माँ, यानी प्रेम की मूर्ति/ MAA YAANI PREM KI MOORTI

12 मई 2019 mother's day


वह होती कितनी प्यारी,
जो जाती हम पर बलिहारी
जिसने दी खुशियां सारी
उसने दुनियाँ हम पर वारि
माँ कहलाती  वह हमारी।
लाड़ लड़ाके, प्यार जता के,
आँख दिखाके, स्नेह बरसा के ,
महकाई मेरे जीवन की फूलवारी।
सही- गलत का भेद बताया,
जीने का हमे ढंग सीखाया,
स्नेह, प्रेम,आदर और सम्मान,
सीखा कर मेरी जीवन संवारी।
बनाती जो नित पकवान नए,
पर बिना खिलाये कभी न खाए,
 जब कभी हम रूठ जाए,
मनाने का कोई नया जुगाड़ लगाए,
कभी मिठाई कभी खिलौना ,
कभी दिलाये कोई सामान नया,
जो मुश्किल से कभी न हारी ,
वह कहलाती माँ हमारी।
चाहे कितनी हो मज़बूरी,
चाहे कितनी ही लाचारी,
माँ अपने बच्चे की खातीर,
 इस दुनिया से कभी न हारी।
माँ की बोली ,माँ की लोरी,
होती है अनमोल,
समझ सको तो समझो,
उसके साँसों की हर एक किलोल।
जो गम अपने आँखों मे भरती,
और हम को खुशियां देती,
हर दर्द अपने दिल में रख
हम पर प्यार वह खूब लूटाती।
हमको हर गम रखती दूर,
चाहे कितनी हो मज़बूर।
अब हमको कर्ज चुकाना है,
 माँ तेरे लिए अपना फर्ज निभाना है,
 बस रहे मेरे सिर पर हाथ सदा,
रब से मांगू यही दुआ।
कहते है माँ धरती पर ईश्वर की छाया है,
मैं कहती खुद ईश्वर धरती पर माँ बन आया है।
अर्चना शर्मा छत्तीसगढ़

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