Computer
गणितीय कार्य :– अंको के जोड़ , घटाव, गुणा, भाग आदि कार्य गणितीय भाग में आता है।
अगणितीय कार्य :– अंक का प्रयोग इसमें भी होता है किंतु उनका गुणा, भाग, जोड़, घटाव आदि क्रिया नहीं करते । जैसे रोल नम्बर लिखना।
Computer 80% गणितीय कार्य और 20% अगणितीय कार्य के लिए बनाया गया है किंतु आजकल हम Computer को 80% अगणितीय कार्य के लिए और 20% गणितीय कार्य के लिए करते है।
कंप्यूटर की विशेषताएं–
1. उच्च गति:–Computer में कार्य तेजी गति से होती है जिन्हें देख तो लेते है किंतु समझ नहीं पाते कि कौन सा कार्य हो रहा है।
2. उच्च संग्रहण क्षमता:– कम्प्यूटर में उच्च संग्रहण क्षमता होती है जिसके द्वारा कम्प्यूटर एक छोटे से क्षेत्र में अधिक शब्दों को रखता है जिन्हें हम पहचान नहीं पाएंगे।
3. शुद्धता और विश्वसनीयता:– कंप्यूटर स्वयं में कोई गलती नहीं करता किंतु उपयोग करने वाले से (User से) गलती हो सकती है।
अतः Computer 100% विश्वसनीय होता है।
4. स्वचालन :– Computer द्वारा एक बार आदेश प्राप्त हो जाने पर वह अपना चालन या कार्य स्वयं कर लेता है। इसे बार बार आदेश देने की जरूरत नहीं होती ।
5.सक्षमता:– यदि Computer को उचित वातावरण (धूल, गर्मी व नमी से बचाकर रखा जाये) में रखने पर वह लंबे समय तक कार्य करता चला जाता है। भले ही उपयोग करने वाला तक जाये और बदल जाये अर्थात् कंप्यूटर की मुख्य मशीन बंद नहीं होता ।
6. व्यापकता:– कंप्यूटर का उपयोग बहुत व्यापक क्षेत्र तक फैल गया है। इसकी व्यापक उपयोगिता में कृषि, व्यापार, संचार आदि आते है अर्थात् कंप्यूटर हर क्षेत्र में काम कर सकता है।
गणना का इतिहास
गणना का इतिहास आदि काल से है अर्थात् गणना प्रारम्भ से ही है।
3200–2000 B.C. में जापान में सारोबान और चीन में अबाकस नामक दो यंत्र गणना के लिए उपयोग किये जाते है।
यांत्रिकी
A.D. 1822 में चार्ल्स बैवेज ने गणितीय कार्य करने के लिए "डिफरेंस मशीन" / इंजन का निर्माण किया।
A.D. 1833 में चार्ल्स बैवेज ने ही गणितीय और अगणितीय कार्य के लिए ""एना फिटिकल इंजन" का निर्माण किया इस बार इन्होंने कार्य करने के लिए प्रोग्राम का प्रयोग किया था किंतु असफल रहे। एडा ने प्रोग्राम को बनाया था।
प्रोग्राम :– सुव्यवस्थित और क्रमबद्ध कार्य की व्यवस्था को प्रोग्राम कहते है। इसीलिए चार्ल्स बैवेज को Father Of Computer या कम्प्यूटर का पितामह कहा जाता है।
बिजली + यांत्रिकी
(हरमन होलोरिय)
अब गणितीय कार्यों के लिए Electronic Computer का उपयोग होने लगा।
इसे Electronic Computer इसीलिए कहते है क्योंकि इसमें Electron का उपयोग होने लगा था।
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