लुई पाश्चर/विज्ञान

लुई पाश्चर








लुई पाश्चर फ्रांस देश के  नागरिक थे। उनका जन्म 27 दिसंबर 1882 को हुआ था। ये बचपन से ही प्रतिभावान थे उनकी विज्ञान में विशेष रुचि थी।
पहले लोग समझते थे कि सड़ी-गली वस्तु से ही कीड़े और कीटाणु बनते हैं परन्तु लुई ने अपने निरंतर प्रयोगों से सिद्ध किया कि यह गलत है और बताया कि कीटाणु हवा के द्वारा फल और सब्जियों में प्रवेश करते है।

लुई पाश्चर ने कई बार देखा था कि   उनके गांव में किसी को कुत्ते  के काटने पर लोहार  सलाखों को गर्म करके रोगी के जख्म पर रख कर रोगी का इलाज करते थे।
और यह देख कर लुई भय से कांप उठते थे।वह इसका इलाज खोजना चाहते थे।
औऱ इसलिए लुई ने पागल कुत्तों को अपने लैब में इकठ्ठा किया और उनके शरीर मे उपस्थित कीटाणुओं का गंभीरता से अध्ययन करने लगे।अध्यन के दौरान उनका स्वयं का जीवन कई बार खतरे में पड़ जाता पर उसकी परवाह किये बिना वह  अपना कार्य करते रहते थे।
और अंततः उन्होंने टीका बना लिया जिसका प्रयोग वे खरगोश जैसे कई जानवरों पर कर रहे थे।
प्रयोग के बाद यही टिके वे उन पागल कुत्तों पर आजमाते थे और इस प्रकार वह  कई कुत्तों को रेबीज जिसे जलांतक भी कहते हैं ,से मुक्त कर चुके थे।
लेकिन अभी तक उन्होंने इस टीके का प्रयोग किसी आदमी पर नहीं किया था। पर एक दिन कुछ लोग एक 8-9 साल के लड़के को लेकर उनके पास आये जिसे एक पागल कुत्ते ने 14 जगह से काटा था।लुई ने उस बच्चे को दो डॉक्टरों को दिखाया जिन्होंने   कहा कि यह बच्चा नहीं बचेगा टैब लुई ने अपने टीके को उस बच्चे और आजमाने का निश्चय किया और 9 दिनों तक उसे 12 टीके लगाएं।
इन टीकों से बच्चा 3 महीनों में ही पूर्णतः स्वस्थ हो गया यह समाचार पूरे विश्व में फैल गया।और लुई पाश्चर का प्रयास इस तरह सफल रहा और उनके कारण  हम आज रैबीज जैसे खतरनाक बीमारी से मुक्ति का उपाय  टीके के रूप में प्राप्त करने में सफल हुए।

 टीका क्या है
 टीका उस दवा को कहते हैं जो बीमारी होने से पहले ही उस से बचाव के लिए दिया जाता है।
असल में इस टीके के  जरिये इन कीटाणुओं की बहुत थोड़ी मात्रा  हमारे शरीर में डाल दी जाती है।इससे हमारे खून में मौजूद पदार्थ बीमारी से लड़ने की तैयारी कर लेते है ।वे इन बीमारियों के कीटाणुओं से लड़ते हैं।साथ ही हमेशा के लिए इस तरह के कीटाणुओं के प्रति चौकन्ने भी हो जाते हैं।ताकि अगर बीमारी के असली कीटाणुओं का हमला हो तो  शरीर में उपस्थित ये लड़ाकू पदार्थ उस से आसानी से निपट लें।

लुई पाश्चर को रैबीज के टीके के खोज के कारण ही मानव  का मुक्ति दाता कहा जाता है आज उन्ही के कारण ही मानव समाज  इस भयानक बीमारी के डर से निजात प्राप्त कर सका।

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