सामाजिक विज्ञान(इतिहास)
कक्षा सातवीं अध्याय 6
मुगल साम्राज्य की स्थापना
बाबर से अकबर तक 1552-1605
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1.रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
( 1 ) मुगल साम्राज्य के सभी अधिकारियों को मनसबदार कहा जाता था ।
( 2 ) अकवरनामा के लेखक अबुलफजल हैं।
( 3 ) प्रत्येक मनसबदार को घुड़सवार की एक टुकड़ी रखनी पड़ती थी ।
( 4 ) मनसबदारों को वेतन जागीर के रूप में मिलता था ।
( 5 ) ताँबे के बने सिक्के को दाम कहते हैं व चाँदी के बने सिक्के को रुपया कहते हैं ।
प्रश्न 2.सही / गलत बताएँ
( 1 ) अकबर की व्यवस्था में किसानों को लगान अनाज के रूप में देना पड़ता था ।( गलत)
( 2 ) अधिकारी किसान के बोए गए जमीन नापकर लगान तय करते थे । (सही)।
( 3 ) किसान को अपनी उपज का एक चौथाई भाग लगान के रूप में देना पड़ता था ।(गलत)
( 4 ) लगान इकट्ठा करने में अधिकारियों की मदद जमींदार करते थे ।(सही)
प्रश्न 3. प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
( 1 ) बाबर के जीवन के बारे में हमें किस स्रोत से पता चलता है ?
उत्तर– बाबर के जीवन के बारे में हमें उसके द्वारा लिखित आत्मकथा ' तुजुक - ए - बाबरी ' से पता चलता है । इसे बाबरनामा भी कहते हैं ।
( 2 ) हुमायूँ को भारत छोड़कर क्यों जाना पड़ा ?
उत्तर - हुमायूँ , शेरशाह से युद्ध में हार गया और उसे सन् 1540 में भारत छोड़कर ईरान भागना पड़ा ।
( 3 ) क्या छत्तीसगढ़ अकबर के राज्य के अंदर था ?
उत्तर - छत्तीसगढ़ अकबर के राज्य के अंदर नहीं था । छत्तीसगढ़ उस समय रतनपुर राज्य कहलाता था । यहाँ पर कल्चुरी राजवंश का प्रशासन प्रभावशील था ।
( 4 ) बाबर ने भारत में कौन - सी कला को विकसित करने की पहल की ?
उत्तर– बाबर सुंदर बगीचों का शौकीन था । उसने भारत में मुगल शैली के कई बाग बनवाए ।
( 5 ) राणा प्रतापने अकबर की अधीनता क्यों नहीं स्वीकार की ?
उत्तर - राणा प्रताप को मुगल दासता ( गुलामी ) स्वीकार नहीं होने के कारण उसने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और पुनः आक्रमण कर अपने राज्य को प्राप्त करने में सफलता भी अर्जित किया ।
( 6 ) प्रायः लोग अकबर की किन नीतियों से ज्यादा प्रभावित हुए होंगे ?
उत्तर - अकबर द्वारा लागू दो नीतियों से सर्वाधिक लोग प्रभावित हुए तथा उसे सबका समर्थन मिला ।
1. सब के प्रति शांति ( सुलह कुल )।
2. सर्वधर्म समभाव ( दीन - ए - इलाही ) ।
( 7 ) मनसबदारों की नियुक्ति कौन करता था ?
उत्तर - मनसबदारों की नियुक्ति खुद बादशाह करता था ।
( 8 ) मनसबदारों का तबादला क्यों होता था ?
उत्तर - मनसबदारों का समय - समय पर तबादला कर दिया जाता था ताकि वे स्थानीय लोगों से मिलकर विद्रोह न करें ।
( 9 ) अकबर की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए ?
उत्तर - अकबर ने हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित करने के लिए ' दीन ए इलाही ' धर्म की स्थापना की । इसके लिए उसने कई धर्मों के गुरुओं से उनके धर्म की चर्चा के , फलस्वरूप उसके मन में यह धारणा बनी की सभी धर्मों में सच्चाई व अच्छाई है । दुनिया में विविधता , अलग - अलग संस्कृति व धर्म , ईश्वर की ईच्छा से बने हैं । इसी नीति के अनुकूल अकबर ने हिन्दुओं पर लागू जजिया व तीर्थ यात्रा कर हटा दिया । मंदिर बनाने की अनुमति दी और हिन्दू व जैन मंदिरों व मठों को दान दिया । उसने रामायण , महाभारत जैसे ग्रंथों का फारसी में अनुवाद करवाया । अकबर ने अपने निजी जीवन में भी कई धर्मों की बातों का समावेश किया । वह रोज सूर्य की पूजा करता था , मांस - मदिरा आदि का उपयोग कम करने लगा और दीवाली , नौरोज जैसे त्यौहारों को मानता था । उसकी इस नीति को मुगल साम्राज्य के सभी लोगों का समर्थन मिला ।
( 10 ) अकबर की लगान व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये ? उत्तर - अकबर की लगान व्यवस्था की विशेषताएँ निम्न हैं–
1. किसान लगान रुपए में दें न कि अनाज के रूप में । इससे छोटे अधिकारी व जमींदारों की मनमानी जाती रही ।
2. किसान जितनी जमीन में खेती करता था , उसी हिसाब से लगान चुकाना था । आमतौर पर अपने उपज का एक तिहाई या आधा हिस्सा लगान के रूप में देना पड़ता था ।
3. किसानों से लगान इकट्ठा करने में स्थानीय जमादार अधिकारियों की मदद करते थे ।
4. किसानों से प्राप्त लगान से ही राज्य का खर्च चलता था ।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. अकबर ने अपने विशाल साम्राज्य की व्यवस्था किस प्रकार की ?
उत्तर - अकबर ने अपने विशाल साम्राज्य को पंद्रह सूबों में बाँटा । सूबे का क्षेत्र लगभग आज के प्रदेश जैसा ही था । प्रत्येक सूबा ( प्रांत ) , सरकारों ( जिलों ) में बँटा हुआ था और प्रत्येक सरकार बहुत से परगनों ( तहसीलों ) में विभक्त था । कई गाँवों के समूह को एक परगना कहा जाता था । अकबर ने केन्द्र से लेकर परगना तक जिम्मेदार अधिकारियों को नियुक्त किया । मुगल शासन के इन अधिकारियों को मनसबदार कहा जाता था । इन मनसबदारों के क्षेत्र को जागीर तथा उन्हें जागीरदार भी कहा जाता था ।
प्रश्न 2. शेरशाह ने अपने राज्य को सुदृढ़ बनाने के लिए क्या - क्या सुधार किए ?
उत्तर- शेरशाह ने अपने राज्य को सुदृढ़ बनाने के लिए कई सुधार कार्य किए । उसके शासन में सड़कें , सरायें और जल व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया ताकि आम जनता को सुविधाएँ प्राप्त हों । जिन्हें अकबर ने भी आगे चलकर अपनाया और आगे बढ़ाया । उसने नये सिक्कों का चलन शुरू किया । पहला था ताँबे का सिक्का , जिसे ' दाम ' कहते थे तथा दूसरा चाँदी का सिक्का था , जिसे ' रुपया ' कहते थे । उसने सासाराम में अपने लिए मकबरा भी बनवाया । इनके शासन काल में सड़क निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया ।
प्रश्न 3. अकबर की राजपूत नीति का संक्षेप में वर्णन कीजिए ? उत्तर - वैसे तो अकबर एक निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी शासक था परन्तु अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए उसने उदारवादी नीति अपनायी जिसके अंतर्गत राजपूत नीति भी आती है ।
( 1 ) राजपूतों से वैवाहिक संबंध कायम करना - उसने जयपुर के राजा भारमल की पुत्री मणिबाई के साथ विवाह करके राजपूतों को अपनी ओर मिला लिया ।
( 2 ) राजपूतों को उच्च पद पर नियुक्त किया- उसने भारमल के पुत्र तथा उसके नाती मानसिंह , बीकानेर के रावसिंह , जैसेलमेर के भीमसेन तथा जोधपुर के उदयसिंह को उच्च पदों पर नियुक्त किया तथा उन्हें संतुष्ट किया ।
( 3 ) उदार व्यवहार तथा धार्मिक भावनाओं का आदर अकबर ने अपने अधीन राजपूत राजाओं तथा अधिकारियों के साथ उदार व्यवहार किया । उसने राजपूतों की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचायी । उसने उनके मंदिर तथा मूर्तियाँ नहीं तोड़ी । अकबर ने हिंदू धर्म के आचरण एवं व्यवहार को भी अपनाया ।
प्रश्न 4.अकबर को महान क्यों कहा जाता है ? अथवा अकबर एक महान राष्ट्रीय सम्राट था , समझाइए ?
उत्तर - अकबर एक महान् राष्ट्रीय सम्राट था , यह निम्न बातों से स्पष्ट होता है ।
( 1 ) राजनीतिक एकता - अकबर ने भारत के दिल्ली , आगरा , ग्वालियर , अजमेर , जौनपुर , मालवा के प्रदेशों , रणथम्भौर , चित्तौड के किलों , गुजरात , अहमदनगर , बंगाल तथा बिहार आदि पर विजय करके विशाल मुगल साम्राज्य की स्थापना की ।
( 2 ) कुशल शासन प्रबंध - अकबर एक कुशल शासक एवं प्रशासक था । उसने सुव्यवस्थित शासन प्रणाली की स्थापना की थी । देश के सभी प्रांतों में समान कानून लागू किया । मनसबदारी प्रथा भूमि सुधार संबंधी कानून बनाए ।
( 3 ) धार्मिक नीति- अकबर सभी धर्मों का आदर करता था । उसने दीन - ए - इलाही धर्म चलाया । उन्होंने हिन्दुओं को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की । उसने गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया ।
( 4 ) हिन्दुओं पर लगने वाले जजिया कर एवं यात्री कर समाप्त कर उदारता का परिचय दिया ।
( 5 ) उसने हिन्दुओं के मंदिर एवं मूर्तियों को नहीं तोड़ा ।
( 6 ) राजपूत नीति - उसने राजपूत राजा की कन्या से विवाह कर हिन्दू - मुस्लिम एकता को सुदृढ़ करने का प्रयास किया तथा अनेक राजपूतों को अपने प्रशासन में उच्च पदों पर नियुक्त किया ।
( 7 ) उसने हिन्दू - मुस्लिम दोनों के लिए एक ही न्याय - व्यवस्था लागू कर समानता का सिद्धान्त अपनाया । उपर्युक्त कारणों से अकबर को एक महान राष्ट्रीय सम्राट माना जाता है ।
प्रश्न 5.अकबर के दरबार के नौ - रत्नों के नाम लिखिए ?
उत्तर - अकबर के दरबार के नौ - रत्न निम्न थे–
( 1 ) अबुल फजल - विद्वान पंडित , सलाहकार और मित्र था।
( 2 ) फैजी - बड़ा कवि और दार्शनिक था , जिसने भगवद् गीता का फारसी में अनुवाद किया था ।
( 3 ) मानसिंह- अनुभवी सेनापति ।
( 4 ) राजा टोडरमल - भूमि का माप करके मालगुजारी निश्चित करने वाला ।
( 5 ) बीरबल - चतुर विद्वान , बुद्धिमान व हाजिर जवाब ।
( 6 ) तानसेन- प्रसिद्ध संगीतज्ञ , गायक ।
( 7 ) अब्दुर्रहीम- कवि ।
( 8 ) हकीम हुकाम - राजवैद्य ।
( 9 ) मुल्लादोप्याजा - विनोदशील , मसखरा ।
उपर्युक्त नौ - रत्नों के अलावा अकबर के शासनकाल में सूरदास , तुलसीदास , रसखान , केशवदास , अबुल फजल बदायूँ आदि प्रसिद्ध कवि , लेखक एवं साहित्यकार थे । ।
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