गुरु की आज्ञा का सम्मान
पुराने जमाने की बात है।एक राजा रहता था ।राजा बड़ा ही दानी था।राजा का दो बेटा था एक का नाम आलोक और एक का नाम त्रिलोक था आलोक और त्रिलोक शिक्षा प्राप्त करने के लये गुरु के आश्रम जाते थे।आलोक गुरु का बहुत सम्मान करता था।तथा अधिक से अधिक ज्ञान की बाते गुरु जी से प्राप्त करता।और हमेशा गुरु जी की सेवा में लगा रहता।लेकिन त्रिलोक को तो गुरु की बात बिलकुल अच्छा नही लगता था।मजबूरी में गुरु के पास जाता था ताकि राजा उससे नाराज ना हो। उसे तो ज्ञान की बाते बकवास लगता था बस अपने घूमने फिरने तथा खाने पीने से मतलब रहता फिर भी गुरु जी त्रिलोक को बहुत समझते थे।और ज्ञान की बाते बताने की कोसिस करते थे।
एक दिन राजा ने आलोक और त्रिलोक को गुरु दक्षिणा देने के लिए कुछ धन और अनाज दिए जब दोनों भाई गुरु जी के आश्रम जाने के लिए घर से निकले तब रास्ते मे त्रिलोक ने तबियत खराब होने का बहाना बनाया और घर वापस चला गया इधर आलोक सीधा गुरु के आश्रम गया एवं गुरु को सभी चीजे जो राजा ने दिया था उसे गुरु जी को दे दिया।जब गुरु जी ने त्रिलोक के बारे में पूछा तब उसके तबियत के बारे में बताया। और इधर त्रिलोक राजा के दिये हुए अनाज को बेच दिया तथा मिले हुए पैसे और धन को अपने मित्रों में बाट दिया एवं सभी मित्र मिलकर खा पीकर मग्न हो गए ।थोड़ी देर बाद जब त्रिलोक घर आया तो राजा ने पूछा कि गुरु जी को दक्षिणा दे दिए तब दोनो भाई ने हा कहा।लेकिन आलोक ने बताया कि त्रिलोक तो गुरु जी के पास गया ही नही तब राजा ने सारी सच्चाई त्रिलोक से पूछा और उसको बहुत डाटा।
कुछ दिनों बाद राजा की मृत्यु हो गई ।राजा की मृत्यु के बाद उस राज्य के प्रजाओं ने राजा के बेटो को राजा बनने की विनती किये ।त्रिलोक बड़ा था तो राजा उसे ही बनना था लेकिन प्रजाओं ने विरोध किया कि आलोक को राजा बनाया जाये क्योकि त्रिलोक में तो कोई ज्ञान ही नही है वह राज्य का साशन नही चला सकेगा।लेकिन त्रिलोक भी अड़ लगाए था कि मैं बड़ा हु तो मैं ही राजा बनूँगा। राज्य में यही सब चर्चा हो रही थी ।जब इस बात की भनक गुरु जी को लगी तब गुरु जी प्रजाओं के बीच आये और सभी ने गुरु जी से भी सलाह लिया तब गुरु जी ने भी आलोक को ही राजा बनाने का विचार दिया ।
धीरे धीरे समय बीतते गया त्रिलोक राज्य में बहुत हड़कम्प मचाया था कि मुझे ही राजा बनाओ राज्य के सभी लोग उससे परेसान थे और गांव में त्रिलोक गुंडागर्दी भी करता था त्रिलोक आलोक को राजा नही बनने दे रहा था।कुछ दिन तो राज्य बिना राजा के ही चल रहा था ।तब राज्य पूरा अस्त -व्यस्त हो गया था और किसी को न्याय नही मिल रहा पा रहा था राज्य में अत्याचार बढ़ गया।प्रजाओं ने विचार किया कि अभी राज्य की जो स्थिति है उसका जिम्मेदार त्रिलोक है तभी कुछ लोग विचार किये की त्रिलोक को मार दिया जाए अभी तो राज्य में किसी को कुछ घटना से कोई मतलब नही है तब त्रिलोक को मार दिया गया। और उसके मरने के बाद आलोक को राजा बना दिया गया। गुरु जी को जब पता चला कि त्रिलोक को मार दिया तो उन्हें बहुत अफसोस हुआ कि अगर वह मेरी बात मान लेता और सही राह पर चलता कुछ ज्ञान की बाते सिख लेता तो उसकी यह हालत नही होता वह जीवित रहताऔर आज वह इस राज्य का राजा होता।
कहा गया है-
पानी पियो छान के
गुरु बनाओ जान के।
गुरु बिन ज्ञान न मिले
मान लो गुरु की बात
ज्ञान से ही भगवान मिले।
प्रस्तुति -श्रीमती युगेश्वरी साहू
शा.कन्या प्राथमिक शा.पवनी
विकाखण्ड-बिलाईगढ़
जिला-बालौदाबाजर
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