विज्ञान कक्षा आठवीं अध्याय 13 खाद्य उत्पादन एवं प्रबंधन

 अध्याय 13 खाद्य उत्पादन एवं प्रबंधन



प्रश्न 1. क्या किसी स्थान पर उगी गाजर घास या बेशरम आदि अनुपयोगी पौधों को फसल कहेंगे ? कारण सहित समझाइए । 

उत्तर- नहीं , किसी स्थान पर उगे गाजर घास या बेशरम आदि अनुपयोगी पौधों को फसल नहीं कहेंगे क्योंकि फसल किसी निश्चित उद्देश्य के लिए स्थान विशेष पर उगाये जाते हैं । 

प्रश्न 2. ऋतुओं के आधार पर फसलों के प्रकार लिखिए ।

 उत्तर - ऋतुओं के आधार पर फसल के तीन प्रकार होते हैं

( i ) खरीफ फसल - अधिक पानी व गर्मी की आवश्यकता । उदाहरण - धान , मक्का , मूँग आदि ।

( ii ) रबी फसल - नमी व कम तापमान की आवश्यकता । उदाहरण - गेहूँ , चना , अलसी आदि । 

( iii ) जायद फसल - शुष्क जलवायु । उदाहरण- तरबूज , खरबूज , ककड़ी , मूँगफली आदि ।

प्रश्न 3. जुताई से क्या लाभ हैं ?

उत्तर- जुताई से लाभ -

1. मिट्टी भुरभुरी व संरध्र हो जाती है , जिसमें वायु संचार व जलधारण क्षमता बढ़ती है ।

2. रोग उत्पन्न करने वाले कीड़े , इल्लियाँ बाहर आ जाते हैं व धूप में नष्ट हो जाते हैं । 

3. फसल के अवशेष मिट्टी में मिलकर खाद का काम करते

4. पूर्व में डाले गये खाद व उर्वरक समान रूप से फैल जाते हैं ।

प्रश्न 4. जुताई के पारम्परिक और आधुनिक उपकरण कौन - कौन से हैं ?

उत्तर- जुताई के पारम्परिक साधन - हल व मिट्टी पलट हल आधुनिक साधन- ट्रेक्टर , पॉवर ट्रिलर , चलित कल्टीवेटर , रोटावेयर और हैरो ।

प्रश्न 5. बीजोपचार किसे कहते हैं , यह क्यों आवश्यक है ?

उत्तर- बोवाई के पूर्व बीजों को रोगाणुमुक्त करने एवं उनमें शीघ्र अंकुरण के लिए तैयार की जाने वाली गतिविधियों को बीजोपचार कहते हैं । बीज रोग मुक्त हो , अच्छी अंकुरण कर सके व आसानी से अंकुरित हो सके , स्वस्थ व उपयुक्त बीज हो इसके लिए बीजोपचार आवश्यक है ।

 प्रश्न 6. बीजों को उचित गहराई में बोना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर- बीजों को उचित गहराई में बोना इसलिए आवश्यक है क्योंकि बीजों को अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी , वायु एवं प्रकाश मिलता रहे । इनमें पर्याप्त अन्तर भी होना चाहिए ।

प्रश्न 7. कम्पोस्ट किस तरह तैयार की जाती है ? 

उत्तर -1 मीटर लंबा x 1 मीटर चौड़ा x 1 मीटर गहरा गड्ढा तैयार करें । इसमें आस - पास के कचरे , कागज के टुकड़े , पेड़ - पौधों की टहनियाँ , पत्तियाँ , फलों के छिलके , पशुओं के गोबर जैसे व्यर्थ पदार्थों से गड्ढे को 30 सेमी ऊँचाई तक भर दें । इसके बाद इसमें गोबर , मिट्टी एवं पानी का घोल अच्छी तरह छिड़क दें । इसके ऊपर फिर इसी प्रकार से कूड़े - करकट के मिश्रण की परत फैलाकर गोबर - मिट्टी के घोल से तर करें । यह क्रम तब तक दोहराएँ जब तक कि गड्ढा जमीन की सतह से 50 60 सेमी की ऊँचाई तक न भर जाए । इस ढेर को गीली मिट्टी से ढंक कर गोबर से लीप दें और इसे ही छोड़ दें । 3-4 महीने बाद आप पायेंगे कि गड्ढा पिचक जाता है और इसके अन्दर के सभी पदार्थ काले भुरभुरे पदार्थ में बदल जाते हैं । यही कम्पोस्ट है । 

प्रश्न 8. केंचुए को कृषि मित्र क्यों माना गया है ?

उत्तर - केंचुए मिट्टी में उपस्थित सड़े - गले अवशिष्टों को खाते हैं और मल के द्वारा इन्हें जैविक खाद के रूप में निकालते है । इसमें नाइट्रोजन , फॉस्फोरस तथा पोटैशियम पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होती है । इन्हें केंचुआ खाद या वर्म कॉस्टिंग कहते हैं । इसलिए इसे कृषि मित्र कहा जाता है । यह गंदगी निवारणकर पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाता है ।

प्रश्न 9. उर्वरक किसे कहते हैं ?

उत्तर- भूमि में कुछ विशेष पोषक तत्वों , जैसे - नाइट्रोजन , फॉस्फोरस तथा पौटेशियम की पूर्ति हेतु किसान रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं , इन्हें उर्वरक कहते हैं । 

प्रश्न 10. फसल के लिए सिंचाई क्यों आवश्यक है ? 

उत्तर - फसल के लिए निश्चित अंतराल के बाद जल आपूर्ति आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा पौधे खनिज लवणों का अवशोषण ,प्रकाश संश्लेषण , वाष्पोत्सर्जन व अन्य जैविक क्रियायें सम्पन्न करते हैं । इसलिए सिंचाई आवश्यक है ।

प्रश्न 11. आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ कौन - कौन सी हैं ?

उत्तर - आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ - 

( i ) स्प्रिंकलर अथवा बौछारी फौब्वारा सिंचाई । 

( ii ) ड्रिप अथवा टपक सिंचाई ।

प्रश्न 12. क्या एक ही खेत में धान तथा परवल की खेती जा सकती है ? कारण सहित लिखिए । 

उत्तर- एक ही खेत में धान तथा परवल की खेती नहीं की जा सकती है । क्योंकि 

( 1 ) धान को अधिक पानी की आवश्यकता होती है जबकि परवल को नहीं । 

( 2 ) धान खरीफ की फसल है जबकि परवल रबी की फसल है ।

प्रश्न 13. गर्मियों में फल तथा सब्जियाँ जल्दी सड़ने लग जाती हैं और ठंड में अधिक समय तक ताजी रहती हैं । क्यों ? 

उत्तर- गर्मियों में अनुकूल ताप व परिस्थितियों की वजह से फल तथा सब्जियों में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि व जनन तेजी से होता है इसके प्रभाव से ये जल्दी सड़ने लगती हैं जबकि ठंड में उत्पाद तथा सूक्ष्मजीवों की क्रियायें वृद्धि व जनन या तो मंद पड़ जाती हैं या नहीं होतीं । अतः अधिक समय तक ताजी रहती है ।

प्रश्न 14. खरपतवार किसे कहते हैं ? खरपतवार नियंत्रण क्यों आवश्यक है ? 

उत्तर- खेतों में मुख्य फसल के साथ उग आये अनावश्यक पौधों को खरपतवार कहते हैं । खरपतवार फसल के साथ पोषक तत्वों , जल , स्थान तथा प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं । इससे पौधों की वृद्धि व गुणवत्ता प्रभावित होती है , वे कटाई में व्यवधान पैदा करते हैं तथा कुछ के तो विषैले प्रभाव होते हैं , अतः इनका नियंत्रण आवश्यक है ।

 प्रश्न 15. पीड़कों से फसल की सुरक्षा कैसे की जा सकती है ?

उत्तर - पीड़कों से फसल की सुरक्षा निम्न उपायों द्वारा की जा सकती है

( i ) मेड़ में कटीले तारों का घेरा लगाकर ,

( ii ) काक भगोड़ा लगाकर या ढोल बजाकर , 

( iii ) जीवाणुनाशी , कवकनाशी या कीटनाशी का छिड़काव करके ,

( iv ) जैविक नियंत्रण विधि अपनाकर ,

( v ) मिश्रित फसल प्रणाली अपनाकर ।

 प्रश्न 16. कंबाइन यंत्र के क्या कार्य हैं ?

 उत्तर- कंबाइन यंत्र के द्वारा कटाई व गहाई दोनों कार्य किया जा सकता है ।

प्रश्न 17. फसल उत्पाद का भण्डारण किस प्रकार किया जा सकता है ?

 उत्तर- ( i ) फसल उत्पाद का भण्डारण कमरा / कोठी / साइलो / गोदाम में हो ।

 ( ii ) चूने से पुता हो व कीटनाशक का छिड़काव किया गया हो ।

( iii ) अनाज के दानों में नमी न हो ।

( iv ) दीवार से हटाकर लकड़ी के तख्तों पर रखा हो ।

( v ) हवा / प्रकाश की उचित व्यवस्था हो एवं अन्य सावधानियों से युक्त स्थान पर ही फसल उत्पाद का भण्डारण किया जाता है ।

 प्रश्न 18. सही विकल्प चुनिए

 1. ऊष्मायित्र यंत्र का उपयोग किया जाता है -

( a ) दुधारू पशुपालन में

( b ) मत्स्य पालन में

( c ) कुक्कुट पालन में

( d ) मधुमक्खी पालन में ।

उत्तर- (d )मधुमक्खी पालन में ।

2. संकरण तकनीक है 

( a ) फसलों को कीटाणुनाशियों से सुरक्षित रखना 

( b ) कृत्रिम निषेचन द्वारा वांछित गुणों वाले बीज प्राप्त करना

( c ) सिंचाई की नवीनतम तकनीक

( d ) ज्यादा संख्या में अंडे प्राप्त करना ।

उत्तर- ( b ) कृत्रिम निषेचन द्वारा वांछित गुणों वाले बीज प्राप्त करना

3. पशुओं के मलमूत्र तथा पेड़ - पौधे के अपघटन से प्राप्त कार्बनिक पदार्थ कहलाते हैं -

( a ) उर्वरक

( b ) खाद 

( c ) हरी खाद 

( d ) जैव उर्वरक ।

उत्तर-( b ) खाद 

4. निम्नलिखित में से कौन - सी विधि भूमि की उर्वरता बनाए रखने की विधि नहीं है—

( a ) फसल चक्रण

( b ) मिश्रित फसल प्रणाली

( c ) निंदाई 

( d ) भूमि को कुछ समय के लिए परती छोड़ देना ।

उत्तर-( d ) भूमि को कुछ समय के लिए परती छोड़ देना ।

5. निम्नलिखित में से किस मशीन का उपयोग फसल कटाई एवं गहाई दोनों कार्यों के लिए किया जाता है—

( a ) थ्रेसर 

( b ) ट्रेक्टर

( c ) कंबाइन

( d ) हैरो ।

उत्तर- ( c ) कंबाइन

प्रश्न 19. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

1. कृत्रिम रूप से तैयार की जाने वाली खाद को उर्वरक कहते हैं।

2. भूमि को समतल बनाने का कार्य सुहागा व लकड़ी का पटला यंत्र से किया जाता है ।

3. अनाज के दानों को भूसे से अलग करने की क्रिया उड़ावनी कहते हैं ।

4. दुधारू पशुओं को आहार को अधिक पौष्टिक बनाने के लिए उसमें सरसों  तथा कपास की खली मिलायी जाती है ।

5. शहद प्राप्त करने के लिए मधुमक्खी पालन किया जाता है ।

प्रश्न 20. निम्नलिखित कथन सही है या गलत पहचानकर सही कर लिखिए–

 1. रबी फसलों की तुलना में खरीफ फसलों को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है । सही

2. पीड़कनाशी एवं खरपतवारनाशी मनुष्यों के लिए नुकसानदेय नहीं हैं । गलत

सही - पीड़कनाशी एवं खरपतवारनाशी मनुष्यों के लिए भी नुकसानदेह हैं )

3. केंचुओं से फसलों को नुकसान होता है ।गलत

( सही - केंचुओं से फसलों को लाभ होता है । )

4. गेहूँ हमारे प्रदेश की प्रमुख खरीफ फसल है ।गलत

( सही - गेहूँ हमारे प्रदेश की प्रमुख रबी फसल है । )

5. मशरूम में कार्बोहाइड्रेट एवं वसा की अधिकता होती है ।गलत

( सही - मशरूम में प्रोटीन , विटामिन्स , खनिज लवण व रेशे की अधिकता होती है । )

 प्रश्न 21. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए

( i ) दुग्ध उत्पादन , ( ii ) मत्स्य पालन , ( iii ) मधुमक्खी पालन , ( iv ) कुक्कुट पालन , ( v ) केंचुआ खाद , ( vi ) मशरूम कल्चर , ( vii ) उर्वरक , 

( viii ) शीत भंडार गृह

 उत्तर- ( i ) दुग्ध उत्पादन- हमारे देश में गाय तथा भैसों की संख्या सर्वाधिक है । ये दूध देने वाले ' दुधारू पशु ' हैं जिन्हें बड़े स्तर पर डेयरी फार्म में पाला जाता है । कृषि से प्राप्त पदार्थों में चावल के बाद दूध उत्पादन का दूसरा स्थान है । भैसों के अधिक दुग्ध उत्पादन होते हुए भी गाय दुग्ध उत्पादन का मुख्य स्रोत है । संकरण द्वारा गायों तथा भैसों की उन्नत नस्लें जैसे फ्रेजियन साहीवाल , होल्सटीन - फ्रेजियन भैसों में मुर्रा आदि विकसित की  गईं हैं ताकि अधिक दूध प्राप्त हो सके । दुधारू पशुओं के पालन के लिए उनके उचित पोषण , देखभाल , संरक्षण एवं प्रजनन की आवश्यकता होती है ।

( ii ) मत्स्य पालन - बड़े स्तर पर मछली पालना , मत्स्य पालन कहलाता है । मछली फार्म अथवा मत्स्य स्फुटन तालाब को नर्सरी कहा जाता है । इन तालाबों में स्फुटन के पश्चात छोटी मछलियाँ विकसित की जाती हैं , जिन्हें संवर्धन हेतु बड़े तालाबों में डाल दिया जाता है । जहाँ उनके लिए उचित आहार , पर्याप्त ऑक्सीजन तथा प्रकाश की व्यवस्था होती है । समय - समय पर मछलियाँ इनसे बाहर निकाली जाती हैं । ये जंतु प्रोटीन के प्रमुख स्रोत हैं । विटामिन D. भी प्राप्त किया जाता है । 

( iii ) मधुमक्खी पालन - कृत्रिम रूप से मधुमक्खियों के पालने की विधि को मधुमक्खी पालन कहते हैं । मधुमक्खियाँ प्रायः वनों में पाई जाती हैं । ये ऊँचे वृक्षों या इमारतों पर अपना घर बनाती हैं , जिसे छत्ता कहते हैं । मधुमक्खी पालन हेतु बनाए गए विशेष बक्से इनके लिए छत्तों का कार्य का कार्य करते हैं । इन बक्सों में ही इनकी सारी गतिविधियाँ सम्पन्न होती हैं । रानी मक्खी द्वारा अंडे देना , अंडे से लार्वा फिर प्यूपा का बनना तथा श्रमिक मक्खी द्वारा इनकी देखभाल के अलावा फूलों का पराग चूस कर उसे मधु ( शहद ) में परिवर्तित करना आदि गतिविधियाँ संपन्न होने के बाद मशीनों द्वारा अथवा हाथों से शहद निकालने का कार्य किया जाता है । प्राप्त शहद को साफकर वायुरोधी बोतलों में संगृहित करते हैं । मधुमक्खी पालन से शहद के साथ - साथ मोम भी प्राप्त किया जाता है ।

( iv ) कुक्कुट पालन - अंडे एवं माँस प्राप्ति के लिए मुर्गी , बतख इत्यादि पक्षियों को पालना , कुक्कुट पालन कहलाता है । मुर्गियों को घरों तथा कुक्कुट फार्म दोनों जगहों में पाला जाता है । मुर्गी , अण्डों को 21 दिनों तक सेती है । इसे ऊष्मायन काल कहते हैं । बड़े कुक्कुट फार्म में अंडे सेने का कार्य विशेष उपकरणों ऊष्मायित ( इन्क्यूबेटर ) द्वारा किया जाता है । इनके द्वारा अण्डे का के उपयुक्त नमी तथा ऊष्णता प्राप्त होती है । जो अण्डे में भ्रूण विकास एवं अण्डों से चूजों के बाहर आने ( स्फुटन ) में सहायक होती है । कुक्कुट को दिए जाने वाले भोजन में कीड़े - मकोड़े , वनस्पति तथा कंकड़ रहते हैं । ये कंकड़ उसके भोजन को पीसने का कार्य करते हैं । इसके आहार में चूना - पत्थर भी मिलाया जाता है जो अंडे के कवच निर्माण में सहायक होता है । कुक्कुट फार्म के दड़बों में वायु के आवागमन तथा प्रकाश की उचित व्यवस्था की जाती है ।

( v ) केंचुआ खाद - जैव अवशिष्टों को शीघ्रता से अपघटित करने के लिए आजकल केंचुए का उपयोग किया जाता है । केंचुए मिट्टी में उपस्थित सड़े - गले अवशिष्टों को खाते हैं और मल के द्वारा इन्हें जैविक खाद के रूप में निकालते हैं । इन्हें केंचुआ खाद अथवा वर्म - कॉस्टिंग कहते हैं । इसमें नाइट्रोजन , फॉस्फोरस तथा पोटैशियम आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं । केंचुए गंदगी का निवारणकर पर्यावरण को स्वच्छ रखता है साथ ही जैविक खाद भी उपलब्ध कराता है । इस तरह यह पर्यावरण एवं “ कृषि मित्र " के रूप में मानव उपयोगी है ।

 ( vii ) उवर्रक - भूमि में कुछ विशेष पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन , फॉस्फोरस तथा पोटैशियम की पूर्ति हेतु किसान रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं , इन्हें उर्वरक कहते हैं । ये । तीन प्रकार होते हैं । 

( vi ) मशरूम कल्चर- गेहूँ के भूसे अथवा पैरा कुट्टी जिसे माध्यम कहते है , को पानी में 14-20 घंटे भिगोने के पश्चात दो घंटे तक उबालते हैं , अथवा कवकनाशी एवं जीवाणुनाशी द्वारा उपचारित करते हैं । पानी को निथारकर माध्यम में मशरूम के स्पॉन मिलाकर पॉलीथीन की थैलियों जिनमें छोटे - छोटे छेद कर दिये गए हों , में भर देते हैं । इसे एक कमरे में जिसका तापमान 20 ° से 25 ° सेन्टीग्रेड हो रख देते हैं । दो - तीन सप्ताह में पूरा माध्यम सफेद दूधिया रंग के पिन्ड में बदल जाता है । इस अवस्था में पॉलीथीन को अलग कर लेते हैं और पिन्ड को सुतली की सहायता से लटका देते हैं । 2-3 दिनों में इससे छोटी - छोटी गोल दाने के समान रचनाएँ निकल आती हैं । जो 5-7 दिनों में पूर्ण छतरी के रूप में विकसित हो जाती हैं , जिन्हें तोड़ लिया जाता है । यही मशरूम है ।

( vii)उर्वरक-भूमि में कुछ पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, तथा पोटैशियम की पूर्ति हेतु किसान रासायनिक पदार्थ का उपयोग करते हैं जिन्हें उर्वरक कहते हैं।ये तीन प्रकार के होते हैं-

1. नाइट्रोजनी उर्वरक - ये पौधों को नाइट्रोजन तत्व की पूर्ति करते हैं । यूरिया , अमोनियम सल्फेट , अमोनियम नाइट्रेट आदि प्रमुख नाइट्रोजनी उर्वरक हैं । ये पत्तियों वाली फसलों से पत्तागोभी , पालक आदि के लिए आवश्यक होता है , इनके उपयोग से पौधों में तेजी से वृद्धि होती है ।

 2. फॉस्फेटी उर्वरक - इनसे पौधों को फास्फोरस तत्व की पूर्ति होती है । इनके उपयोग से जड़ें तथा तने मजबूत होते हैं । यह दलहन के लिए आवश्यक होता है । कैल्शियम सुपर फॉस्फेट इस वर्ग का उर्वरक है । 

3. पोटैशियम उर्वरक -ये पौधे को पोटैशियम तत्व की पूर्ति करने वाले उर्वरक हैं । ये कंद वाली फसलों के लिए लाभदायक क की होते हैं । पोटैशियम सल्फेट , पोटैशियम क्लोराइड प्रमुख पोटैशियम उर्वरक हैं ।

(viii ) शीत भंडार गृह - फलों , सब्जियों तथा आलू , प्याज , लहसुन , अदरक एवं अन्य मांसल तथा शीघ्र गलने वाले फसल उत्पादों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज अथवा शीत भंडार गृह में भंडारित किया जाता है । कोल्ड स्टोरेज का कम तापक्रम उत्पाद तथा सूक्ष्म जीवों की जैविक क्रियाओं को मंद या समाप्त कर उत्पाद को सड़ने - गलने से बचाता है ।

प्रश्न 22. निम्नलिखित कृषि यंत्रों के चित्र बनाइए ( 1 ) पारंपरिक हल , ( 2 ) सरल बीज बेधक , ( 3 ) हैरो











प्रश्न 23. कृषि विज्ञान से आप क्या समझते हैं ?

 उत्तर- मानव उपयोगी विभिन्न फसलों तथा जन्तुओं के अधिक मात्रा में उत्पादन एवं प्रबंधन के तकनीकी ज्ञान को कृषि विज्ञान कहते हैं । वर्तमान संदर्भ में पशुपालन , कुक्कुट पालन , मत्स्यपालन , मधुमक्खी पालन , मशरूम उत्पादन भी इसी के अन्तर्गत आता है ।

 प्रश्न 24. आपको अपनी शाला की बागवानी में चने की फसल प्राप्त करनी है । इसके लिए आप कौन - कौन सी कृषि क्रियायें करेंगे ? उन क्रियाओं के नामों को क्रमशः लिखिए । 

उत्तर- शाला की बागवानी में चने की फसल प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कृषि क्रियायें होंगी ( i ) भूमि का चयन ( ii ) भूमि की तैयारी ( iii ) बीजों का चयन व बीजोपचार ( iv ) बीजो की बोवाई ( v ) खाद देना ( vi ) निंदाई एवं खरपतवार नियंत्रण ( vii ) फसल संरक्षण ( viii ) फसल कटाई एवं गहाई ( viii ) भंडारण ।

प्रश्न 25. बोवाई की छरहटा विधि एवं बीज वेधन विधि में से आप किसे अच्छा मानते हैं और क्यों ?

उत्तर- छरहटा विधि में बीज छिड़क कर जुताई कर दी । जाती है जबकि बीज वेधन विधि में बीजों को यंत्र द्वारा खेत में पहुँचाया जाता है इसमें बीज को यंत्र के कीप में डालते हैं जिसमें से हवा से बनी दरारों में गिरते जाते हैं जिससे बीज कतार में समान गहराई में दबते है अतः बीज वेधन विधि में बीजों का सही उपयोग होता है और सही ढंग से बोवाई होती है । अतः यही विधि अच्छी है ।

 प्रश्न 26. सामान्य बीजों की तुलना में संकरित बीज क्यों उत्तम माने जाते हैं ?

उत्तर- सामान्य बीजों की तुलना में संकरित बीज उत्तम निम्न कारणों से हैं 

( i ) यह बीज उन्नतशील बीज हैं।

( ii ) इसमें वांछित गुण सम्मिलित होते हैं ।

( iii ) रोग प्रतिरोधक होते हैं ।

( iv ) स्वस्थ व अच्छी अंकुरण क्षमता वाले होते हैं ।

प्रश्न 27. रोपण विधि से बोई जाने वाली फसलों के नाम लिखिए ।

उत्तर - रोपण विधि से बोई जाने वाली फसलें हैं - प्याज , मिर्च , टमाटर , गोभी एवं भटा । समुचित सिंचाई साधन होने पर धान भी रोपण विधि से बोते हैं ।

प्रश्न 28. सिंचाई की किन्हीं दो नवीन तकनीकों के संबंध में संक्षिप्त जानकारी लिखिए । 

उत्तर- सिंचाई की दो नवीन तकनीकें निम्नलिखित हैं

 1. स्प्रिंकलर अथवा बौछारी फौब्बारा सिंचाई - इस पद्धति में खड़ी फसल पर कृत्रिम रूप से पानी की बरसात की जाती है । अधिक दबाव पर पाइपों में पानी प्रवाहित किया जाता है जो एक धुरी पर घूम सकने वाले बहुत से छिद्रों युक्त टोंटी से फौब्बारा के रूप में बाहर निकलता है । ऊँची - नीची जमीन और जहाँ सिंचाई की अन्य विधियों का प्रयोग नहीं किया जा सकता , वहाँ सिंचाई के लिए यह विधि उपयुक्त होती है ।

 2. ड्रिप अथवा टपक सिंचाई- -इस पद्धति में पानी सूक्ष्म छिद्र तथा ड्रिपर ( बूंदों के रूप में पानी छोड़ने वाली टोंटी ) युक्त बंद पाइपों में दाब पंप ( कम्प्रेशर ) द्वारा पौधों तक सीधे पहुँचाया जाता है । इस पद्धति से उर्वरकों तथा विभिन्न रासायनिक पदार्थों की उचित मात्रा भी पौधों तक सीधे पहुँचायी जा सकती है ।

प्रश्न 29. मशरूम किन कारणों से खाद्य पदार्थ की श्रेणी में रखा जाता है ? 

उत्तर- मशरूम निम्न कारणों से खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है-

( i ) इसमें प्रोटीन होती है।

( ii ) विटामिन बी कॉम्पलेक्स होती है ।

( iii ) विटामिन सी होती है ।

( iv ) खनिज लवण मिलता है । 

( v ) उपर्युक्त सभी के अलावा रेशे भी प्रचुर मात्रा में होते हैं ।

प्रश्न 30. फसल समुन्नति से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – सिंचाई , खाद , उर्वरक तथा उन्नत कृषि पद्धतियाँ अपनाकर खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है । उत्पादन बढ़ाने का दूसरा उपाय उन्नत किस्मों का विकास एवं उपयोग करना है । इसी प्रणाली को किस्मों का सुधार अथवा फसल समुन्नति कहा जाता है ।

प्रश्न 31. फसल चक्र से भूमि की उर्वरता को किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है ?

उत्तर- एक ही फसल को बार - बार बोने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है । एक ही प्रकार के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है । भूमि के उपजाऊपन को बनाए रखने के  लिए फसलों को अदल - बदल कर बोया जाता है , इसे फसल चक्र कहते हैं । अनाज की फसलों के बाद दलहन की फसलें बोई  जाती हैं , जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन तत्व की उपलब्धता बनी रहती है । मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने का पर्याप्त समय भी मिलता है । इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।

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