इतिहास कक्षा आठवीं अध्याय 6 भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन भाग 2

 परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 



प्रश्न 1. सही विकल्प चुनिए 

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ था-

( अ ) लाहौर 

( ब ) बम्बई में

( स ) दिल्ली में

( द ) इलाहाबाद में ।

उत्तर-  बम्बई में

2. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे

( अ ) व्योमेश चन्द्र बनर्जी

( ब ) गोपाल कृष्ण गोखले 

( स ) सुरेन्द्र नाथ बनर्जी

(द )  बालगंगाधर तिलक

उत्तर -  व्योमेश चंद्र बेनर्जी

 3. “ स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है–

( अ) गोपाल कृष्ण गोखले

( ब ) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी

(स ) बाल गंगाधर तिलक

( द )  दादाभाई नौरोजी

उत्तर-  बाल गंगाधर तिलक ।

4. बंगाल का विभाजन करने वाला गवर्नर जनरल था

( अ ) लॉर्ड डफरिन

(  ब )लार्ड कर्ज़न

( स ) लॉर्ड रिपन

( द ) लॉर्ड डलहौजी

उत्तर- लॉर्ड कर्ज़न

5. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना की थी 

( अ ) लाला लाजपत राय ने

( ब ) दादा भाई नौरोजी ने

( स ) व्योमेश चन्द्र बनर्जी ने

( द ) ए . ओ . ह्यूम ने ।

उत्तर-ए . ओ . ह्यूम ने ।

6. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ था

( अ ) सन् 1885 में 

( ब ) सन् 1886 में

( स ) सन् 1887 में

( द ) सन् 1888 में । 

उत्तर- सन् 1885 में 

7. स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की थी 

( अ ) गाँधी जी ने 

( ब ) सुभाषचन्द्र बोस ने

( स ) बाल गंगाधर तिलक ने

( द ) लाल लाजपत राय ने । 

उत्तर- गाँधी जी ने 

8. मुस्लिम लीग की स्थापना की थी 

( अ ) अली बन्धुओं ने 

( ब ) आगा खान ने

( स ) जिन्ना ने 

( द ) सैय्यद अहमद  खान

उत्तर- आगा खान ने

9. ' करो या मरो ' का नारा दिया

( अ ) सुभाष चंद्र बोस

( ब ) महात्मा गांधी

( स )  बाल गंगाधर तिलक

( द )  इनमें से कोई नहीं

उत्तर- महात्मा गांधी

10. मुसलमानों के लिये पृथक् राष्ट्र की कल्पना सर्वप्रथम 

( अ ) मोहम्मद अली जिन्ना ने की 

( ब ) सर मोहम्मद इकबाल ने की 

( स ) ब्रिटिश प्रधानमंत्री मेकडोनाल्ड ने की 

( द ) सफी मोहम्मद ने की ।

उत्तर -सर मोहम्मद इकबाल ने की 

11. द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हुआ 

( अ ) 1939 में 

( ब ) 1965 में 

( स ) 1971 में

( द ) 1941 में 

उत्तर- 1939 में 

12. अमेरिका महाद्वीप की खोज की 

( अ ) वास्कोडिगामा ने

( ब ) कैप्टन कूक ने

( स ) कोलम्बस ने 

( द ) कार्ल मार्क्स ने

उत्तर - कोलम्बस ने 

13. साइमन कमीशन भारत आया था

( अ ) सन् 1919 में

( ब ) सन् 1920 में

( स ) सन् 1921 में

( द )सन् 1928 में

उत्तर - सन् 1928 में

14. ' तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ' यह नारा दिया था

 ( अ ) बाल गंगाधर तिलक

( ब ) महात्मा गाँधी ने 

( स ) सुभाष चन्द्र बोस ने

( द ) लाला लाजपतराय ने ।

उत्तर- सुभाष चन्द्र बोस ने

15. हिन्दू - मुस्लिम एकता के लिए शहीद हुए

 ( अ ) सुभाष चन्द्र बोस

 ( ब ) गणेश शंकर विद्यार्थी

 ( स ) महात्मा गाँधी 

( द ) चितरंजन दास । 

उत्तर- गणेश शंकर विद्यार्थी

16. भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ ?

( अ ) सन् 1935 में

( ब ) सन् 1940 में

( स ) सन् 1945 में

( द ) सन् 1942 में । 

उत्तर- सन् 1942 में । 

प्रश्न 2. आर्थिक राष्ट्रवाद क्या है ? 

उत्तर- अंग्रेजों की दोषपूर्ण आर्थिक नीति के विरोध में भारतीय का एकजुट हो विरोध करना ।

प्रश्न 3. माधव राव सप्रे द्वारा प्रकाशित समाचार पत्रों के नाम लिखिए । 

उत्तर- ( 1 ) छत्तीसगढ़ मित्र ( 2 ) हिन्दी केसरी । 

प्रश्न 4. कांग्रेस में विभाजन कब हुआ ? 

उत्तर- कांग्रेस में विभाजन सन् 1907 के सूरत अधिवेशन में हुआ था ।

 प्रश्न 5. लाल - बाल - पाल किन्हें कहा जाता है ?

उत्तर- लाल - लाला लाजपत राय , बाल - बाल गंगाधर तिलक , पाल - विपिनचंद पाल ।

प्रश्न 6. स्वराज्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और इसे हम लेकर रहेंगे , किसका नारा था ?

उत्तर- बाल गंगाधर तिलक ।

प्रश्न 7. भारत का राष्ट्रीय गीत किसने लिखा ? 

उत्तर- भारत का राष्ट्रीय गीत ' वन्दे मातरम् ' है , इसके रचयिता बंकिमचन्द चट्टोपाध्याय हैं । 

प्रश्न 8. राष्ट्रीय गान की रचना किसने की ? यह कहाँ से ली गई है ? 

उत्तर- रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना है जिसे गीतांजली से ली गई है ।

प्रश्न 9. लोकमान्य बालगंगाधर तिलक द्वारा सम्पादित समाचार पत्रों के नाम लिखिए । 

उत्तर- 1. केसरी 2. मराठा ।

प्रश्न 10. किस नीति के कारण मुस्लिम लीग की स्थापना हुई ?

उत्तर- फूट डालो नीति

प्रश्न 11. संवैधानिक सुधारों की घोषणा कब की गई ?

उत्तर- सन् 1909

प्रश्न 12. प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक चला ? 

उत्तर- सन् 1914 से 1918 तक ।

प्रश्न 13. होमरूल आन्दोलन किसने चलाया था ? 

उत्तर- डॉ . श्रीमती एनी बेसेंट ।

प्रश्न 14. गदर पार्टी की स्थापना कब और कहाँ हुई थी ?

 'गदर पार्टी' की स्थापना सन् 1913 में उत्तर अमेरिका में हुई थी

प्रश्न 15. छत्तीसगढ़ के प्रमुख क्रांतिकारी संगठनों के नाम लिखिए । 

उत्तर- मालिनी रीडिंग क्लब , पीपुल टीचर्स एसोसिएशन , कवि समाज राजिम व छत्तीसगढ़ बाल समाज प्रमुख हैं ।  समाज प्रमुख हैं । 

प्रश्न 16. छत्तीसगढ़ में किसने और कहाँ वन्देमातरम् का नारा लगाया था ? 

उत्तर- दादा साहेब खापर्डे व उनके साथियों ने तात्यापारा रायपुर के हनुमान मंदिर के सामने वन्देमातरम का नारा लगाया था । 

प्रश्न 17. दिल्ली को भारत की राजधानी क्यों बनाया गया ?

उत्तर- निम्नलिखित कारणों से दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया था— 

( 1 ) राजनीति दृष्टि से दिल्ली सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान था ।

 ( 2 ) दिल्ली भारत के मध्य ( केन्द्र ) में स्थित है । 

( 3 ) अधिकांश प्रभावशाली नेता उत्तर प्रदेश के थे । 

( 4 ) आर्थिक व प्रशासनिक दृष्टि से दिल्ली को राजधानी बनाया जाना उपयुक्त था । 

( 5 ) ऐतिहासिक दृष्टि से भी दिल्ली का विशेष महत्व है ।

प्रश्न 18. भारत में राष्ट्रीय चेतना के उदय के कारणों का वर्णन कीजिए । 

उत्तर- ( 1 ) दोषपूर्ण शासन - अँग्रेजों का मुख्य उद्देश्य अपना हितवर्द्धन था । भारतीयों के हितों की हमेशा उपेक्षा की गई । किसानों का शोषण हो रहा था । लघु तथा कुटीर उद्योग धन्धे उनकी नीतियों के कारण बन्द हो चुके थे । बड़े एवं उच्च पद अँग्रेजों के लिए सुरक्षित थे , इनसे असन्तोष बढ़ा ।

( 2 ) सामाजिक तथा धार्मिक जागरण- सती प्रथा , बाल विवाह , बहु - विवाह पर्दा प्रथा , विधवा विवाह की अमान्यता आदि के खिलाफ राजा राममोहन राय , दयानन्द सरस्वती , विवेकानन्द , विद्यासागर आदि ने भारतीय समाज एवं हिन्दू धर्म में सुधार के लिए व्यापक आन्दोलन चलाया । इससे राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ । 

( 3 ) आर्थिक शोषण- अँग्रेजों ने भारतीय व्यापार एवं उद्योग धन्धे नष्ट किए । भारत से कच्चा माल ब्रिटेन ले जाकर तथा ब्रिटिश निर्मित माल को भारतीय बाजार में बेचना प्रारम्भ किया , जिससे भारतीय उद्योग - धन्धे नष्ट होने लगे और इन उद्योगों में कार्यरत मजदूर बेकार हो गये । 

( 4 ) साहित्य का योगदान- देश में राष्ट्रीय चेतना लाने में साहित्य ने बड़ा महत्वपूर्ण योगदान दिया । अनेक उपन्यासों , निबन्धों , पद्य , कविताओं और लेखों के माध्यम से साहित्यकारों ने विदेशी शासन की बुराइयों को जनता के सामने रखा । बंगाल में बंकिमचन्द्र चटर्जी और रविन्द्रनाथ टैगोर ने यह काम किया । भारतेन्दु हरिशचन्द्र , अल्ताफ हुसैन आदि ने भी जागरण लाने का कार्य किया ।

( 5 ) समाचार पत्रों का योगदान- संवाद कौमुदी , मिरातुल अखबार टाइम्स ऑफ इण्डिया , पायनियर , मद्रास मेल , अमृत बाजार पत्रिका , स्टेट्समैन , द हिन्दू आदि समाचार पत्रों ने शिक्षित वर्ग में चेतना का संचार किया ।

( 6 ) अँग्रेजों की जाति सम्बन्धी भेदभाव की नीति- अंग्रेज अपने को उच्च तथा भारतीयों को निम्न समझते थे । इसी प्रकार भारतीयों को असभ्य तथा संस्कारहीन समझते थे , जबकि अपने को शिक्षित , सभ्य और संस्कार युक्त मानते थे । भारतीयों को महत्वपूर्ण पदों से हमेशा दूर रखा गया । इस भेदभाव से भारतीयों में राष्ट्रीय जागरण की भावना का तीव्र गति से संचार हुआ । 

प्रश्न 19. आर्थिक जीवन में वे कौन - से परिवर्तन हुए जिनसे भारतीय जनता में एकता आई ? उन परिवर्तनों ने कैसे एकता स्थापित की ? 

उत्तर- आर्थिक जीवन में निम्नलिखित परिवर्तनों से भारतीय जनता में एकता आई–

( 1 ) गाँवों के स्वरूप में परिवर्तन- अँग्रेजों की नीतियों से गाँव शहरों पर आश्रित हो गये । गाँव के लोग शहर जाने लगे । शहरवासियों से उनका सम्पर्क बढ़ा और इस प्रकार भारतीय जनता में एकता आई ।

 ( 2 ) नगदी फसलों के उत्पादन में वृद्धि - उद्योगों की स्थापना के कारण कच्चे माल के रूप में प्रयोग होने वाली फसलों की पैदावार बढ़ी । किसान लोग अब व्यापारिक फसलें पैदा करके नगद धन प्राप्त करने लगे । इस प्रकार गाँव तथा नगर एक - दूसरे पर निर्भर हो गये थे । उनमें एकता की भावना का विकास हुआ । 

( 3 ) परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास- अँग्रेजों ने भारत में अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए रेलों और सड़कों का विकास किया । रेलों में साथ - साथ यात्रा करने से भिन्न - भिन्न प्रांतों और जातियों के सम्पर्क में लागे आने लगे ।

( 4 ) आधुनिक उद्योगों का विकास- अँग्रेजों द्वारा अपनाई गई नीतियों के कारण भारत में आधुनिक उद्योगों की स्थापना हुई । इन उद्योगों में देश के सभी भागों के हजारों लोग मिलकर काम करते थे । फलस्वरूप उनमें जाति , धर्म और प्रान्त के भेद - भाव समाप्त हो गये और भाई - चारे की भावना बढ़ी । व्यापारी देश के एक भाग से दूसरे भाग में आते - जाते थे , इससे सम्पर्क बढ़ा और एकता आई । 

प्रश्न 20. भारत में राष्ट्रीयता के उदय पर शिक्षा और सामाजिक , धार्मिक सुधार आन्दोलनों का क्या प्रभाव पड़ा ? 

उत्तर- शिक्षा का प्रभाव- 

( 1 ) अँग्रेजी शिक्षा के प्रसार ने भारतीयों को दुनिया के उन्नत ज्ञान की जानकारी दी ।

( 2 ) शिक्षित भारतीयों को यूरोपीय भाषाओं के साहित्य की और दुनिया के अन्य भागों की घटनाओं की जानकारी मिली ।

( 3 ) फ्रांसिस क्रांति ने राष्ट्रीयता के उदय में सहायता की।

 सामाजिक आन्दोलनों का प्रभाव- ( 1 ) लॉर्ड विलियम बैंटिग एवं राजा राममोहन राय के प्रयासों से सती प्रथा , पद प्रथा , बाल - विवाह का अन्त हुआ । ( 2 ) विधवा विवाह प्रारम्भ हुए । ( 3 ) स्त्री शिक्षा प्रारम्भ हुई तथा ( 4 ) आधुनिक ज्ञान - विज्ञान से अंधविश्वास एवं कुरीतियों का अंत हुआ ।  धार्मिक आन्दोलनों का प्रभाव- उस समय सम्पूर्ण देश  में धार्मिक आन्दोलन शुरू हो गया था । आर्य समाज , ब्रह्म समाज , रामकृष्ण मिशन आदि ने जो आन्दोलन चलाये वे सब धार्मिक कुरीतियों के विरुद्ध थे । इन आन्दोलनों से छुआ - छूत , धार्मिक कर्म - कांड आदि का अन्त किया गया और राजनीतिक , धार्मिक , सामाजिक एकता को विकसित किया गया । 

प्रश्न 21. ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में स्थापित प्रशासन व्यवस्था ने राष्ट्रीयता के उदय में क्या योगदान किया ? 

उत्तर - ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में नई प्रशासन व्यवस्था लागू की गई । इसने निम्नलिखित योगदान किया

 ( 1 ) नई प्रशासन व्यवस्था से सारा देश एक राजनीतिक इकाई बन गया । 

( 2 ) समूचे देश में एकसमान प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की गई । 

( 3 ) ब्रिटिश शासन में सभी के लिए एकसमान कानून थे । कानून की नजर में सभी समान थे । इन सब बातों से वे अपने को एक राष्ट्र के नागारिक समझने लगे । भारतीय समझने लगे कि इन सब दुःखों का एकमात्र कारण अंग्रेज हैं अत : उनमें राष्ट्रीयता जाग्रत हुई । ब्रिटिश प्रशासन व्यवस्था ने उन्हें एकता के सूत्र में बाँध दिया । यह महत्वपूर्ण योगदान था ।

 प्रश्न 22. किस तरह भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ब्रिटिश शासन के विरुद्ध हुए पुराने विद्रोहों से भिन्न था ? 

उत्तर- भिन्नता के निम्नलिखित कारण थे- ( 1 ) भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन सारे देश में चला । इसके पहले का आन्दोलन केवल देश के किसी भाग में ही चला।

( 2 ) राष्ट्रीय आन्दोलन साधारण भारतीय जनता का आन्दोलन था । इसके पहले के आन्दोलन में सम्पूर्ण जनता ने भाग नहीं लिया था । 

( 3 ) राष्ट्रीय आन्दोलन का लक्ष्य एक ही था- ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना । इसके पहले के आन्दोलन के लक्ष्य भिन्न - भिन्न थे । 

( 4 ) राष्ट्रीय आन्दोलन सत्य एवं अहिंसा के द्वारा लड़ा गया था लेकिन इसके पहले के आन्दोलन सशस्त्र थे । 

( 5 ) यह आन्दोलन किसी जाति या धर्म की भावना से परे था । लेकिन पहले का आन्दोलन ऐसा नहीं था । 

( 6 ) इस आन्दोलन के उदय के साथ स्वतन्त्रता के संघर्ष का राष्ट्रीय चरित्र उभर कर सामने आया । अब भारतीय जनता एक राष्ट्र के रूप में आई ।

प्रश्न 23. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना कब हुई ? शुरू के बीस वर्षों में उसकी मुख्य माँगें क्या थीं ?

उत्तर - सन् 1885 में ए . ओ . ह्यूम , इटावा के एक रिटायर्ड अफसर ने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना की थी । इसका प्रथम अधिवेशन बम्बई में हुआ था । आरम्भ के वर्षों 20 में काँग्रेस की निम्नलिखित माँगे थीं –

( 1 ) भारत में ब्रिटिश सेना में कमी की जाये । 

( 2 ) विधान परिषदों के चुनाव कराकर उनके अधिकारों में वृद्धि की जाये । 

( 3 ) ऊँचे पदों पर भारतीयों को भी नियुक्त किया जाये तथा सिविल सर्विस की न्यूनतम आयु सीमा बढ़ा दी जाये । 

( 4 ) भारत में उद्योग विकसित किये जाये । 

( 5 ) भारतीयों को भाषण देने और विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता दी जाये।

( 6 ) देश में शिक्षा का प्रसार किया जाये ।

(7 ) देश की सरकार तथा प्रशासन में धीरे - धीरे सुधार किए जाएँ। 

( 8 ) आर्थिक नीतियों में सुधार की माँग की । 

( 9 ) प्रशासन तथा फौज पर होने वाले भारी सरकारी खर्च को कम करने की माँग की । 

( 10 ) जिन प्रान्तों में विधान परिषदें नहीं थीं उन प्रान्तों में विधान परिषदें बनाने की माँग की गई । प्रारम्भ में काँग्रेस उदारवादी थे । प्रार्थनापत्र 20 वर्षों तक काँग्रेस भेजती रही लेकिन अँग्रेज उन माँगों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया करते थे ।

प्रश्न 24. सन् 1885 से सन् 1905 तक भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की माँगों के प्रति ब्रिटिश सरकार के रुख के बारे में लिखिये । 

उत्तर- आरम्भ में ब्रिटिश शासकों का रुख काँग्रेस के प्रति सहानुभूतिपूर्ण था । इसलिए कॉंग्रेस के अधिवेशनों में कुछ ब्रिटिश अधिकारी भाग लेते थे । काँग्रेस के नेता भी ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठावान रहे । लेकिन शीघ्र ही अँग्रेजों ने कॉंग्रेस के प्रति विरोधी रवैया अपनाया । यह बात अग्रलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाती है–

 ( 1 ) ब्रिटिश अधिकारियों ने काँग्रेस अधिवेशनों में भाग लेने से रोक लगा दी । 

( 2 ) काँग्रेस को एक राजद्रोही संस्था समझा जाने लगा । 

( 3 ) काँग्रेस को थोड़े से भारतीयों की संस्था कहकर उसकी उपेक्षा करने लगे । 

( 4 ) अँग्रेज शासक यह कहने लगे कि भारत एक राष्ट्र नहीं है बल्कि अनेक राष्ट्रों का समूह है । 

( 5 ) धर्म के आधार पर भारतीयों में फूट डालने की कोशिश की । 

( 6 ) उच्चवर्गीय मुसलमानों को काँग्रेस अधिवेशनों में भाग लेने से अँग्रेज रोकते रहे । उपर्युक्त बातों से स्पष्ट हो जाता है कि ब्रिटिश शासकों का रख भारत के लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण था । ब्रिटिश संसद ने भी भारत के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाया ।

प्रश्न 25. फूट डालो और शासन करो ' की नीति का क्या मतलब है ? ' फूट डालो और राज्य करो ' की ब्रिटिश नीति की मुख्य बातों के बारे में लिखिये ।

उत्तर - ब्रिटिश शासक साम्राज्यवादी थे । साम्राज्यवादी राष्ट्र हमेशा फूट डालकर ही अपने साम्राज्य को मजबूत बनाते रहे हैं ।

' फूट डालो और राज्य करो ' की नीति का अभिप्राय समाज के विभिन्न वर्गों में फूट डालकर उन्हें कमजोर करना तथा अपना नियन्त्रण बनाए रखने से है । इस नीति की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं–

( 1 ) लॉर्ड कर्जन ने सन् 1905 में बंगाल को दो भागों में बाँट दिया– ( i ) मुस्लिम बहुमत और ( ii ) हिन्दू बहुमत अर्थात् पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल 

( 2 ) मुसलमानों को काँग्रेस में शामिल होने से रोका और उन्हें कहा कि काँग्रेस हिन्दुओं की संस्था है , वह तुम्हारा हित नहीं कर सकती । 

( 3 ) राष्ट्रीय आन्दोलन को फूट डालकर कमजोर करने का प्रयत्न किया । 

( 4 ) अँग्रेजों ने एक प्रान्त को दूसरे प्रान्त से , राजाओं को अन्य राजाओं से , हिन्दुओं को मुसलमानों से , एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाकर , शासन किया । 

( 5 ) अँग्रेजों ने जमींदारों के लड़कों को नौकरियाँ दीं और शिक्षित वर्गों की उपेक्षा की । 

( 6 ) राष्ट्रीय आन्दोलन जब प्रारम्भ हुआ तो धर्म , जाति और भाषा पर आधारित अनेक दलों की स्थापना को प्रोत्साहित किया । 

( 7 ) सेना में भी अँग्रेजों ने फूट डाली । विभिन्न जाति , कबीले एवं इलाके के आधार पर सेना का संगठन किया जिससे एक के विद्रोह पर दूसरा उसे कुचल सके 

प्रश्न 26. गरम दल अथवा उग्रदल के कार्यशैली का वर्णन कीजिए । 

उत्तर- उन्नीसवीं सदी के अन्तिम दशक में उग्रवादी प्रवृत्तियों का उदय हुआ । उग्रवादी प्रवृत्तियों के नेता , लाला लाजपतराय , बालगंगाधर तिलक एवं विपिन चन्द्र पाल थे जो लाल , बाल और पाल नाम से जाने जाते थे । इन नेताओं ने अनुनय , विनय तथा भीख माँगने की निन्दा की । उन्होंने शक्ति पर जोर दिया । इनकी लोकप्रियता के निम्नलिखित कारण थे–

( 1 ) उग्रवादी प्रवृत्तियों के कारण जनता में एकता की भावना में उत्पन्न हुई ।

( 2 ) काँग्रेस का स्वरूप राष्ट्रव्यापी हो गया । 

( 3 ) काँग्रेस के स्वरूप व चरित्र में परिवर्तन हो गया । यह आन्दोलन जन - आन्दोलन बन गया । 

( 4 ) तिलक ने प्रसिद्ध नारा दिया ' स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और इसे मैं प्राप्त करके रहूँगा ' , इस नारे ने आम जनता को प्रभावित किया । 

( 5 ) ' मराठा ' और ' केसरी ' में तिलक के उन लेखों ने भारत में जान फूँक दी । 

( 6 ) इन नेताओं ने जनता की देश भक्ति को जगाया और बलिदान के लिए प्रेरित किया । 

( 7 ) इन नेताओं ने प्रशासन में सुधार की माँग की बजाय ' स्वराज्य ' के माँग की  

प्रश्न 27. गरम दल और नरम दल के बीच क्या अन्तर था ? स्पष्ट कीजिए । 

उत्तर - गरम दल और नरम दल की नीतियों में निम्नलिखित  अन्तर थे 

( 1 ) नरम दल वाले यदि ब्रिटिश नागरिकता के अधिकारों को मानते थे तो गरम दल वाले मनुष्य के प्राकृतिक अधिकारों के पक्षपाती थे । 

( 2 ) नरम दल वाले अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास रखते थे । गरम दल वाले अंग्रेजों को स्वार्थी मानते थे । 

( 3 ) नरम दल वाले अंग्रेजी सरकार से अलगाव नहीं जुड़ाव चाहते थे , किन्तु गरम दल वालों में अंग्रेजी शासन के प्रति असहयोग की भावना थी । 

( 4 ) नरम दल वाले अपनी स्वायत्तता चाहते थे , जबकि गरम दल वाले पूर्ण स्वराज्य चाहते थे । 

प्रश्न 28. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास पर प्रकाश डालिये ।

उत्तर- प्रथम महायुद्ध 1914 ई . में प्रारम्भ हुआ और 1918 ई . में समाप्त । इस युद्ध में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय सैनिकों को भी युद्ध में झोंक दिया । इस युद्ध के दौरान भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन में तीव्र हो गया जिसके निम्न परिणाम हुये 

( 1 ) भारत में स्वशासन की माँग जोर पकड़ने लगी । जिसे होमरूल भी कहते हैं ।

( 2 ) श्रीमती एनीबीसेंट ने कई प्रान्तों में होमरूल स्थापित किया ।

( 3 ) भारतीय नेताओं ने आन्दोलनों के प्रचार की गतिविधियाँ तेज कर दीं । 

( 4 ) काँग्रेस के नरम दल और गरम दल में 1916 ई . में एकता स्थापित हो गई । 

( 5 ) काँग्रेस और मुस्लिम लीग में 1916 ई . में लखनऊ समझौता हुआ । 

( 6 ) गाँधीजी ने 1915 ई . में भारतीय राजनीति में प्रवेश किया 

प्रश्न 29. स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलन का क्या मतलब है ? इन आन्दोलनों ने भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना कैसे जगाई ?

उत्तर- स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलन का अर्थ है लोग अपने देश ( स्वदेश ) में बनी वस्तुओं का प्रयोग करें तथा विदेश में बनी वस्तुओं का त्याग ( बहिष्कार करें । स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलनों का प्रभाव

( 1 ) भारतीय जनता यह सोचने लगी कि विदेशी वस्तुओं के कारण ही उनका शोषण हो रहा है यदि वे उनका बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएँ तो ब्रिटेन का आर्थिक ढाँचा अस्त - व्यस्त हो जायेगा तथा ब्रिटेन शक्तिहीन हो जायेगा और उन्हें स्वतन्त्रता मिलने में आसानी होगी ।

( 2 ) स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने से भारतीय जनता में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ । छात्रों ने ब्रिटेन सरकार द्वारा स्थापित स्कूलों एवं कॉलेजों का बहिष्कार कर दिया । जगह - जगह विदेशी वस्तुओं की होली जलायी गयी । देश में राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना हुई । इस प्रकार स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलनों ने देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना को जाग्रत किया ।

प्रश्न 30. होमरूल आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे ? 

उत्तर- 1916 में महात्मा तिलक एवं ऐनीबीसेंट ने स्वराज्य प्राप्ति के लिए यह आन्दोलन चलाया था ।

मुख्य उद्देश्य-

( 1 ) शांतिमय उपायों द्वारा भारत के लिए स्वराज्य प्राप्त करना।

( 2 ) अँग्रेजों को सन्तुष्ट करके ऐसी परि पैदा करना जिससे वे स्वयं स्वराज्य दे दें । 

( 3 ) ग्राम पंचायतों , नगरपालिकाओं तथा धारा - सभाओं में स्वराज्य की स्थापना करना ।

( 4 ) ब्रिटिश संसद में भारतीय प्रतिनिधि भेजना । 

प्रश्न 31. बंग - भंग आन्दोलन क्या है , इसका प्रभाव बताइये ? 

उत्तर- लार्ड कर्जन के बंगाल विभाजन के विरोध में सभी वर्ग के लोग उठ खड़े हुए और यह जन सैलाब आन्दोलन का रूप ले लिया , इसी आन्दोलन को भारतीय इतिहास में बंग - भंग आन्दोलन के नाम से जाना जाता है । 

प्रभाव–

( 1 ) जनता का पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा । बंगाल की जनता अत्यन्त उग्र हो गई ।

( 2 ) लोगों ने उस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाया 

( 3 ) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया व स्वदेशी अपनाने का संकल्प लिया गया ।

( 4 ) वन्देमातरम व स्वदेशी का नारा लगाया गया ।

( 5 ) विद्यार्थियों ने सरकारी विद्यालयों का बहिष्कार किया

( 6 ) राष्ट्रीय भावना जाग्रत करने वाली शिक्षण संस्थानों की स्थापना हुई ।

( 7 ) वंग भंग आन्दोलन अब एक देश व्यापी आन्दोलन बन गया था । परिणाम बंगाल विभाजन न्यायसंगत नहीं था । अत : अंग्रेजों को इसे रद्द करना पड़ा । सन् 1911 को यह विभाजन रद्द किया गया । यह घटना राष्ट्रवादियों के लिए बहुत बड़ी विजय थी । 

प्रश्न 32. आन्दोलनकारी ( क्रांतिकारी ) दलों के निर्माण व प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- हमारे देश में ऐसे विचार धारा को मानने वाले नवजवान भी थे , जो अंग्रेजी सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने को तत्पर थे । वे सीधी - सीधी कार्रवाई पर विश्वास करते थे । ऐसे बलिदानी युवाओं के संगठन को क्रांतिकारी दल के नाम से जाना जाता था । ये नवजवान बन्दूक चलाने , गोला - बारूद के प्रयोग व बम फेंकने का प्रशिक्षण लेते थे । भारत माता को आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान करना इनका सबसे बड़ा सपना था । ये लोग अंग्रेजों से आमने - सामने की लड़ाई चाहते थे । वे महाराष्ट्र में अभिनव भारत और बंगाल में अनुशीलन समिति के सदस्य के रूप में सक्रिय थे । वे पंजाब और उत्तर भारत में भी अत्यधिक संख्या में सक्रिय थे । क्रांतिवीर ने अपना जीवन मातृभूमि को आजादी के लिए समर्पित कर दिया । भले ही उन्हें पूरी सफलता न मिली हो मातृभूमि के वीर सपूतों का यह आत्मबलिदान युगों युगों तक प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे ।

 प्रश्न 33. ' सत्याग्रह ' से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर- सत्याग्रह का अर्थ है - सत्य के लिये आग्रह । शोषण के विरुद्ध शांतिपूर्ण तरीके से आन्दोलन सत्याग्रह अत्याचार , शोषण के विरुद्ध आन्दोलन का अहिंसात्मक तरीका है ।

प्रश्न 34. रंगभेद नीति क्या है ? गाँधी जी ने इसे कैसे दूर किया ?

उत्तर - दक्षिणी अफ्रीका में रह रहे भारतीयों पर अंग्रेजों ने अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया था । भारतीयों को वहाँ काला कुली कहकर अपमानित किया जाता था । अंग्रेज अपने को श्रेष्ठ मानते थे और भारतीयों को घृणा की दृष्टि से देखते थे । प्रवासी भारतीयों के आग्रह पर इंग्लैण्ड से लौटने के बाद गाँधी जी अफ्रीका गए और वहाँ अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन आरंभ कर दिया । गाँधी जी को कुली बैरिस्टर कहकर तिरस्कार किया गया । लेकिन तमाम अत्याचारों के बाद भी गाँधी ने संघर्ष जारी रखा और अंतत : भारतीयों के सत्याग्रह के सामने सरकार को झुकना पड़ा । इस प्रकार मानव मात्र को रंग के आधार पर प्रचलित इस बुराई ( रंग ) भेद ) का अंत हो गया ।

प्रश्न 35. स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास में कांग्रेस के 1929 ई . के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व है ? 

उत्तर - इतिहास में 1929 ई . में लाहौर अधिवेशन का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि–

( 1 ) जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में सम्पन्न अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त करने का प्रस्ताव पारित किया था । 

( 2 ) इसकी प्राप्ति के लिए ' सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया गया था । 

( 3 ) इस अधिवेशन में यह भी निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी , सन् 1930 को सारे देश में स्वतन्त्रता दिवस मनाया जाये । 

( 4 ) देश की जनता ने ब्रिटिश शासन के सामने नहीं झुकने का व्रत किया था ।

प्रश्न 36. दांडी यात्रा पर एक टिप्पणी लिखिये । 

उत्तर - दांडी समुद्र के तट पर स्थित एक गाँव है । गाँधीजी ने यहाँ आकर समुद्र के जल से नमक बनाया और सविनय अवज्ञा आन्दोलन को प्रारम्भ किया था । गाँधीजी ने 12 मार्च , सन् 1930 को अहमदाबाद से पैदल दांडी तक की यात्रा अपने साबरमती आश्रम के 78 सदस्यों के सहयोग से की थी 15 अप्रैल , सन् 1930 को दांडी पहुँचे थे । जगह - जगह लोगों ने गाँधीजी का स्वागत किया और और वे उसके साथ चलने लगे । दांडी में गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा और सरकारी कानून को चुनौती दी । उस समय केवल सरकार ही नमक बनाती थी । आम जनता को नमक बनाने की आज्ञा नहीं थी । इस प्रकार गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ दांडी यात्रा कर एवं नमक बनाकर किया था ।

प्रश्न 37. असहयोग आन्दोलन के चार परिणाम लिखिये ।

उत्तर- ( 1 ) गाँधी जी ने राष्ट्रीय या असहयोग आन्दोलन को एक क्रान्तिकारी आन्दोलन और एक जन आन्दोलन के रूप परिवर्तित कर दिया । 

( 2 ) इस आन्दोलन से जनता में देश - प्रेम और बलिदान की भावना जाग्रत हुई । 

( 3 ) इस आन्दोलन से जानता की स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की प्रेरणा मिली । (4 ) इस आन्दोलन से कांग्रेस की नीति में भी परिवर्तन आया । प्रार्थना और अनुनय विनय की भावना छोड़कर संघर्ष की नीति अपनानी आरम्भ कर दी ।

प्रश्न 38. आतंकवादी क्रांतिकारियों के क्या कार्य कलाप थे ? सन् 1922 के बाद सक्रिय चार क्रान्तिकारियों के नाम लिखिये । 

उत्तर- क्रान्तिकारियों के निम्नलिखित कार्य - कलाप थे–

( 1 ) क्रान्तिकारी देशभक्त थे और मातृभूमि को आजाद कराने हेतु बलिदान को तत्पर थे । 

( 2 ) अत्याचार का बदला अत्याचार करके लेना चाहते थे। 

( 3 ) अत्याचारी शासकों के मन में आतंक फैलाना चाहते थे।

( 4 ) क्रान्तिकारी विदेशी शासन , सभ्यता एवं संस्कृत के विरोधी थे और उसे उखाड़ फेंकना चाहते थे । ( 5 ) भारतीयों को विदेशी शासन के विरुद्ध शस्त्र उठाने की प्रेरणा देते थे । क्रान्तिकारियों का आन्दोलन कई वर्षों तक चला लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली । सक्रिय क्रान्तिकारियों के नाम- भगतसिंह , राजगुरु , सुखदेव और बटुकेश्वर दत्त ।

प्रश्न 39. साइमन आयोग ( कमीशन ) क्या था ? भारतीय जनता ने क्यों उसका विरोध किया ?

उत्तर- सन् 1927 में ब्रिटिश सरकार ने इण्डिया एक्ट के अनुसार भारतीय शासन में हुई प्रगति की जाँच करने के लिए एक आयोग भारत भेजा । इस आयोग के अध्यक्ष मि . साइमन थे , इस आयोग का नाम साइमन आयोग हुआ । इस आयोग के सात सदस्य थे जो सभी अंग्रेज थे । इसमें कोई सदस्य भारतीय नहीं था . इस कारण 3 फरवरी , सन् 1928 में जब यह आयोग भारत पहुँचा तो भारतीयों ने उसका विरोध किया । ' साइमन वापस जाओ का नारा लगाया गया , हड़तालें हुईं ।

 प्रश्न 40. समाजवादी विचार भारत में कैसे फैला ? उनका स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- भारत में समाजवादी विचार फैलने के कारण –

( 1 ) सन् 1917 की रूसी क्रान्ति का प्रभाव राष्ट्रीय नेताओं पर पड़ा । 

( 2 ) मजदूरों और किसानों ने अपने हितों के लिए संगठन बनाए ।

( 3 ) एम . एम . जोशी द्वारा सन् 1920 में अखिल मजदूर संघ की स्थापना । 

( 4 ) सन् 1936 में किसानों द्वारा अपना संगठन बनाना ।

( 5 ) जवाहरलाल नेहरू का समाजवादी विचारधारा का होना । 

( 6 ) आचार्य नरेन्द्र देव द्वारा समाजवादी विचारों को फैलाना । इस प्रकार इन कारणों से भारत में समाजवादी विचार फैले ।

प्रभाव - स्वतन्त्रता संग्राम पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा

( 1 ) जवाहर लाल नेहरू और सुभाषचन्द्र की प्रेरणा से किसानों और मजदूरों ने अपना संगठन बनाया । 

( 2 ) किसानों और खेतिहर मजदूरों ने जमींदारी प्रथा समाप्त करने में कांग्रेस का साथ दिया ।  इनके शामिल होने से ही आजादी मिली । 

( 3 ) राष्ट्रीय आन्दोलन के नेताओं ने कांग्रेस अधिवेशन में किसानों में जमीन के समान वितरण की माँग की , मजदूरों के लिए के लिए आठ घण्टे कार्य दिवस निश्चित किए तथा किसानों एवं मजदूरों के हितों को अपना लक्ष्य बनाया ।

( 4 ) समाजवादी विचारधाराओं के कारण भारत में कम्युनिस्ट पार्टी तथा कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना हुई । इनका लक्ष्य भारत में समाजवाद लाना था । 

प्रश्न 41. आजाद हिन्द फौज की स्थापना क्यों हुई ? भारत की स्वतन्त्रता के लिए उसने क्या किया ? 

उत्तर- आजाद हिन्द फौज की स्थापना सुभाष चन्द्र बोस ने की थी । वह अंग्रेजों को भारत से निकालना चाहते थे । वह कठोर से कठोर पग उठाना चाहते थे । अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया , परन्तु वे भाग कर विदेश चले गये । जापान सरकार से सम्पर्क स्थापित किया । नेताजी जापान द्वारा बन्दी बनाये गये भारतीय सैनिकों को एक झण्डे के नीचे लाकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अँग्रेजों से युद्ध करना चाहते थे ।

 आजाद हिन्द फौज का योगदान- 

( 1 ) सुभाष चन्द्र बोस अण्डमान गये और वहाँ भारत का झण्डा फहराया ।

( 2 ) आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिये भारत के पूर्वोत्तर भाग में हमले किये । 

( 3 ) फौज के कुछ सैनिक भारतीय क्षेत्र में पहुँच गए । 

( 4 ) भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का प्रयास किया । 

( 5 ) सभी पंथ तथा धर्मों के भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधा । 

( 6 ) भारत की जनता के लिए आजाद हिन्द फौज एकता और वीरता का प्रतीक बन गई । 

प्रश्न 42. भारत छोड़ो आन्दोलन का क्या अर्थ है ? यह कब शुरू हुआ ? भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास में इसका क्या महत्व है ?

उत्तर- आजादी के लिए भारतीय जनता का तीसरा महान् संघर्ष शुरू हुआ । इसे ' भारत छोड़ो आन्दोलन ' के नाम जाना जाता है । आन्दोलन का प्रारम्भ 8 अगस्त , सन् 1942 के प्रस्ताव से हुआ । इसे महात्मा गाँधी ने चलाया था । इसमें माँग की गई थी कि ब्रिटिश शासन को शीघ्र समाप्त करना चाहिए । इसमें देश की आजादी के लिये व्यापक स्तर पर अहिंसात्मक जन - आन्दोलन शुरू करने को कहा गया । इस प्रस्ताव के पास होते ही 9 अगस्त , सन् 1942 को गाँधीजी  तथा अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । कांग्रेस को गैर कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया । सरकार का दमन चक्र चला । भारतीयों ने ‘ गाँधीजी को छोड़ दो , ' ' ब्रिटिश सरकार मुर्दाबाद ' के नारे लगाए । भारत के नगरों में हड़ताल हुई , सभाएँ हुईं जुलूस निकाले गए । सरकारी भवनों में आग लगा दी गई । डाकखानों और रेलवे स्टेशनों तथा रेलगाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएँ हुईं । ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस को इन कार्यों के लिए दोषी ठहराया । गाँधीजी ने 10 फरवरी , सन् 1943 को जेल में ही 21 दिन का उपवास किया । 6 मई , सन् 1944 को गाँधीजी को छोड़ दिया गया । इस समय तक भारत छोड़ो आन्दोलन समाप्त हो गया था । 

महत्व-

( 1 ) भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान करो या मरो की नीति अपनाई गई । 

( 2 ) गाँधीजी सहित अनेक नेता गिरफ्तार कर लिए गए । 

( 3 ) सरकारी भवनों में एवं संस्थानों में आग लगाई ।

( 4 ) इस आन्दोलन में राष्ट्रीय भावना का प्रसार हुआ । 

( 5 ) जनता ने यह सिद्ध कर दिया कि वह आजादी के लिए हर प्रकार का बलिदान देने के लिये तैयार हैं । 

( 6 ) इसमें 1000 लोगों की मृत्यु हो गई । 6 लाख लोगों को जेलों में बंद कर दिए गए ।

 ( 7 ) कांग्रेस पर प्रतिबंध लगा ।

प्रश्न 43. किन परिस्थितियों में भारत को स्वतन्त्रता मिली ?

उत्तर- 1946 ई . में ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि वह भारत से अपना शासन समाप्त करना चाहती है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए केबिनेट मिशन भारत आया । इस मिशन ने संविधान सभा बुलाने और अंतरिम सरकार का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा । इधर अन्तरिम सरकार का गठन हुआ , उधर मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की माँग पर जोर देना आरम्भ कर दिया । बंगाल , बिहार , बम्बई आदि कई स्थानों पर हिन्दू - मुस्लिम दंगे शुरू हो गये । इन दंगों में लाखों लोग मारे गये और बेघर - बार हो गये । लॉर्ड माउण्टबेटन ने भारत विभाजन की अपनी योजना रखी जिसे सभी पक्षों ने स्वीकार कर लिया । आखिर 15 अगस्त , सन् 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ और एक अलग राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान का निर्माण हुआ । 

प्रश्न 44. चौरा - चौरी काण्ड के बाद असहयोग आन्दोलन क्यों वापस ले लिया गया ? देश में इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई ? 

उत्तर- असहयोग आन्दोलन वापस लेने के कारण गाँधीजी के नेतृत्व में 1 अगस्त , सन् 1920 को देशभर में चलाया गया । इस आन्दोलन के लिए गाँधीजी ने पूर्ण अहिंसा की अपील भारतीय जनता से की थी । किन्तु 5 फरवरी , सन् 1922 में हुए अग्नि काण्ड ने गाँधी जी को आहत कर दिया । वे भारतीय जनता को अहिंसा का पाठ पढ़ाने के लिए 12 फरवरी , सन् 1922 को इस आन्दोलन को वापस ले लिया । प्रतिक्रिया - आन्दोलन वापस लिए जाने पर देश प्रेम की उठती ज्वाला को स्थिरता मिल गई । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल नेहरू , चितरंजन दास के मन में सरकार के कार्यों में बाधा डालने के लिए चुनाव लड़कर विधान मंडलों में प्रविष्ट होने का विचार आया । कांग्रेस ने ही ' स्वराज दल ' के नाम से एक स्वतंत्र गुट बनाया गया । असहयोग आन्दोलन वापस लेने पर क्रांतिकारियों को बहुत निराशा हुई । वे सब सशस्त्र क्रांति का रास्ता छोड़कर असहयोग आन्दोलन में शामिल हुए थे । सभी पुनः क्रांतिकारी आन्दोलन में सक्रिय हो गए । 

प्रश्न 45. क्रांतिकारियों की गतिविधियों की जानकारी देते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आजाद के योगदान का वर्णन कीजिए । 

उत्तर- क्रांतिकारियों ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सर्वाधिक योगदान दिया । क्रांतिकारियों ने लखनऊ के निकट काकोरी में एक रेलगाड़ी को रोककर सरकारी खजाना लूट लिया । सरदार भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने लाहौर में पुलिस सार्जेन्ट साण्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी । साण्डर्स ने एक प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय पर लाठियाँ बरसाई थीं , जिनमें उनकी मृत्यु हो गई । थी । इसके बाद उन्होंने दिल्ली के केन्द्रीय विधान सभा में बम फेंका । बम फेंकने के पीछे उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था , बल्कि अपनी आवाज तथा सरकार की कमियाँ जनता तक पहुँचाना था । इस बम काण्ड के आरोप में भगतसिंह राजगुरु और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया गया और तीनों को षड्यंत्रपूर्वक फाँसी पर लटका दिया गया । 

 चन्द्रशेखर आजाद – चन्द्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में क्रांतिकारियों के मुखिया थे । उन्होंने अपना सारा जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था । ‘ आजाद ’ उनकी उपाधि थी । वे कहते थे कि वे आजाद पैदा हुए हैं और आजाद ही मरेंगे । भगतसिंह व साथियों को फाँसी दिए जाने के बाद आजाद अकेले पड़ गए थे । वे अपने कुछ मित्रों के साथ इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में आजादी के लिए योजना बना रहे थे । तभी मुखबिरी हो गई और अंग्रेज सिपाहियों ने उसे चारों ओर से घेर लिया । आजाद के सारे साथी शहीद हो गए और जब चन्द्रशेखर की रिवाल्वर में एक ही गोली बची तो उन्होंने उसे अपनी कनपटी पर चलाकर अपने संकल्प को पूरा किया । आजाद के शहीद होने के बाद पंजाब , उत्तर प्रदेश , बिहार में क्रांतिकारी आन्दोलन लगभग समाप्त हो गया ।

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