भूकंप किसे कहते है? कारण, प्रभाव, बचाव के उपाय/What is an earthquake? Cause, Effect, Preventive Measures

 भूकंप किसे कहते है 



भूकम्प एक ऐसा संकट है जो अचानक प्रभावित करता है। भूकंप किसी भी समय, अचानक बिना किसी चेतावनी के आता है। भूकंप वह घटना है जिसके द्वारा भूपटल मे हलचल पैदा होती है तथा कम्पन होता है। यह कंपन तरंग के रूप मे होता है। जैसे-जैसे ये तरंगे केन्द्र से दूर जाती है उनकी शक्ति एवं तीव्रता का ह्रास होता है। भूकंप का प्रभाव दो रूपों मे होता है। प्रथम प्रभाव उत्पत्ति केन्द्र के चारों तरफ तरंगों के द्वारा प्रसारित होता है यह क्षैतिज प्रभाव होता है। दूसरा प्रभाव धरातलीय भागों मे ऊपर तथा नीचे की तरफ लम्बवत रूप से होता है। भूकंप का यह स्वरूप अत्यंत विनाशकारी होता है। जहाँ से भूकम्प की शुरुआत होती है उस स्थान को भूकंप का केंद्र कहते है। धरातल पर सर्वप्रथम भूकंप लहरों एवं हलचलों का अनुभव यही होता है भूकम्प केन्द्र से जो लहरें प्रसारित होती है उन्हें लहरें कहते है। भूकम्प की तीव्रता और परिणाम का मापन रिक्टर पैमाने पर किया जाता है। भूकंप उत्पत्ति के अनेक कारण हैं।

ऐसा समझा जाता है कि पृथ्वी की सतह बड़ी-बड़ी प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें पृथ्वी की आंतरिक गर्मी के कारण एक-दूसरे की तरफ खिसकती है। इनके खिसकने अथवा फैलने से भूकम्प आता है। जहाँ दो प्लेटें मिलती है पर्वत बनते है और जहाँ से बाहर खिसकती है वहां नई सतह का निर्माण होता है, ज्वालामुखी उद्गार इन्हीं से संबंधित है।

भूकंप की उत्पत्ति के कारण 

भूकंप आने के अनेक कारण होते है, लेकिन जाज्यादर बड़े भूकंप धरातलीय कंपन के कारण ही आते है। जब किन्ही कारणों से वृथ्वी मे दरार आ जाती है या भूसंतुलन बिगड़ जाता है तो परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न होते। इसके अतिरिक्त भूकंप के कुछ मुख्य अतिरिक्त कारण इस प्रकार है–

1. भू-पटल मे भ्रंश 

भूगर्भीय बलों के कारण से उत्पन्न दबाव तनाव के कारण धरातलीय चट्टानों मे दरारें पड़ जाती है। इससे भ्रंशघाटी एवं अवरोधी पर्वतों का निर्माण होता है। इस निर्णाण काल मे चट्टानें ऊपर नीचे तथा इधर-उधर खिसकती है। अतः इनके अचानक खिसकने से भूकंप उत्पन्न होते है।

2. भूपटल मे सिकुड़न 

भूगर्भशास्त्री ज्ञान तथा ब्यूमाउण्ड के अनुसार," पृथ्वी से ऊष्मा के विकिकरण के कारण पृथ्वी का ताप कम हो जाता है, जिससे पृथ्वी की ऊपरी परत ठण्डी हो जाती है, और सिकुड़ना प्रारंभ हो जाती है और जब यह सिकुड़न तेज हो जाती है, तो भूकंप उत्पन्न होते है।

3. भू-संतुलन मे अव्यवस्था 

भूपटल के विभिन्न भाग प्रायः संतुलित अवस्था मे रहते है, लेकिन कभी-कभी भूगतियों एवं अन्य कारणों से यह संतुलित अवस्था अव्यवस्थित हो जाती है, तब भूपटल पर पुनः संतुलन स्थापित करने के लिये धरातलीय चट्टानों मे हलचल उत्पन्न होने लगती है, जिसके फलस्वरूप भूकंप उत्पन्न होते है। जैसे-- नये घुमावदार पर्वतीय स्थानों मे मृदा-अपरदन के कारण संतुलन बिगड़ जाता है, तब पुनः संतुलन स्थापित करने के लिये धरातलीय चट्टानों मे हलचल होती है, जिससे भूकंप उत्पन्न होते है।

4. ज्वालामुखी क्रिया 

भूगर्भशास्त्रयों के अनुसार," भूकम्पग्रस्त क्षेत्रों का अध्ययन करने से ज्ञात हुआ है कि भूकंप प्रायृ भूमि के उस निर्बल भाग मे आते है, जहां ज्वालामुखियों का उद्गार होता है। ज्वालामुखियों का उद्गार भूगर्भीय, अतिशक्तिशाली एवं तीव्र गैसों व जलवाष्व के कमजोर भूपटल को तोड़कर ऊपर निकलने के कारण होता है। ये गैंसे तथा जलवाष्ण भूपटल के नीचे भयंकर धक्के मारती है और परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाते है।

5. गैसों का फैलाव 

जब किन्ही कारणों से जल भूमि मे अंदर पहुँच जाता है, तो यह अधिक तापमान के कारण जल वाष्ण मे परिवर्तित हो जाता है और जब भूमि मे इस गैस की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो यह भूगर्भ से बाहर आने हेतु भूमि की निचली चट्टानों पर धक्के मारती है, जिससे भूमि मे कम्पन होने लगता है और फलस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाते है।

6. प्लेट विवर्तनिकी

भू-प्लेटें भूमि मे धीमी गति से खिसकती है, किन्तु कभी-कभी इनके खिसकने मे रूकावट उत्पन्न हो जाती है, जिससे भूमि मे तनाव व दवाब बढ़ जाता है और भूमि दरारों के साथ टूटने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाते है।

7. जलीय भार 

मावन निर्मित विशाल जलाशयों मे तली की चट्टानों मे जलीय भार के कारण भूसंतुलन प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है, जिससे चट्टानें इधर-उधर खिसकने लगती है और इस परिवर्तन के फलस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाते है।

भूकंप के दुष्प्रभाव  

भूकंप के विनाशकारी प्रभाव इस प्रकार है–

1. भूकंप आने से भूमि मे दरारे पड़ जाती है और उपजाऊ भूमि नष्ट हो जाती है जिसके फलस्वरूप दलदली भूमि का निर्माण होता है। 

2. भूकंपों के झटको से सड़के, भवन व रेलमार्ग पलभर मे क्षतिग्रस्त हो जाते है।

3. भूकंपो के कारण नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते है, जिससे भयंकर बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता है।

4. भूकंपो के कारण विशाल शिलाखण्ड पिघलकर घाटियों मे परिवर्तित हो जाते है, जिससे जनधन की हानि होती है।

5. भूकंपो के कारण कभी-कभी संपूर्ण नगर ही नष्ट हो जाते है।

भूकंप के लाभकारी प्रभाव 

भूकंप के लाभकारी प्रभाव इस प्रकार हैं–

1. भूकंपो के कारण कभी-कभी खनिज पदार्थ धरातल पर ऊपर आ जाते है।

2. अनुपजाऊ भूमि के स्थान पर उपजाऊ भूमि प्रकट हो जाती है।

3. भूकंप के कारण सागर के निम्न तट ऊपर उठ जाते है, जिससे महाद्वीप का निर्माण होता है।

4. भूकंप के कारण भूमि मे दरारे पड़ने से नदियों व झीलों का निर्माण होता है। इन जलस्रोतों से जल की प्राप्ति होती है।

5. भूकंप से नये भू बनते है, जिससे मानव-जीवन प्रभावित होता है।

भूकंप आपदा प्रबंधन/भूकंप से बचाव के उपाय/सुझाव 

इस आपदा से प्रबंधन के द्वारा भूकंप के आने को तो नही रोजा जा सकता, लेकिन भूकंप से होने वाली हानियों को कम अवश्य ही किया जा सकता है। भूकंप आपदा प्रबंधन के लिए निम्न उपाय अथवा सुझाव इस प्रकार हैं--

1. वैज्ञानिकों द्वारा भू-पटल की दृष्टि से अति-संवेदनशील भू-भागो एवं मध्यम संवेदनशील भू-भागों का पता लगाया जा चुका है। अतः भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील तथा मध्यम संवेदनशील क्षेत्रों मे भवन निर्माण करते समय ऐसी तकनीक के उपायोग को अनिवार्य कर दिया जाये जिससे निर्मित भवनों पर भूकंप का न्यूनतम प्रभाव पड़े। 

2. भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों मे आवश्यक स्थलो पर भूकंप चेतावनी यंत्र स्थापित कर दिये जायें तथा भूकंप आने के संकेत मिलते ही चेतावनी साइरन बजाने की व्यवस्था की जाये। इससे भूकंप से होने वाली जन-धन की हानि को काफी कम किया जा सकता है। 

3. भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों मे आम जनता को भूकंप से बचने के उपायों की समुचित जानकारी प्रदान की जाये। उदाहरण के लिये भूकंप आने पर अतिशीघ्रता से अपने आवास को छोड़कर खुले भू-भागों मे आ जाना चाहिए।

4. भूकंप के कारण विस्थापित हुए लोगो को पुनर्वास तथा आर्थिक सहायता हेतु समुचित प्रबंध किये जाने चाहिए।

5. भूकंप प्रभावित क्षेत्रों मे मलबे की यथाशीघ्र सफाई करा देनी चाहिए।

6. खाद्य सामग्री तथा शुद्ध पेयजल आपूर्ति के पर्याप्त प्रबंध सुनिश्चित किये जाये।

7. भूकंप प्रभावित क्षेत्रों मे भवनों का डिजाइन व वास्तुकला इंजीनियरी के सहयोग से तय होना चाहिए। भवन निर्माण से पहले मिट्टी की किस्म का विश्लेषण कराना उपयुक्त होता है। नरम मिट्टी के ऊपर मकान नही बनाए जाने चाहिए। कमजोर मिट्टी पर निर्माण कार्य करने के लिए भवन डिजाइन मे सुरक्षा उपाय अपनाएं जाने चाहिए।

8. भारतीय मानक ब्यूरो ने भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित निर्माण कार्य के लिए भवन संहिताएं और मार्गदर्शन निर्देश प्रकाशित किए है। भवन का निर्माण करने से पूर्व नगरपालिका, निर्धारित उपनियमों के अनुसार नक्शों की जाँच करती है।

9. वर्तमान मौजूदा भवनों जैसे कि अस्पताल, विद्यालय, दमकल, केन्द्र निर्माण मे भूकंप संबंधि सुरक्षा उपाय न अपनाए गये हो तो उनमे समयनुकुल नई तकनीक का अनुप्रयोग किया जाना आवश्यक है।

सौजन्य kailasheducation.com

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