मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के आवासीय विद्यालय की यात्रा: एक अनुभव
हाल ही में मुझे एक विशेष अवसर प्राप्त हुआ — मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के एक आवासीय विद्यालय में जाने और वहाँ के बच्चों से मिलने का। यह अनुभव मेरे हृदय को छू गया और जीवन को देखने का मेरा दृष्टिकोण कहीं अधिक संवेदनशील बना गया।
जैसे ही हम विद्यालय परिसर में पहुँचे, बच्चों की मुस्कान और उनके निष्कलुष व्यवहार ने वातावरण को आत्मीयता से भर दिया। वहाँ हर बच्चा अपने आप में एक अलग संसार था — कोई रंगों से खेलता हुआ, कोई सुरों की दुनिया में खोया हुआ, तो कोई अपनी ही भाषा में हँसता-बोलता। इन बच्चों में भले ही मानसिक चुनौतियाँ हों, पर उनकी भावनाएं, मासूमियत और प्रेम की गहराई किसी सामान्य बच्चे से कम नहीं है। उनकी आँखों में चमक थी, कुछ कर दिखाने की उम्मीद थी, और सबसे बढ़कर, स्वीकार किए जाने की इच्छा थी। विद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों ने जिस तरह से समर्पण और प्रेम से इन बच्चों का मार्गदर्शन किया, वह सचमुच प्रशंसनीय था। वे न केवल उन्हें शिक्षा दे रहे थे, बल्कि धैर्य, आत्मनिर्भरता और समाज में गरिमापूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा भी दे रहे थे। मैंने देखा कि वहाँ कला, संगीत, खेल और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी गतिविधियाँ इन बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं। सबसे सुंदर बात यह थी कि हर बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर दिया जा रहा था, न कि उसकी अक्षमता के आधार पर आँका जा रहा था।
इस यात्रा ने मुझे यह सिखाया कि सच्ची समझ, सहयोग और प्रेम से हम किसी भी सीमितता को ताक़त में बदल सकते हैं। इन बच्चों की दुनिया को हमें समझने की ज़रूरत है — उनके साथ सहानुभूति नहीं, सम्मान के साथ जुड़ने की ज़रूरत है।
अंत में, मैं यही कहना चाहती हूँ कि हमें समाज में दिव्यांगजनों के लिए केवल सहूलियत नहीं, सम्मिलित सहभागिता का वातावरण बनाना होगा। यह सिर्फ़ उनकी ज़रूरत नहीं, हमारी ज़िम्मेदारी भी है।
"विशेष हैं ये फूल...
न मासूमियत में कोई कमी है,
न मुस्कान में कोई थमी है।
हर चेहरा कुछ कहता है,
मौन में भी जीवन बहता है।
ये बच्चे न केवल विशेष हैं,
बल्कि स्नेह और सरलता के संदेश हैं।
हर छोटी जीत इनकी बड़ी होती है,
हर कोशिश में दुनिया हरी होती है।
हम देखने गए थे उन्हें सहारे की नज़र से,
पर लौटे हैं हम सीख लेकर उनके हौसले से।
इनके जीवन में जो उजाला करते हैं,
उन गुरुजनों को भी हम नमन करते हैं।
रजिया अंजुम शेख ( व्याख्याता )
शास. उच्च. माध्यमिक विद्यालय कुरदा चाम्पा
विकासखण्ड - बलौदा
जिला- जांजगीर चाम्पा
राज्य- छत्तीसगढ़
0 Comments