काव्य तथा काव्य के विधाओं का परिचय /KAVYA TATHA KAVYA KE VIDHAYEN/HINDI GRAMMAR

काव्य तथा काव्य के विधाओं का परिचय 


आचार्य विश्वनाथ के अनुसार –"रस युक्त वाक्य ही काव्य है।"

काव्य के भेद
1.श्रव्य काव्य
2. दृश्य काव्य
1. श्रव्य काव्य – श्रव्य काव्य ऐसे काव्य को कहते है जिनका आनंद पढ़कर या सुनकर लिया जाता है।
श्रव्य काव्य के उदाहरण–महाकाव्य, खण्डकाव्य,मुक्तक काव्य, कहानी ,उपन्यास।
2. दृश्य काव्य –दृश्य काव्य नाट्य विधा से सम्बंधित ऐसा काव्य है जिसका आनंद देखकर (अभिनय मंचन द्वारा)लिया जाता है।
उदाहरण–एकांकी , नाटक, प्रहसन।
श्रव्य काव्य के दो भेदों में प्रबंध काव्य एवं मुक्तक काव्य एक ही कथा होती है जिसके दो भेद है–
1. महाकाव्य
2. खंडकाव्य
1. महाकाव्य – महाकाव्य एक ऐसी सर्ग बद्ध छन्दबद्ध रचना है जिसमें मानव के सम्पूर्ण जीवन का उद्देश्य पूर्ण चित्रण होता है।
विशेषताएं–
1. महाकाव्य में मानव के सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है।
2. महाकाव्य का प्रारंभ मंगलाचरण से होता है।
3. महाकाव्य की कथा वस्तु धार्मिक ऐतिहासिक इत्यादि विषय वस्तु पर आधारित होती है।
4. महाकाव्य में कम से कम आठ सर्ग होते है।
5. महाकाव्य का नायक धीरोदत्त आदर्श तथा मानवीय गुणों से परिपूर्ण होता है।
6. महाकाव्य में अनेक छन्दों का प्रयोग होता है। सर्ग के अंत में छंद बदल जाता है।
7. महाकाव्य में श्रृंगार, शांत, करुण रस प्रधान तथा शेष रस सहायक रसों के रूप में प्रयुक्त होते है।
8. महाकाव्य में सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी आकाश, पेड़- पौधों , प्रातः, संध्या, रात्रि, पशु -पक्षियों के साथ साथ षट्ऋतु एवं बारहमासा वर्णन होता है।
9. प्रत्येक महाकाव्य का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। जैसे-अन्याय पर न्याय की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय।

हिंदी के प्राचीन महाकाव्य एवं उसके रचनाकार–
1. पृथ्वीराज रासो– चंदवरदाई
2. पद्मावत –मलिक मोहम्मद जायसी
3. सूरसागर–सूरदास
4. रामचरित मानस–गोस्वामी तुलसीदास

आधुनिक महाकाव्य एवं रचनाकार–
1. साकेत –मैथिलीशरण गुप्त
2. कामायनी– जयशंकर प्रसाद

2. खंडकाव्य–खंडकाव्य एक ऐसी रचना है जिसमें मानव जीवन के किसी एक खण्ड या पक्ष का चित्रण होता है।
विशेषताएं–
1.खंडकाव्य में मानव जीवन के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है।
2. इसमें एक ही छन्द का प्रयोग होता है।
3. इनकी कथावस्तु भी पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक विषयों पर आधारित होती है।
4. खंडकाव्य में श्रृंगार, शांत एवं करुण रस प्रधान होता है।
5. इनका उद्देश्य भी महान होता है।
 हिंदी के खंडकाव्य  एवं रचनाकार–
1. पंचवटी– मैथिलीशरण गुप्त
2. सुदामा चरित्र– नरोत्तमदास
3. भस्मांकुर – नागार्जुन

मुक्तक काव्य– मुक्तक काव्य एक ऐसी स्वतंत्र रचना है जो स्वयं  में पूर्ण तथा स्वतंत्र होती है। जिसके पदों पर पूर्व पर  सम्बन्ध नहीं होता है।
विशेषताएं–
1. मुक्तक काव्य काव्य की स्वतंत्र एवं पूर्ण रचना है।
2. मुक्तक काव्य की विषय वस्तु विविध विषयों पर आधारित होती है।
3. इसमें पदों के अनुरूप विभिन्न रसों का प्रयोग होता है।
4. मुक्तक काव्य भी एक उद्देश्य पूर्ण रचना है।
मुक्तक काव्य एवं रचनाकार–
1. कबीर के  दोहे– कबीरदास
2. मीरा के पद– मीराबाई
3. बिहारी सतसई– बिहारीलाल

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