चतुर्थ: पाठ: सुभाषितानि
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये–
(क) क: गुरूगतां विघाम् अधिगच्छति? - शुश्रुषु: गुरूगतां विघाम् अधिगच्छति |
(ख) माता कस्या: मूर्ति:?
- माता पृथ्वी: मूर्ति:|
(ग) निर्गन्धा: किंशुका:इव न शोभन्ते?
- विघाहीनानिर्गन्धा: किंशुका:इव न शोभन्ते |
(घ) मृदड्गे मुखलेपेन किं करोति?
- मृदड्गे मुखलेपेन मधुर ध्वनि: करोति |
(ड.) सर: केन विभाति?
- सर: पयसा कमलेन विभाति |
2. उचित सम्बन्ध जोडिए–
1.खनन खनित्रेण- न वरंगल
2. सप्तैता - गुणिनो जना:
3. पितर: - विघाहीना
4. न शोभन्ते- मातर:
5. परशासनम्- वार्यधिगच्छति
6. नमन्ति - विभाति नभ:
7. शशिना निशया च- पञ्चैते
उत्तर–
1.खनन खनित्रेण-वार्यधिगच्छति
2. सप्तैता - मातर:
3. पितर: - पञ्चैते
4. न शोभन्ते- विघाहीना
5. परशासनम्- न वरं
6. नमन्ति - गुणिनो जना:
7. शशिना निशया च- विभाति नभ:
3. संस्कृत में अनुवाद कीजिये:-
(अ) आचार्य ब्रहा का रुप है|
- आचार्य: ब्रह्मण: मूर्ति: अस्ति
(ब) विघाहीन व्यक्ति शोभित नहीं होता |
- विघाहीन: नर: न शोभन्ते |
(स) सूखे वृक्ष और मूर्ख लोग कभी नहीं झुकते |
- शुष्कवृक्षा: मूर्खाश्च कदापि न नमन्ति |
(द) मृदड्ग़ के मुख में लेप करने से वह भी मधुर ध्वनि करता है|
- मृद्गगे अपि मुखलेपेन मधुरध्वनि: करोति |
(इ) मणि और कड्ग़न से हाथ शोभा देता है |
- मणिना वलयेन च कर: विभाति |
4. संधि कीजिये:-
वारि + अधिगच्छति- वार्यधिगच्छति(यणस्वरसंधि)
शुश्रुषु:+ अधिगच्छति - शुश्रुषुरधिगच्छति (विसर्ग संधि)
मूर्ति:+ आत्मन: - मूर्तिरात्मन:(विसर्ग संधि)
(ख) संधि विच्छेद कीजिये:-
सप्तैता - सप्त + ऐता
चोपनेता- च + उपनेता
चाब्धौ- च + आब्धौ
प्रस्तुति
प्रतिभा त्रिपाठी
शा. पूर्व मा. शा. गोडेला गुन्डरदेही जिला बालोद
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