सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणा है शिक्षिका ज्योति/CREATIVE TEACHER JYOTI PANDEY



    शिक्षिका ज्योति पाण्डेय  
                                                       
 छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले के मस्तूरी विकासखंड के ग्राम पंचायत किरारी में कार्यरत बहुत ही मेहनती लगनशील आशावादी समर्पित अध्यापिका के बारे में जानेंगे।  श्री सुरेंद्र नवनीत जी के कलम से...
      मैं मस्तूरी विकासखंड के संकुल किरारी के स्कूल का एक शिक्षक और अपनी शाला का प्रधानपाठक हूँ।मेरी जुबानी "ज्योति" की कहानी क्योकि मुझे पता है,की अपने बारे में बड़ाई उसे कहना सुनना पसंद नही है।पर मैं चाहता हूँ। की इस ज्योति के प्रकाश से हर कोई वाकिफ हो।   मेरा जीवन प्रारंभ हुए पूरे अट्ठारह साल हो चुके थे। यानि कि थोड़ी समझदारी विकसित हो चुकी थी। पापा को देरी नाम से बेहद चिढ़ थी।इन्होंने जो कहा था वो मेरे जेहन में अक्षरशः विधमान है,की अपने काम को भगवान मानो,क्योकि वही काम हमारे परिवार को पालता है,खुशियां देता है इसलिए अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से पूर्ण करना चाहिए। स्वयं में अनेकों अवगुणों के साथ मेरा भी जीवन चल रहा था लेकिन अपने कार्य के प्रति ईमानदार लोगो की संख्या ने मुझे भी सिख और प्रेरणा देने का काम किया।                                   
                 इसी श्रृंखला में मेरी मुलाकात एक दिन "ज्योति" से हुई।जी हाँ,, प्रखर ज्योति ही थी वो।जो दिल मे वोही ज़ुबान पर,,भले ही किसी पे प्यार आये या गुस्सा।एक अलग ही संसार की रहने वाली वो, न हारना सीखा था,न ही रोना।सिर से पैर तक निडरता की प्रतिमूर्ति।सामने वाले कि खुशियां उसे आनन्दित और तकलीफ उसे द्रवित कर देती है जिसे स्वयं में वह बांट लेती है।  जिस स्कूल में वह कार्यरत है, निजी तौर पर मैं वहाँ के सदस्यों को जनता था,वहाँ के परिवेश को जनता था और सबसे ज्यादा उस लाचार,बेबस,बूढ़े स्कूल के भवनों को जानता था जो जर्जर हो चुके थे। शासकीय प्राथमिक शाला किरारी के रूप में ज्योति को वही लाचार, बेबस और जर्जर भवन व वैसे ही मानसिकता के लोग मिले।जिसे ज्योति ने अपने मजबूत इरादों से भरे कंधे और मुस्कुराते चेहरे पर ले लिया। सबसे पहले आंतरिक संरचना को सुदृढ़ किया,उस पर जम कर काम किया और मजबूत नीव प्रदान किया। फिर बाहरी जर्जर ढांचे पर सोचना प्रारम्भ किया जहाँ बच्चो के बैठने तक कि व्यवस्था सही से नही थी।       
  ज्योति के द्वारा किये गए कार्य----       
 1) जर्जर भवन की मरम्मत करवाना।                               2)जर्जर छत,फर्श की ढलाई करवाकर बन्द पड़े कक्ष को बैठने लायक बनाना।                   
 3) बिजली की व्यवस्था।               
4) पीने के पानी की व्यवस्था।       
 5)शाला प्रांगण का फर्शीकरण। 
 6)शाला परिसर के ढह गये अहाते का पुनः निर्माण।            7) शाला प्रांगण में सौदर्यीकरण हेतु सुंदर पेड़ पौधे लगाना।     8)प्रार्थना सभा एवं ध्वजारोहण की स्थायी व्यवस्था हेतु स्टेज निर्माण।                                     
9) प्रिंट रिच वातावरण।                 
10) शानदार रंग रोगन के साथ बच्चो में राष्ट्रप्रेम की  भावना जागृत करने हेतु शाला परिसर के सम्पूर्ण अहाते पर तिरंगा रंग रोगन करवाना।                             
11) कक्षा कक्ष हेतु फर्नीचर की व्यवस्था।                          12) बच्चो को पलायन से रोकने व शाला आने के लिए लुभाने हेतु प्रांगण में झूले,फिसलपट्टी,बास्केटबॉल खेलने की व्यवस्था करवाना।
13)शिक्षा का स्तर बढ़ाने व शाला में डिजिटल पढ़ाई करवाने हेतु स्मार्ट क्लास की स्थापना जिसमे प्रोजेक्टर,स्क्रीन,साउंड सिस्टम सभी की व्यवस्था है।               
14) पठन कौशल को विकसित करने हेतु अलग से सर्वसुविधायुक्त मुस्कान लाइब्रेरी की स्थापना।                    15)बच्चो को टाई बेल्ट,जूते मोजे स्वयं मुहैय्या कराना ।        16)बच्चो व स्टाफ के लिए अलग अलग शौचालयों का निर्माण। 
 17)शाला परिसर के एक बदहाल भूखण्ड को सँवारकर उसे ज्यामितीय आकृतियों वाला ज्यामितीय रोज़ गार्डन का रूप देना ।
18) शाला में देखने लायक किचन गार्डन बनाना।              19) स्वयं स्काउट के बेसिक व एडवांस कोर्स का प्रशिक्षण प्राप्त कर,शाला में बुलबुल दल का गठन कर शाला की 6 बालिकाओं को तृतीय सोपान( स्वर्ण पंख)तक पहुँचाना।      20)विविध प्रकार के नवाचार व tlm निर्माण कर शिक्षण करवाना व साथी शिक्षको को भी प्रेरित करना।।                  21)शासन द्वारा संचालित समस्त योजनाओ का पालन करते हुए शाला में खेलगढिया,व इको क्लब की स्थापना।।                    क्या क्या लिखूं इस मस्तमौला के लिए । एक बात बताना जरूरी समझता हूं कि यह सब कार्य ज्योति ने स्वयं के व्यय से कराया है,,जिसमे 5 लाख रुपये लग गए। ठीक उसी प्रकार जैसे एक पिता अपनी प्यारी लाडली बिटियां के विवाह की तैयारी करता है,,चुपचाप अपने अंदर लाखो अरमान सजाये,वही अरमान जो उसे चैन से सोने नही देते पर खुशियां अपरम्पार देते है और सबसे खास बात पैसे कम पड़ने पर वह पिता निराश नही होता,स्वयं को बेच देने की काबिलियत रखने वाला पिता अपने प्रिय सामानों को भी बेचने से नही हिचकिचाता,,,बस वही हमारी ज्योति ने किया। अपनी बिटिया जैसी शाला के लिए अपने गहने,जेवर,रकम सबको लूटा दिया,लगा दिया कि कोई कसर न रहे और धीरे धीरे अपने और उन मासूम बच्चों के सपने साकार होते देखती रही।ऐसा नही है कि इन्होंने समुदाय से साथ व मदद नही मांगी, मांगी पर स्थानीय परिवेश के कारण निराशा ही हाथ लगी। अपनी शाला को गर्त से निकलकर इस स्तर तक लाने की पूरे राज्य में उसके कार्यो की सराहना हुई में ज्योति ने बहुत संघर्ष किया है जैसे--स्कूल आने के बाद वही रम जाना।समय व खाने का ध्यान न देना उसकी फितरत होती जा रही थी।एक महिला होते हुए भी देर रात तक स्कूल में ही रहना क्योकि काम चल रहा है और 20 किलोमीटर का सफर अपनी स्कूटी से तय कर अंधेरा हो जाने के बाद घर पहुँचना।सामाजिक अवरोध,आपराधिक अवरोध सबका सामना किया। शाला मे पालको व समुदाय के  जनभागीदारी से शैक्षिक गुणवत्ता को बढाने का हर सम्भव प्रयास ज्योति ने किया जैसे--               
 1) प्रत्येक माह smc सदस्यों की बैठक।                      
  2) प्रत्येक माह पेरेंट्स मीटिंग रखना।           
 3) plc का गठन कर शाला व शैक्षिक विकास के कार्य करना।             
 4) मातोन्मुखीकरण के तहत माताओ का शाला में भागीदारी व सहयोग।                           
  5) शाला की छुट्टी हो जाने के बाद प्रत्येक कक्षा के कमजोर बच्चो को पालको की अनुमति से हर रोज 4.30से 5.30 तक निशुल्क रूप से ट्यूशन देना।
 अपने स्कूल के हर इंच को सजा दिया,चमका दिया,बच्चो के भाव के अनुरूप,उनके सिख के अनुरूप,भारतीय संस्कृति की ध्वजा लहराती,शैक्षणिक वाक्य,बल मनोभाव से प्रेरित जो कि शाला के बच्चों को लुभाये और ज्ञान कराए।                           दिखावा,आडम्बर की प्रचुरता के बीच ज्योति ने एक मिसाल कायम की। किसी से नही कहा,अपने श्रेष्ठ को सर्वश्रेष्ठतम बनाती वो आगे निकल गई।  ज्योति को संकुलस्तरिय उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में सम्मानित किया गया।                                    26 जनवरी 2020 को ग्राम पंचायत किरारी व ग्राम सुरक्षा समिति की ओर से ज्योति के कार्यो के लिए प्रशस्ति पत्र,श्रीफल,व शॉल देकर सम्मानित किया गया।   जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर श्री अशोक भार्गव जी स्वयं शाला आकर ज्योति के कार्यो से अभिभूत होकर प्रशंसा करते हुए सम्मान स्वरूप 1000 रुपये नगद भेट दिया।   Adeo सर श्री सन्दीप चोपड़े व उनकी सजग नामक टीम के सदस्यों ने भी ज्योति की पीठ थपथपाई औऱ उसकी प्रशंसा करते हुए शाला आकर निरीक्षण किया तथा नाना प्रकार के उपहार बच्चो को व शाला को दिया। मैंने अपनी आंखों से देखा हैं, की ज्योति के स्कूल का प्रत्येक छात्र व कर्मचारी उसके पैर छूता है।उसकी शाला में एक दिन काम करने का अवसर मिला,,कर्मचारियों से मुझे इतना स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा था कि क्या बताऊँ,,कोई मेरे लिए अपने घर से गर्म दूध भिजवाया और कोई कुछ क्योकि ज्योति मुझे भईया बुलाती है।मैं अचंभित था, कि किसी की शाला में मैंने ऐसा व्यवहार नही पाया। उस समय मुझे वो बात समझ मे आई जो ज्योति हमेशा कहती है--कि मुझे किसी पुरुस्कार की लालसा नही भईया, मुझे जो पाना था वो मैं पा चुकी हूं।।                       
   वास्तव में आज वही जर्जर शाला पूरे ब्लॉक में सबसे बेहतर और मॉडल स्कूल के रूप अपनी पहचान बना चुका है।।                    उसका पूरा नाम श्रीमती ज्योति शम्भू प्रसाद पाण्डेय है। मगर मैं उसे एक ही नाम से पुकारता हूँ,,,,,,बेटा !
 सादर आभार (आदरणीय  श्री सुरेंद्र नवनीत)



































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