितने भी शतक बनाए हों, लेकिन अगले मैच में तो उसे शून्य से ही शुरुआत करनी होगी। इसलिए किसी परीक्षा को हौव्वा नहीं बनाना चाहिए।
कुछ स्टूडेंट्स परीक्षा के दौरान अपने आपको घर या कमरें तक सीमित कर लेते हैं; और तो और, कुछ अभिभावक तो परीक्षा के समय बच्चों के घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा देते हैं। बच्चे भी खेलना, बाहर घूमना-फिरना, दोस्तों से बात करना सब बंद कर देते हैं। यह सब गतिविधि परीक्षा को हौव्वा बनाने में कोई कसर नही छोड़ती। तथा स्टूडेंट्स के मानसिक तनाव में को और बढ़ाती है।
कुछ स्टूडेंट्स परीक्षा के समय चाय-काफी का सहारा लेकर देर रात तक जागकर पढ़ाई करते हैं, जिससे उनकी दिनचर्या ही बदल जाती है और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ स्टूडेंट्स परीक्षा से एक दो रोज पूर्व रात भर या देर रात तक पढ़ाई करते हैं और सुबह 10-11 बजे तक सोते हैं। यदि परीक्षा का समय सुबह 8 से 11 या 9 से 12 बजे तक है, तो उस समय उसका माइंड सुप्तावस्था में रहेगा, तो परीक्षा हाल में क्या स्थिति निर्मित होगी सोचने वाली बात है।
निम्न बातों को ध्यान में रखकर परीक्षा के तनाव को कम किया जा सकता है और परिणाम को बेहतर बनाया जा सकता है–
1. किसी भी परीक्षा को जन्म-मरण का प्रश्न न बनायें। प्रत्येक परीक्षा जीवन का मात्र एक पड़ाव होता है, जिससे मिलती-जुलती परीक्षा स्टूडेंट्स प्रतिवर्ष उत्तीर्ण करते रहे हैं।
2. परीक्षा की तैयारी करते समय स्टूडेंट्स नोट्स जरूर बनायेँ एवं अपनी भाषा में उत्तर लिखने का प्रयास करें। समय-समय पर पिछले वर्षों के अन सॉल्व्ड पेपर्स सॉल्व करते रहें।
3. परीक्षा के समय एकदम सामान्य रहें। पहले ही की तरह समय पर खेलना, घूमना-फिरना जारी रखें। समय पर सोए - जागे। खाना भी समय पर खाते रहें। अधिक मसालेदार एवं तेलयुक्त भोजन से बचें।
4. पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में दिमाग को तरोताजा करने के लिए 5-10 मिनट दोस्तों से बात करनी चाहिए। लेकिन समय का विशेष ध्यान रखें। घर वालों से भी बराबर बात करते रहना चाहिए।
5. पढ़ाई के दौरान टी.वी.,मोबाइल से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
6. जो भी चैप्टर या कांसेप्ट समझ नहीं आ रहा हो, उसे परीक्षा पूर्व ही अपने विषय शिक्षक से क्लीयर कर लेना चाहिए। कभी भी डाउट क्लीयर करने के लिए शिक्षक से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
7. स्कूलों में ली जाने वाली मॉक-टेस्ट जरूर दिलायें। इसके अलावा परीक्षा अनुकूल माहौल घर में बनाते हुए सेल्फ-टेस्ट भी लेना चाहिए। समय-सीमा में उत्तर लिखने का प्रयास करना चाहिए, जिससे आपको पता चल सके, कि आप कहां पर सही हैं और कहां गलती कर रहे हैं। और गलतियों को समय रहते सुधार लें।
8. परीक्षा के दौरान नया चैप्टर या टॉपिक पढ़ने से बचना चाहिए, इसके बजाय रिवीजन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। किसी टॉपिक को बार-बार रिवाइज करने से माइंड शार्प होता है। जैसे;-बर्तन को बार-बार मांजने से उसकी चमक और बढ़ जाती है।
9. परीक्षा केन्द्र में परीक्षा से थोड़ा पहले पहुंचे, लेकिन वहां दोस्तों के साथ यह चर्चा नहीं करनी चाहिए, कि तुम क्या पढ़के आये हो, अरे मैंने तो उसे छोड़ दिया है। ऐसी चर्चा केवल आत्म विश्वास को ही कम करता है...और कुछ नहीं; क्योंकि जो प्रश्र परीक्षा में आने वाला है, वह न तो आपको पता है और न ही आपके दोस्तों को। लेकिन प्रिंट जरूर हो गया है।
10. "क्या मैं सफल होऊंगा की बजाय, खुद से प्रश्न करें, कि मैं सफल क्यों नहीं होऊंगा।"
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर, सामान्य रहकर परीक्षा की तैयारी करें, सफलता आपके कदम चूमेगी।
सफ़लता की शुभ कामनाओं के साथ.....संजय कुमार देवांगन (ABEO)
9753646784
0 Comments