कक्षा 10 हिंदी पाठ 1.2 नर्मदा का उद्गम-अमरकंटक डॉ. श्रीराम परिहार/ Narmda ka Udgam sthalAmarkantak

 1 प्रकृति और पर्यावरण

1.2 नर्मदा का उद्गम-अमरकंटक 

डॉ. श्रीराम परिहार



अभ्यास - प्रश्न 

पाठ से 

प्रश्न 1. विन्ध्य और सतपुड़ा को लेखक ने किस रूप में चित्रित किया है ?

उत्तर- विन्ध्य और सतपुड़ा का समवेत विग्रह बड़ा ही सुदर्शन और मनोहारी है । इसे मैकाल कहते हैं । मैकाल पर्वत की दाईं भुजा विन्ध्याचल और बाईं भुजा सतपुड़ा है । इन दोनों पर्वतों के बीच नर्मदा प्रवाहित होती है । विन्ध्याचल और सतपुड़ा अपनी विराटता से भारत को पूर्व से पश्चिम तक हरापन और प्राकृतिक स्वरूप प्रदान करते हैं ।

प्रश्न 2. वनवासियों का जीवन कैसा होता है ? 

उत्तर – वनवासियों का जीवन निर्द्वन्द्व है । टोकनियों में जामुन लेकर वनवासी महिलाएँ बैठती हैं । पके आम के ढेर बेचने लाती हैं । यहाँ अजब शान्ति है । लोग गरीब हैं । नर्मदा उनकी देखभाल करती है ।

प्रश्न 3. “ अमरेश्वर के कण्ठ से ही नर्मदा निकली है । " यह पंक्ति किस संदर्भ में कही गई है ?

उत्तर - अमरकण्टक में जलकुण्ड है जो नर्मदा का उद्गम है । इस कुण्ड के पास 20 मन्दिर बने हैं पूर्व की ओर एक छोटा - सा शिव मन्दिर है वहीं से नर्मदा का उद्गम है जल शिव के कण्ठ से निकलकर इस कुण्ड में एकत्र होता है इसलिए कहा गया है कि नर्मदा अमरेश्वर के कण्ठ से निकली है ।

प्रश्न 4. “ अमरकण्टक ने अपनी आत्मा से नर्मदा को जन्म दिया है । " पाठ के अनुसार स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- नर्मदा कुण्ड से अमरकण्टक का एक शिखर और आस - पास की भूमि ऊँची है वहीं का जल निरन्तर नर्मदा कुण्ड में आता है । वहाँ से नर्मदा में अनादि काल से , प्रलय काल से आज तक जल का प्रवाह बना हुआ है । इसीलिये कहा जाता है कि अमरकण्टक ने अपनी आत्मा से नर्मदा को जन्म दिया है । 

प्रश्न 5. निम्न पंक्तियों की व्याख्या कीजिए 

( क ) दूर से दृष्टि पड़ती है कि कोई रजत धार आकाश से झर रही है । चारों तरफ हरा - भरा वानस्पतिक संसार है , एक तरफ अपनी अचलता और विश्वास में समृद्ध है , ऊपर आसमान में बादलों की छियाछितौली और धमा चौकड़ी मची है ।

व्याख्या- लेखक कहते हैं कि सोन नदी अपने उद्गम से गिरती हुई ऐसी लगती है मानों आकाश से चाँदी की धारा झर रही है । इसके चारों ओर हरी - भरी वनस्पतियाँ हैं । ऊँचे पर्वत ऐसे लगते हैं मानो वे अपनी अचलता और विश्वास के प्रति दृढ़ निश्चयी हैं । ऊपर गरजने वाले बादल धमा - चौकड़ी और छू - छुआल खेलते प्रतीत होते हैं ।

( ख ) अमरकण्ठी नर्मदा का यह क्षेत्र देवों और मनुजों , मिथकों और लोक - कथाओं , ऋषियों और वर्तमान के रचनाकारों को अपने संदर्भों में समाए हुए है । कालिदास ने इसे आम्रकूट कहा है । 

व्याख्या - लेखक कहते हैं कि नर्मदा नदी के प्रवाह का जो भू - भाग है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है । देवताओं और मनुष्यों , कहानीकार और लोक कथाकारों , ऋषि मुनियों से लेकर आज तक के रचनाकारों के लिए इस क्षेत्र का विशेष महत्व है । इसमें अनेक तथ्यों का खजाना छिपा है । महाकवि कालीदास ने इसलिये ही आम्रकूट की इसे उपाधि दी है । 

प्रश्न 6. नर्मदा सूख जायेगी तो हम लोग कैसे बच सकेंगे । वनवासी स्त्री द्वारा ये बात क्यों कही गयी ?

उत्तर– वनवासी लोगों के जीवन का आधार नर्मदा ही है। उसके जल से सिंचित आस - पास की भूमि की उपज , प्राप्त जंगली वस्तुएँ , वहाँ के खनिज जन - जीवन का आधार है । नर्मदा के न रहने पर वह स्थान निर्जन या बंजर हो जायेगा । इसलिए वनवासी स्त्री ने कहा कि नर्मदा सूख जायेगी तो हम लोग नहीं बच पायेंगे ।

प्रश्न 7. टिप्पणी लिखिए ( क ) सोनमुड़ा , ( ख ) आम्रकूट , ( ग ) मैकाल , ( घ ) माई की बगिया 

उत्तर- ( क ) सोनमुड़ा - सोन नदी का उद्गम स्थान है यहाँ ऊपर से नीचे की ओर गिरती नदी की धारा श्वेत चाँदी के समान दिखती है ।

( ख ) आम्रकूट- अमरकण्टक के समीप की विशाल पर्वतीय भूमि जहाँ आम्र वृक्ष की अधिकता है उसे कवि कालिदास ने आम्रकूट कहा है ।

( ग ) मैकाल – विन्ध्याचल और सतपुड़ा के बीच मैकाल पर्वत श्रेणी का नाम है । यहीं से नर्मदा का उद्गम हुआ है । 

( घ ) माई की बगिया - सोन नदी और नर्मदा नदी का प्रवाह क्षेत्र है । यहाँ छोटा - सा जलकुण्ड , आम के बगीचे , सरई के पेड़ दिखते हैं । माई की बगिया में नर्मदा लुप्त होकर इस कपिल धारा के पास प्रगट होती है । 


पाठ से आगे 

प्रश्न 1. नर्मदा नदी लोगों के जीवन को कैसे खुशहाल बनाती है ? 

उत्तर- नर्मदा नदी के आस - पास घना जंगल है । उपजाऊ भूमि है । आम के वृक्ष हैं । बॉक्साइट का भण्डार है । इसके कारण लोगों का व्यवसाय , कृषि , खदान सभी से रोजगार की प्राप्ति हो जाती है । लोगों के जीवन - यापन की समस्या हल हो जाती है जीवन खुशहाल हो जाता है ।

प्रश्न 2. " नर्मदा का उद्गम - अमरकण्टक " पाठ में वर्णित नैसर्गिक सौन्दर्य को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए । 

उत्तर- अमरकण्टक मैकाल पर्वत श्रेणी पर विशाल प्राकृतिक सौन्दर्य को लिए हुए है । नदियों का उद्गम चाँदी की धारा के समान दिखता है । आस - पास असंख्य जामुन और आम के वृक्ष हैं । गुलेबकावली का दुर्लभ पुष्प यहीं पाया जाता है जिससे आँखों की तपन शांत हो जाती है । सरई के जंगल हरे - भरे दिखलाई देते हैं । आसमान में बादल धमाचौकड़ी मचाते हुए प्रतीत होते हैं । इस जमीन से कई लोगों का जीवन चल रहा है ।

प्रश्न 3. “ अमरकण्टक ने नर्मदा को जन्म देकर भारत को वरदान दिया है । " ऐसा क्यों कहा गया है ? विचार लिखिए । 

उत्तर- अमरकण्टक से निकली नर्मदा नदी मध्य भारत की सबसे बड़ी नदी है । इसके किनारे असंख्य आम , जामुन और सरई के पेड़ हैं । ऋषि - मुनियों की यह तपोभूमि है । नर्मदा के उद्गम से मुहाने तक परिक्रमा की जा सकती है । मध्य भारत से गुजरात तक कृषि और उद्योगों का यह आधार है । इसके किनारे बॉक्साइट के भण्डार हैं । नर्मदा ने जबलपुर में संगमरमर का विश्व प्रसिद्ध केनियान बनाया है । इसने अनेक जीवों को जल आपूर्ति देकर बचाया है । इसलिये नर्मदा भारत के लिए वरदान है ।

प्रश्न 4. अविवेकपूर्ण व अंधाधुंध खनन से अमर कण्टक क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावरण को किस प्रकार नुकसान हो रहा है ? जानकारी जुटाकर लिखिए । 

उत्तर- अमरकण्टक क्षेत्र ऐल्युमिनियम उत्पादक क्षेत्र  इसीलिये कहा जाता है कि अमरकण्टक ने अपनी आत्मा से त्वों नर्मदा को जन्म दिया है । 

प्रश्न 5. नर्मदा किसको अपना दूती बनाकर अपना प्रणय संदेश भेजती है ? 

उत्तर- नर्मदा जुहिला ( अपनी सखि ) को अपना दूती बनाकर अपना प्रणय संदेश शोणभद्र के पास भेजती है । जुहिला शोण पर मुग्ध हो जाती है । वह नर्मदा का रूप लेकर सोन का वरण करती है ।

भाषा के बारे में 

प्रश्न 1. पाठ में कई जगह गुणवाचक विशेषणों का प्रयोग किया गया है जैसे- बादल सरई के ऊँचे - ऊँचे पेड़ों की फुनगियों पर रहते अमरकण्टक की समतल और रक्ताभ छवि से रूबरू होते आगे बढ़ते हैं । पंक्ति में ऊँचे - ऊँचे ' शब्द पेड़ों का गुण बता रहा है तथा ' रक्ताभ ' शब्द छवि की विशेषता बता रहा है । इस प्रकार पाठ में आए विशेषणों को ढूंढकर लिखिए । ( जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण , दोष आदि का बोध कराए , गुणवाचक विशेषण कहलाता है )

उत्तर- पाठ में प्रयुक्त गुणवाचक विशेषण- रजत धार , आड़ी - तिरछी सड़क , गाढ़ी हरियाली , लम्बा घाट ।

प्रश्न 2. किसी विशिष्ट प्राकृतिक स्थल की विशेष ताओं को बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए । ॥ श्री ॥ 

उत्त- प्रिय मित्र,

 अण्वेश, 

 सप्रेम नमस्ते ,

रायपुर

30-08-2019

 कल मैं जगदलपुर घूमकर अपने रिश्तेदारों के साथ रायपुर लौटा । जगदलपुर से चित्रकोट का जलप्रपात जो इन्द्रावती नदी पर बना है अत्यंत सुन्दर है । इसकी तुलना अमेरिका के नियाग्रा प्रपात से की गई है सचमुच यह नियाग्रा से अधिक सुन्दर है । कुछ वर्तुलाकार आकृति में जल का गिरना , श्वेत जल कणों का टकराव , आस - पास के घने जंगल इसकी शोभा में चार चाँद लगा देते हैं । पूर्णमासी की संध्या में इसका अवलोकन अविस्मरणीय है ।

शेष शुभ !

 तुम्हारा मित्र राकेश

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