सामाजिक विज्ञान
अध्याय 3
दिल्ली सल्तनत की स्थापना
अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. खण्ड ' क ' में दिए गए शासकों के नाम के सामने खण्ड ' ख ' में उनसे संबंधित स्थानों के नाम लिखो -
1 . पृथ्वीराज चौहान - दिल्ली व अजमेर
2.मुहम्मद गोरी। - तुर्कीस्तान
3.कुतुबुद्दीन ऐबक - दिल्ली
4. राजाभीम - गुजरात
5. चंगेज खाँ - मध्य एशिया
प्रश्न 2. नीचे दिए सुल्तानों के नाम , उनके शासन काल क्रमानुसार लिखकर उनके बारे में संक्षेप में लिखें -
मुहम्मद गोरी , कुतुबुद्दीन ऐबक , इल्तुतमिश , रजिया , बल्बन , कैकुबाद ।
उत्तर- ( 1 ) मुहम्मद गोरी - मुहम्मद गोरी , गोर राज्य का सुल्तान था । वह भी कई तुर्की सुल्तानों से बड़ा लेकिन स्वारिज्म ( पूर्वी ईरान का एक सदस्य राज्य ) के शाह से वह जीत न पाया , इसलिए अपने राज्य को बढ़ाने के लिए उसके पास भारत की ओर बढ़ने के अलावा कोई उपाय न था । उसने मुल्तान , गुजरात प्रांत पर फतह हासिल कर पूरे पंजाब पर अधिकार किया । उसने तराईन युद्ध को जीत दिल्ली पर भी कब्जा किया।
( 2 ) कुतुबुद्दीन ऐबक - कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली के सुल्तानT मुहम्मद गोरी का गुलाम था और प्रशासन का काम देखता था । गोरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ने अपने आप को एक स्वतंत्र सुल्तान और दिल्ली को एक स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया । इस तरह वह दिल्ली का पहला सुल्तान बना । उसने दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्माण प्रारंभ कराया था ।
( 3 ) इल्तुतमिश - कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद उसका गुलाम और दामाद इल्तुतमिश सुल्तान बना । उसने कुतुबमीनार का कार्य पूर्ण कराया । इल्तुतमिश के सामने दो प्रमुख समस्या थी- पहला अपने ही अधिकारियों का व्यवहार और दूसरा पराजित राजपूत परिवारों का व्यवहार । इल्तुतमिश ने अपने प्रशासन को ठीक करने के लिए चालीस योग्य गुलामों को ऊँचे पद दिए । वे सब सुल्तान के प्रति वफादार रहकर उनकी सेवा करते थे उनमें से कई को अक्तादार बनाया गया था , जो बाद में गुलाम वंश का अंत करने में लग गए ।
( 4 ) रजिया- इल्तुतमिश के बाद उसकी बेटी रजिया दिल्ली की गद्दी पर बैठी । वह दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली एक मात्र महिला शासक थी । गद्दी पर बैठने के बाद वह पुरुषों के समान चोंगा और टोपी पहनती थी । वह योग्य राजा की भाँति राज्य का काम - काज सँभालती थी । परंतु तुर्क सरदार अपनी बात मानने वाले को गद्दी में बैठाना चाहते थे । उन्हें जल्द ही पता चल गया कि रजिया भले ही स्त्री है लेकिन वह उनकी कठपुतली बनने को तैयार नहीं है । अपने गुणों के बावजूद वह कुछ खास
नहीं कर पाई । उसने वफादार सरदारों का एक दल तैयार किया और गैर तुर्कों को बड़े पद देना शुरू किया तो तुर्क सरदारों ने उसका विरोध किया और उसकी हत्या कर दी ।
( 5 ) बल्बन - रजिया के बाद दिल्ली का महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली सुल्तान बल्बन था । वह इल्तुतमिश द्वारा स्थापित 40 गुलामों के दल का एक सदस्य था । तुर्क सरदार इस समय बड़े शक्तिशाली हो गए थे , वे सुल्तान के विरुद्ध षड्यंत्र रचते थे और उसे धमकी देते थे । बल्बन के सामने इन सरदारों को दबाना सबसे गंभीर समस्या थी । उसने दृढ़तापूर्वक उनकी शक्ति नष्ट कर दी और सरदारों को राजभक्त बनाने में सफलता प्राप्त की । वह सुल्तान की निरंकुश शक्ति पर विश्वास करता था । उसने अपनी स्थिति इतनी मजबूत कर ली कि सुल्तान की शक्ति को कोई ए चुनौती नहीं दे पाया । उसने लोगों को सुल्तान के सामने ( सिर झुकाना ) और पायबोस ( राजा के पैर चूमना ) करना अनिवार्य कर दिया । तुर्क सरदार बल्बन की ताकत और कठोरता से इतने भयभीत ग थे कि उन्हें उसका आदेश मानना पड़ा ।
( 6 ) कैकुबाद - बल्बन की मृत्यु के बाद कैकुबाद दिल्ली का शासक बना । वह अयोग्य और विलासी शासक था । इसलिए मात्र तीन वर्ष बाद ही उसके राज्य का अंत हो गया । इसके साथ ही गुलाम वंश का शासन भी समाप्त हो गया ।
प्रश्न 3. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ( अ ) इक्तादार , ( ब ) गुलाम , ( स ) सरदार ।
उत्तर -( अ ) इक्तादार - इल्तुतमिश ने प्रशासन को ठीक करने के लिए चालीस योग्य गुलामों को ऊँचे पद दिए , जिन्हें अक्तादार कहा जाता था । अक्तादारों का काम था अलग - अलग प्रांतों में रहकर वहाँ का प्रशासन संभालना , विद्रोहों को दबाना और गाँवों से लगान वसूल करना । इस तरह जो लगान इकट्ठा होता था , उसे वे अपने वेतन व प्रशासन के खर्च के लिए रखते थे । इन अक्तादारों का समय - समय पर एक प्रांत से दूसरे प्रांत तबादला होते रहता था । पिता के बाद पुत्र को इसका अक्ता या पद विरासत में नहीं मिलता था ।
( ब ) गुलाम - कुछ व्यापारी युवकों को खरीदकर उन्हें युद्धकला और प्रशासन का प्रशिक्षण देकर सुल्तानों को बेच देते थे । इन्हें गुलाम कहा जाता था । इन गुलामों को उनकी योग्यता के अनुसार काम और पद दिए जाते थे । इसके बदले उन्हें अधिक वेतन भी दिया जाता था । कुछ योग्य गुलाम अधिकारी अपने मालिक के बाद शासक भी बने । कुतुबुद्दीन ऐबक पहला गुलाम शासक बना था ।
( स ) सरदार- उस समय के अमीर व शक्तिसंपन्न वर्गों के मुखिया को सरदार कहा जाता था । प्रशासन को सुव्यवस्थित चलाने में इनका विशेष योगदान रहता था । शासक वर्ग इनकी उपेक्षा नहीं कर सकते थे । सरदारों के विरोध के परिणामस्वरूप ही दिल्ली की
पहली महिला शासक रजिया योग्य होने के बावजूद पात्र का शिकार हुई , उसकी हत्या कर दी गई और तुर्क सरदार बल्चन शासक बन बैठा ।
प्रश्न नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर 50 से 100 शब्दों में दीजिए-
1. पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच हुए युद्ध का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - सन् 1191 में मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराईन नाम की जगह पर युद्ध हुआ । इसमें मुहम्मद गोरी को पृथ्वीराज ने हरा दिया । इस युद्ध में गोरी धुरी तरह घायल हो गया था और मुश्किल से बचकर निकल पाया । वापस लौटकर गोरी ने एक और कड़ी युद्ध की तैयारी शुरू कर दी । अगले साल सन् 1192 में फिर से तराईन के मैदान में दोनों के बीच युद्ध हुआ , जिसमें पृथ्वीराज को हार का सामना करना पड़ा , उसे बंदी बना लिया गया । इस हार में सबसे बड़ा कारण जयचंद की गददारी को माना जाता है ।
2. तुर्की सेना और राजपूतों की सेना में क्या - क्या अंतर था ?
उत्तर - पृथ्वी राज ( राजपूतों ) की सेना बहुत बड़ी थी । उसमें पैदल सैनिक , हाथी व घोड़े थे । कई छोटे राजा व सामंत अपनी अपनी सेना के साथ पृथ्वीराज की मदद के लिए आए थे । गोरी की सेना बहुत छोटी थी और उसमें हाथी नहीं थे । लेकिन उसके पास तेज दौड़ने वाले घोड़े थे और कुशल घुड़सवार सैनिक थे , जो घोड़े पर चलते - चलते तीर चला सकते थे ।
3. तुर्क सुल्तानों के सामने क्या - क्या प्रमुख समस्याएं थीं ?
उत्तर - तुर्क सुल्तानों के सामने दो बड़ी समस्याएँ थीं- पहला - अपने ही अधिकारियों का व्यवहार और दूसरा - पराजित राजपरिवारों का व्यवहार । सल्तनत के सबसे बड़े अधिकारी व सेनापति , सुल्तान से दबकर नहीं रहना चाहते थे और मनमानी करना चाहते थे । इस कारण सुल्तान अपने प्रशासन को मजबूत नहीं कर पा रहा था । इसका फायदा उठाकर पुराने राजवंशों के लोग सल्तनत का विरोध - करने लगे । वे गाँव के किसानों से लगान इकट्ठा करके स्वयं रख - लेते थे , राजकोष में जमा नहीं करते थे । वे सड़कों पर आने - जाने - वाले यात्रियों व व्यापारियों को लूट लेते थे । इस प्रकार सल्तनत - कमजोर होने लगा था । सुल्तान के आदेशों का पालन केवल कुछ न शहरों में ही होने लगा था ।
4. तुर्क सरदार रजिया को क्यों हटाना चाहते थे ?
उत्तर - गुलामवंश के सुल्तान इल्तुतमिश के पुत्र अयोग्य थे , . इसलिए उसकी योग्य पुत्री रजिया ने शासन की बागडोर सम्भाली । अमीर तुर्को एवं सरदारों ने महिला के अधीन कार्य करना अपना अपमान समझा । वे रजिया सुल्तान के विरुद्ध षड्यंत्र और विद्रोह करने लगे। दूसरी बात यह थी कि रजिया अपने सेनापति याकूब पर दयालु थी।सन्1240 में बहराम शाह ने रजिया की हत्या कर दी।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
1.तुर्कों की सफलता के क्या कारण थे?
उत्तर- तुर्कों के पास फुर्तीले तीर चलानेवाले योद्धा थे।वे युद्धभूमि में तेजी से दुश्मनों पर टूट पड़ते थे और अपना बचाव भी फुर्ती से कर लेते थे अर्थात युद्ध की तकनीक व साधन में राजपूतों से बेहतर थे।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार राजपूतों के आपसी मतभेद भी तुर्कों की सफलता के प्रमुख कारण थे।
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